हम मानसिक रोगों के साथ-साथ अन्य रोग जो मनुष्यों को लगे हुए हैं, जो बढ़ते जा रहे हैं, उनकी चर्चा हम करते आ रहे हैं। हमें बहुत ध्यान देना है। मन से हम कमज़ोर न पड़ जायें। बहुत इम्र्पोटेंट चीज़ है। ऐसा अपने को पॉवरफुल बना लो। और ये मन की स्थिति आयेगी ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग के द्वारा। मनुष्य के सामने परिस्थिति भी आती है। कई मनुष्यों का पास्ट भी बहुत खराब रहा है। कई मनुष्यों को वर्तमान में व्यवहार मधुर नहीं मिल रहा है। सम्बन्धों में कड़वाहट है। और कईयों के प्रियजन जा चुके हैं। कई पश्चाताप करते हैं कि हमारी इस गलती से हमारा व्यक्ति चला गया संसार से। हमें मानसिक रूप से अपने को हेल्दी रखना है। न कहीं किसी का दोष है। ये संसार एक खेल की तरह चल रहा है। मृत्यु एक ऐसा सत्य है जिसको जब जाना है, बहुत लोग हमने देखे एक व्यक्ति अभी-अभी आया ऑफिस से, कहा बेटा पानी देना, पानी पिया और गया। लोग देखते रहे कि ये क्या हो गया! न कोई बीमारी, न कोई परेशानी। हार्ट भी ठीक था। किसी को समझ ही नहीं आया। इसमें किसी को दोष नहीं दिया जा सकता। अपने मन को पॉवरफुल रखना, इसको कभी भी निराश न होने देना। कुछ चीज़ों को एक्सेप्ट करके ही चलना, पास्ट को भूला देना। राह ढूंढ लेना इसकी परम आवश्यकता है। नॉ डाउट, एक माँ और उसके छोटे बच्चे हों और उसका पति चला जाये तो उनके जीवन में अंधकार छा जाता है। परंतु ये खेल, प्रभु की लीला जो चल रही है इसमें एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है। अपने को सम्भालेंगे तो परिस्थितियां सम्भल जायेंगी। ये स्लोगन आप याद रखेंगे। जो अपने मन को सम्भालना सीख लें, जो अपनी मनोस्थिति को सम्भाल सकें वो ही पॉवरफुल हैं, वो ही भाग्यवान हैं। उनकी परिस्थितियां जल्दी ही सम्भल जाती हैं। जो समय आ रहा है अगले आठ-दस सालों का, इसमें हर मनुष्य को बहुत कुछ देखना है। ईश्वरीय ज्ञान के द्वारा जानते हैं प्रभु की प्लैनिंग क्या है आगे की। हम जानते हैं उसे युग बदलना है। इसलिए बहुत कुछ वो होगा जो आपकी कल्पनाओं में नहीं। जिसके बारे में कभी आपने स्वप्न में भी नहीं सोचा उसे एक्सेप्ट करके ही अब आगे बढऩा है ताकि मानसिक रोग किसी को न हो पायें। ज्य़ादा सोचेंगे कि ये क्या हो गया, मैंने ऐसे क्या पाप कर्म किये, हे भगवान तूने मुझे सज़ा क्यों दी? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था? ऐसे-ऐसे भी लोग कहते हैं। इसमें भगवान का कोई दोष नहीं। वो तो हमारे लिए रास्ता बना देता है, उससे जुड़ जायें, उसका शुक्रिया करें, नया रास्ता खोल देगा। पास्ट को पूरी तरह भूला देना है। ये पास्ट की याद मानसिक रोगों को बढ़ावा दे रही है। युवकों में तो ये बहुत हो रहा है। अफेयर्स फेल हो रहे हैं, बार-बार याद करते हैं, ये-ये वायदे किए थे, ये-ये उसने वचन दिया था। देखा कितना प्यार था, कैसे धोखा दे दिया मुझे। मैं