जब योग की अनुभूति गहरी हो… तब शक्तियां मिलें

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बांधेलियों को बाबा से मिलने की आकर्षण होती कि कहाँ छुट्टी मिले तो हम बाबा से, भगवान से मिलने के लिए भागूँ। जैसे दु:ख में सिमरण सब करे वैसे बांधेलियों पर बन्धन है तो वह जास्ती याद करती हैं।

हमने देखा है जिनको इस याद का, योग का अनुभव है, सहज ही दुनिया की सर्व बातों से उनकी बुद्धि हट जाती है और ऐसी प्रैक्टिस करने वालों की दृष्टि में शक्ति रहती है क्योंकि वृत्ति में एक बाबा ही रहता। स्वयं को बाबा के साथ कम्बाइन्ड देखते। जब तक इस योग की अनुभूति गहरी नहीं करेंगे तब तक शक्तियां नहीं मिलेंगी। जो भी पॉवर्स हैं वो इस योग साधना से मिलती हैं। इस साधना से माया पर विजयी बन सकते हैं। ज्ञान हमारी पढ़ाई है, जिस पढ़ाई को बुद्धि को धारण करना है। और जितनी ज्ञान की गहरी प्वाइन्ट्स बुद्धि में धारण होगी उतना ही बुद्धि फिर दिल से बाबा की शुक्रिया का गीत गायेगी। और जितना याद की यात्रा करेंगे उतना अपने को वरदानों से भरपूर अनुभव करेंगे। क्योंकि यह याद ही हमें वरदाता बाप से वरदान दिलाती, इसी से समीप हो जाते हैं। फिर दिल से गीत निकलता बाबा आपको पाकर हमने तो जहां पा लिया। ऐसी लगन वाले ही सच्चे आशिक बन माशुक की याद में रहते हैं। हर एक हर घंटे, पाँच मिनट भी साइलेन्स की अनुभूति करे तो अनेक बातों पर विजय पाने की शक्ति आयेगी, जो बाबा कहते माया पर विजय पहनो, वह विजय तब होगी जब ज्ञान सहित योग में रहो। फिर माया नहीं आयेगी, बुद्धि यहाँ-वहाँ नहीं जायेगी। मुरली ज्ञान में पक्का कराती परन्तु सवेरे का योग अशरीरी बनने में बहुत बड़ा बल देता है इसलिए योग में सचमुच यह अनुभव हो जैसे हम इस देह से उड़कर अपने अव्यक्त वतन में बाबा के पास पहुंच गये हैं। निराकारी दुनिया तो परमधाम है लेकिन अव्यक्त वतन, सूक्ष्म वतन यह हमारे संगम की विशेषता है। उसका हमें हरेक को अनुभव चाहिए, जहाँ से बाबा हमें मिलने आते हैं। तो इसके लिए जितनी-जितनी बुद्धि शुद्ध बनेगी, बाहर की बातों से अन्तर्मुख होगी, उतना ही बाबा की आकर्षण रहेगी। सचमुच हमें भगवान की आकर्षण हो रही है – यह अनुभव चाहिए। जैसे कई बार बाबा कहते कि बांधेलियों को बाबा से मिलने की आकर्षण होती कि कहाँ छुट्टी मिले तो हम बाबा से, भगवान से मिलने के लिए भागूँ। जैसे दु:ख में सिमरण सब करे वैसे बांधेलियों पर बन्धन है तो वह जास्ती याद करती हैं, आप लोग छुटेले हैं तो मस्त रहते हैं। अच्छा है मौज है, मस्त रहते, यह भले अच्छा है लेकिन लगन एक अलग चीज़ है। वह ऐसी लगन होती जो रात को नीद भी उड़ जाती और मन कहता बाबा के पास जाके बाबा से रूहरिहान करते रहें। कैसे बाबा लाइट के वतन में हमें लाइट रूप में ले जाता। खुद भी लाइट रूप बन जाओ तो बाबा लाइट रूप बन आप लोगों से मिलन मनावे। यही है रूहानियत की यात्रा। तो सभी को ऐसी रूहानी यात्रा की रूचि रख बाबा से मिलन की अनुभूति करते रहना है। सदा बाबा की छत्रछाया के नीचे रहो तो रक्षक बाबा सदा रक्षा करता रहेगा। बाबा कहता बच्चे, तुम मेरी नज़रों में छिप जाओ। बाबा की मुरली में है वो मेरे मीठे-मीठे नूरे रत्नों, यह किसने बोला? नूर माना आँखें। तो हम बाबा के नयनों के नूर हैं। इससे बड़ा भाग्य और क्या चाहिए! बाबा ने अपनी नज़रों में हमें छिपा दिया है। बाकी तो दुनिया के खेल हैं, चाहे बीमारी है, आना है – जाना है, सर्विस करो उसमें आंधी भी आती, तूफान भी आते- यह वह सब होता परन्तु अपनी स्थिति स्थिर चाहिए। सबसे पहले अपनी हर प्रकार से स्थिर स्थिति चाहिए। कोई कितना भी मन खराब करे, संग में कभी नहीं आना। सबसे बड़ा दुश्मन है -संग। संगदोष बुद्धि को बदल देता है। सबसे प्यार करो सब फै्रन्ड्स हैं, पर्सनल फै्रन्ड किसको नहीं बनाओ। यह एक अन्डरलाइन करो। आपस में चाहे तीन हो या पाँच हो लेकिन रहना चाहिए सभी को मिलकर। रात को सोने से पहले दस मिनट भी आपस में मिलकर, ओम शान्ति करके रूहरिहान करके फिर सो जाओ। कहने का भाव है कि आप लोग मन से भी खुश रहो, तन से भी खुश रहो। तुम भी खुश रहो तेरे से भी सब खुश रहें। हर स्थान पर खुशनसीबी का वातावरण हो। आने वाले समझें, यहाँ हम आये तो कितना खुश होके गये। किसके भी चेहरे से उदासी, घृणा, नफरत यह फील नहीं हो तब तो मजा है। फिर भी अगर कोई 19-20 बात हो तो आप लोग अपनी तपस्या से उसको मिटाओ। हमारी रूहानी आकर्षण भी एक तपस्या है जो सबको सकाश देगी।

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