गृहस्थ में रहते आनंदित कैसे रहें

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गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए भगवान की आज्ञाओं पर चलना, श्रीमत पर चलना ये बहुत आवश्यक है। जब हम उनकी आज्ञाओं पर चलते हैं तो वो निश्चित रूप से हमसे प्रसन्न होंगे, जैसे सब जगह होता है। कॉमन बात है। बच्चे माँ-बाप की आज्ञाओं पर चलेंगे तो माँ-बाप बहुत खुश होंगे। प्यार करेंगे, मदद करेंगे। हमें भगवान की आज्ञाओं का पालन करना है। हमसे ये नहीं हो सकता। हम तो गृहस्थ में हैं। गृहस्थ का बोझ तो बहुत ज्य़ादा है। ये सब हमें नहीं सोचना है। भगवान की मदद मिल रही है। आप एक कदम आगे बढ़ेंगे वो हज़ार कदम आगे बढ़ेगा अर्थात् बहुत ज्य़ादा मदद करेगा आपको। इसलिए ध्यान देंगे कि अन्तिम समय आकर पहुंच गया है, स्वयं को कहीं उलझाना नहीं है। मोस्ट इम्र्पोटेंट फैक्टर है जीवन का। बहुत सारे लोग अभी भी समय की नाजुकता को समझ नहीं रहे हैं। समय की गति बहुत गहन है। हम स्वर्णिम युग की ओर भी चल रहे हैं और कलियुग की समाप्ति की ओर भी। निश्चित ही कलियुग समाप्त होगा तभी तो स्वर्णिम युग आयेगा। और हम अपने को उलझा दें काम धंधों में तो ये भी तो कोई बुद्धिमानी नहीं है।
धन के पीछे बहुत भागना, मेरा साथी तो इतने करोड़ों का मालिक बन गया, मैं भी बन जाऊं। इससे अच्छा विचार है कि स्वयं भगवान मुझे जन्म-जन्म का भाग्य देने आया है, मैं संसार में सबसे अधिक भाग्यवान बन जाऊं। मुझे अथाह सम्पदा देने आया है उससे सबकुछ प्राप्त कर लूं। ये जीवन सुखों में बीतने लगे, शांति में बीते, प्रेम, खुशियों में बीते और विशेष बात कि हम शक्तिशाली बन जायें। शक्तिशाली बनकर फिर समस्याओं के सामने जायें तो फिर समस्यायें आपे ही भाग जायेंगी। हम कमज़ोर हो जाते हैं तो समस्यायें पॉवरफुल दिखाई देती हैं। उनका फोर्स बढ़ जाता है। तो सभी गृहस्थ व्यवहार में रहने वालों को ये सैम्पल दिखाना है, ये देखें कि ये भी तो गृहस्थ व्यवहार में रहते हैं। ये भी तो काम धन्धा करते हैं लेकिन ये भी तो कितने खुश हैं। जो कमाकर लाये हैं उसमें आनंदित हैं। जो नहीं मिला नॉ प्रॉब्लम। ऐसा अपना मन बना लें। मेहनत करें कमाने की।
बहुत लोग करोड़पति बनने के चक्र में बहुत सारा लोन लेकर फिर उसे उतार नहीं पाये कभी। पूना में भी ये हुआ, बहुत सारा पैसा लोन में ले लिया पाँच-पाँच करोड़ ले लिया। बहुत अच्छी सैलरी थी, बहुत अच्छा जीवन चल रहा था लेकिन बहुत धनवान बनने के चक्र में फंस गये बहुत बुरी तरह। अब चिंतायें सताती हैं, नींद नहीं आती। पाँच करोड़ एक कॉमन मैन के लिए तो हिमालय पहाड़ जैसा है, जो गिर जाये तो नष्ट कर दे। ऐसा नहीं करना है। खुश रहना, संतुष्ट रहना। ये समय ही बहुत इम्र्पोटेंट है, भगवान इस समय देने आ गया। और सतयुग में तो इतनी अथाह धन-सम्पदा होगी जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। पैसा, धन, सम्पदा गिनने की ज़रूरत ही नहीं होगी। मकान तो कितने-कितने बड़े होंगे एक-एक के पास। महल जैसे ही होंगे, वो भी सोने-हीरे लगे होंगे। तो हम थोड़ा-सा अन्तर्मुखी होकर अपने को शांत और सन्तुष्ट करें।