तो हँसी में कहा करता हूँ लड़कियों को कि जो तुम्हें प्यार कर रहा है वो और दो-चार को भी कर रहा है, ज़रा सम्भल कर रहो। तब तो उनको बुरा लगता है कि मैं क्या कह रहा हूँ। लेकिन जब समस्यायें सामने आती हैं तब उनकी आँख खुलती है कि हमने तो समझा ही नहीं था। क्योंकि इस संसार में ऑनेस्टी तो कहीं नहीं है, लॉयल्टी कहीं नहीं है, वफादारी कहीं नहीं है, धोखा ही धोखा है। इसलिए सोच समझ कर आगे बढ़ें नहीं तो आप मानसिक रोगों के शिकार हो जायेंगे। मनोवैज्ञानिकों ने जो सर्वे किया उसमें पाया कि संसार के अनेक लोग 70 प्रतिशत पास्ट में जी रहे हैं। कोई कहता है 80 प्रतिशत पास्ट में जी रहे हैं। और सभी लोगों को कोई न कोई पास्ट तंग करता है। लेकिन जब हम ईश्वरीय ज्ञान लेते हैं तो हमें वर्तमान को एन्जॉय करने की ताकत मिल जाती है, हम पास्ट को भूलने लगते हैं। वर्तमान में इतना ईश्वरीय सुख मिलने लगता है, इतना ज्य़ादा परमात्म प्यार मिलने लगता है। आप सोचेंगे कि शायद हम गपशप लगा रहे हैं, नहीं, ये सत्य है। भगवान आकर अपने बच्चों को सम्भाल रहे हैं, बल दे रहे हैं, ज्ञान दे रहे हैं, बच्चे ये न सोचो, ये सोचो। जो कुछ पास्ट तुम्हारा बिता है, जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ है वो भिन्न-भिन्न कर्मों का ही खेल था, वो पूरा हुआ, आगे बढ़ो। कर्मों का हिसाब किताब चुक्तू हो गया। पास्ट में नहीं रहो, नहीं तो पास्ट की कड़वाहट वर्तमान के सुख से वंचित करेगी और भविष्य को भी कड़वाहट से भरती जायेगी। तो सावधान होकर पास्ट से बाहर आ जायें सभी। युवक भी, बुजुर्ग मातायें भी, और भाई लोग भी। मैं आप सभी को कहना चाहता हूँ ईश्वरीय ज्ञान लें, स्ट्रेस फ्री लाइफ व्यतीत करें। नहीं तो बढ़ता हुआ स्ट्रेस आपको मानसिक रोगों की ओर धकेल देगा। कोई आपको नहीं बचा सकेगा। हम आपको पहले ही कह चुके हैं। फिर इस समय मनुष्य का मन बहुत कमज़ोर है। वो ज्य़ादा प्रेशर सहन नहीं कर सकता, इसलिए अपने घर में प्रेशर का माहौल न बनायें। कई मातायें बच्चों पर बहुत प्रेशर रखती हैं पढ़ाई का। थोड़ा हल्का करें। मैं ये नहीं कह रहा उन्हें अलबेला कर दें, केयरलेस बना दें। केयरफुल भी करें, उनको सावधान भी करें लेकिन प्रेशराइज्ड न करें कभी भी। बच्चे कोमल होते हैं, अगर कोई बात उनके दिमाग को दबा गई, प्रेशर डाल गई तो उनका जो विकास है, बुद्धि का विकास वो रूक जायेगा। बच्चों को जब आप नींद से उठाओ तो तीन बार बुलवाओ मैं बुद्धिमान हूँ, मैं बहुत शक्तिशाली हूँ, मैं स्ट्रेस फ्री हूँ, तीन बातें तीन बार उठते ही, वो आँख मल रहे हों तभी बुलवा दें। सब्कॉन्शियस माइंड उसे स्वीकार करेगा। और बहुत सारी चीज़ें समाप्त हो जायेंगी। तो अपने परिवार में माताओं का काम है, भाइयों का तो है ही। पर माताओं को मैं कह रहा हूँ बहुत खुशी और आनंद का माहौल बनाकर रखें, प्रेशर का नहीं। तो आपके परिवार में मानसिक रोग फटकेंगे नहीं।