प्रश्न : मैं वंदना, यूपी से हूँ। मेरी ये समस्या है कि मेरी एक खास फ्रेंड की फैमिली मेरी पास्ट में की गई कुछ भारी गलतियों के कारण मुझसे बात नहीं करने देते मेरी उस फ्रेंड के साथ। मुझे करेक्टरलेस मानते हैं। मेरा उससे लगाव है। अब मैं क्या करूँ, मैं बहुत ज्य़ादा दु:खी हूँ और डिप्रेशन में हूँ। मैं कैसे उनकी फैमिली की सोच को बदलूं?
उत्तर : मनुष्य से जब ऐसी गलती हो जाती है और उनके परिवार वालों को पता चल गया तो डेफिनेटली उनका दृष्टिकोण बदल ही जाता है। और वो ये चाहेंगे कि हमारे बच्चे अब उनके संग में न जायें। पर अभी आपकी भावनायें बदल गई हैं, आपका कैरेक्टर मान लो कैसा भी रहा हो, अब आपने अपने कैरेक्टर को सुधार लिया है। और आप चाहती हैं कि अब फिर से हमारा उस परिवार से अच्छा सम्बन्ध हो जाये। अगर आपने अपने आपको सुधार लिया है या फिर कोई थोड़ी कमी रह गई है तो आप अपने को ऐसा करें कि आपका इफेक्ट दूसरों पर न पड़े। जैसे एक अगरबत्ती की सुगंध एक घर की दुर्गन्ध को नष्ट कर देती है, दुर्गन्ध चाहे कितनी भी भयानक हो लेकिन सुगंध उसकी सबसे अच्छी दवाई है। वायब्रेशन्स बहुत अच्छे हो जाते हैं। किसी के बुरे वायब्रेशन्स भी बदल जाते हैं। ये बात सभी के लिए बहुत उपयोगी होगी।
कई बार ऐसा होता है एक व्यक्ति के बारे में 50 लोग गलत बातें कर रहे हैं, अब जब ये सुनता है कि 50 लोग मेरे बारे में गलत बोल रहे हैं, तो कई बार ऐसा होता भी नहीं है छोटी-सी बात होती है और एक एज हमारी ऐसी होती है छोटी सी गलती हो जाती है तो एक धब्बा, एक छाप, एक बुरी पहचान हमारी बन जाती है। ये वैसे ही हो जाता है। कपड़ा सफेद और उस पर थोड़ा-सा दाग वो चमकता तो है ही। इसलिए विशेषकर कन्याओं का जीवन जोकि पवित्र होना चाहिए, आज है नहीं वो अलग बात है। तो इसीलिए वो ऐसी बातों से अपने बच्चों को दूर रखना चाहते हैं। तो मैं बात बता रहा था कि जब 50 लोग बातें बना रहे हों तो मनुष्य ये सब सुनकर परेशान हो जाता है। और मतलब उसके ऊपर एक ऐसा दबाव, एक ऐसी निराशा और निगेटिविटी उसके ब्रेन में समा जाती है, वो सोच नहीं पाता कि इसका मैं क्या करूँ। इसलिए आपको चाहिए कि बहुत अच्छे वायब्रेशन्स आप क्रियेट करें। राजयोग अगर आपने नहीं सीखा है तो आप सीख लें। थोड़ा राजयोग का रोज़ अभ्यास करें और स्वमान की प्रैक्टिस करें। देखिए एक व्यक्ति कितना भी बुरा हो लेकिन जब वो अच्छा बन जाता है जैसे उसकी बुराई का प्रचार हो जाता है, उसकी अच्छाई का भी प्रचार हो जाता है। जैसेे हमारी मनोस्थिति बदलेगी, लोगों के विचार भी बदलेंगे। दूसरा आपको एक और अच्छा अभ्यास करना चाहिए, सवेरे हम जो अपने दर्शकों को जो बार-बार सीखा रहे हैं, ये बहुत सुन्दर टैक्निक है। हमारे पास रिज़ल्ट आते रहते हैं कि इससे कैसे शत्रु भी मित्र बन जाते हैं। आप रोज़ सवेरे उठकर 10 मिनट मेडिटेशन करने के बाद ये अभ्यास करेंगी, सात बार मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। और उस परिवार की सभी आत्माओं को सामने देखते हुए उनसे माइंड टू माइंड बात करें। जैसे, मैं वैसी नहीं हूँ जैसा समझ रहे हैं। अब मेरा जीवन बदल गया है। ठीक है मेरे से कोई गलती हुई थी मैंने उसे स्वीकार करके अपने को चेंज कर लिया है। अपने विचारों को फिर से प्युरिफाय कर लिया है। अब मैं श्रेष्ठ पथ पर आ गई हूँ। अब आप भी मेरे प्रति विचार बदल लो। आप तो बहुत बुद्धिमान हो, समझदार हो। मैं इसकी फ्रेंड थी और हूँ। आप डरो नहीं कि मेरे संग में आकर ये कुछ बुरा सीखेगी। हम दोनों गुड फ्रेंड बनेंगे और हम दोनों अपने जीवन को प्युरिफाय करेंगे। हम अच्छाइयों के मार्ग पर चलेंगे, हम महान बनेंगे। ऐसे विचार आप रोज़ सवेरे एक टाइम फिक्स करके जैसे पाँच बजे उस परिवार को देंगी माइंड टू माइंड तो उनके एटीटयूड्स भी धीरे-धीरे बदलते जायेंगे। जो मनुष्य अपनी गलती को स्वीकार कर ले, ये एक मनुष्य के निर्मल दिल की पहचान है। बहुत लोग अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते और छिपाते भी हैं ये उनके अहम की पहचान है। अगर किसी ने बहुत बड़ी गलती कर ली हो और वो उसे एक्सेप्ट करके उसे चेंज कर लेता हो तो भगवान भी उसपर राज़ी होता है। और उसकी ओर से भी उन्हें स्पेशल शक्तियां मिलती हैं। आपके साथ हम सबकी दुआएं हैं, आपकी जो इच्छा है वो बहुत जल्दी पूरी हो जायेगी।
प्रश्न : मैं विक्रोली मुम्बई से हूँ। मैं शराब का बहुत ज्य़ादा आदी हूँ। एयरपोर्ट में सुपरवाइज़र हूँ। मैं 6 बार हॉस्पिटलाइज़ भी हो चुका हूँ। छोड़ देता हूँ बार-बार लेकिन फिर से तलब होती है तो मैं फिर से शुरू कर देेता हूँ। सेवाकेन्द्र पर मुझे बहनजी बुलाती हैं लेकिन मैं सोचता हूँ कि मैं क्या मुंह लेकर वहाँ जाऊं, बाबा को क्या मुंह दिखाऊं! लेकिन पीएम टीवी रेग्युलर देखता हूँ। क्या ये मेरी शराब की लत छूट सकती है?
उत्तर : आप ये जानते ही हैं कि शराब पीना ठीक नहीं है। इससे क्या-क्या नुकसान होता है, ये आपको पता ही है। किसी का लीवर खराब हो जाता है, किसी की किडनी खराब हो जाती है। और ब्रेन तो खराब होता ही है। बहन जी अगर बुलाती हैं तो आपको जाना ही चाहिए इसमें लज्जा की क्या बात है। अपनी बात बता देनी चाहिए कि मेरी पीने की आदत छूट नहीं रही है, आप छुड़ाओ। डॉक्टर के पास भी तो जाना ही पड़ता है ना। एक तो हमारे यहाँ होम्योपैथिक मेडिसिन है, अगर विक्रोली में न हो तो आबू से आपको मंगा लेनी चाहिए। उसके खाने से शराब पीने की जो तलब लगती है वो समाप्त हो जाती है। इसके साथ-साथ कुछ बातें रोज़ याद करेंगे उठते ही, जब आप उठेंगे, आपने रात को शराब पी भी होगी लेकिन सुबह आपका नशा उतर चुका होगा। तो उठते ही आपको एक गिल्टी फीलिंग होती होगी। क्योंकि आपने ज्ञान लिया है। ये तो मुझसे फिर से हो गया। मुझसे तो छूटती ही नहीं है। ये सब संकल्प न करके आपको उठते ही संकल्प करना है कि मैं तो देवकुल की महान आत्मा हूँ। सात बार करेंगे। मैं तो देवकुल ही पवित्र आत्मा हूँ। मेरे अन्दर तो देवत्व है। सात बार ये संकल्प करेंगे। दूसरा सात बार संकल्प करेंगे मैं आत्मा परम पवित्र हूँ। तीसरा संकल्प करना है मेरा पिता पवित्रता का सागर है। ये तीन बातें याद करने से आपको बहुत बल मिलेगा। जैसे ही आप याद करेंगे मैं तो देवकुल की महान आत्मा हूँ तो देवकुल के संस्कार आपके अन्दर इमर्ज होंगे। और उससे ये तलब जो लगती है वो धीरे-धीरे शांत हो जायेगी। अगर आपको ईश्वरीय नशा चाहिए तो आपको ये नशा तो त्याग करना ही पड़ेगा। लेकिन आपकी त्याग करने की इच्छा है ये बहुत अच्छी बात है। और जहाँ ये इच्छा प्रबल होती है वहाँ स्पिरिचुअलिटी मनुष्य को तुरंत फायदा करती है।