एक परिवार आया, सात-आठ एक ही परिवार के लोग। लडक़ी ज्ञान में थी अच्छी पढ़ी-लिखी। सबने ज़ोर लगाया शादी करनी है। कन्या को घर में कैसे रखेंगे। बात तो लोगों की ठीक होती है। शादी कर दी, छह मास में घर आ गई है वापिस। मुश्किलात हो गई है। फिर से एडमिशन लिया है, फिर से आगे की पढ़ाई शुरू कर दी है। अब कह रही है कि मैं वहाँ नहीं जाऊंगी। मुझे अपना ईश्वरीय जीवन ही श्रेष्ठ बनाना है। देखिये ये सब हो रहा है। समय की सूक्ष्मता को पहचानेंगे। आप सब ज्य़ादा देख रहे होंगे मेरे से। साथियों का क्या हो रहा है। भारत में तलाक की समस्या कितनी विकराल होती जा रही है। क्योंकि इस समय ही सभी के हिसाब-किताब भी चुक्तू होकर समाप्त होने को आयेंगे तो बहुत कुछ बातें आयेंगी। वो बिल्कुल नहीं होगा जो हम चाहते हैं। तो थोड़ा-सा समझदार बनेंगे। हल्का करेंगे अपने को।
मैं सभी गृहस्थ वालों को कहना चाहूंगा, अपने पुरुषार्थ की कुछ एक सरल प्लानिंग करके चलें। पिछले अंक में हमने कहा सवेरे उठकर ईश्वरीय सुख प्राप्त करना, उससे कनेक्ट हो जाना। अपने को सुन्दर संकल्पों से चार्ज कर लेना। और फिर ईश्वरीय महावाक्यों का परम सुख प्राप्त करना। रोज़ ऐसा होता है कि भगवान हमसे बातें करता है। कुछ हमें याद दिलाता है। उस रस में आप आयेंगे तो आपकी स्पिरिचुअल शक्तियां बढ़ेंगी। आपके कारोबार सहज सफल होंगे। ये कनेक्शन सभी को याद रखना है। हमारी मानसिक स्थिति, हमारी योगयुक्त स्थिति जितनी बढ़ेगी हमारे कार्य उतने ही सहज और सरल होते जायेंगे। जीवन उतना ही सरल होगा। हर कदम पर सफलता मिलेगी। और अगर विघ्न आयेंगे तो हम उन विघ्नों को हँसते-हँसते पार कर लेंगे। हर विघ्न हमें देकर जायेगा कुछ न कुछ गिफ्ट। हमें कुछ सीखाकर जायेगा, अनुभव देकर जायेगा।
इसके बाद जो हम कर्मक्षेत्र पर आये हैं, किसी को बिजनेस पर जाना है, किसी को जॉब करनी है। माताओं को भी आजकल नौकरियों पर जाना है, बच्चों को स्कूल भेजना है। काम थोड़ा भारी भी हो जाता है मातृ शक्ति के लिए। लेकिन इन सबको एन्जॉय करें। देखो बिल्कुल पुरुषार्थ की सहज विधि एक अभ्यास। आज आपने अभ्यास ले लिया मैं आत्मा इन आँखों से देख रही हूँ, सारा दिन, हर घंटे में एक-दो बार ये अभ्यास करें। कभी भूलेंगे, कभी याद आयेगा, बढ़ती जायेगी प्रैक्टिस। अगले दिन का अभ्यास ले लें कि मैं आत्मा इस तन में अवतरित हुई हूँ, तीसरे दिन ले लिया मैं शिव शक्ति हूँ, इष्ट देवी हूँ। इस तरह प्लान बना लो छह-सात दिन का। तो सहज मन व्यर्थ से मुक्त होगा। मन की स्पीड स्लो डाउन होगी। ऐसा करेंगे तो बहुत आनंदित जीवन हो जायेगा।

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