अन्दर से अभिमान और निराशा को निकाल सच्चाई, प्रेम और विश्वास को भरो

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जो जिस लक्ष्य में निश्चय रखते हैं, उस अनुसार वह लक्षण आते ही हैं। जिसका साथी है भगवान उसको क्या करेगा आंधी और तूफान, इसमें निश्चय की बात नहीं है। निश्चयबुद्धि है उसका प्रैक्टिकल अनुभव किया है। उसी अनुभव से हम कहते हैं तो उसमें विश्वास बैठता है। सच्चाई, प्रेम, विश्वास अन्दर से न सिर्फ बीज पड़ा है बल्कि उसका फल खा रहे हैं। यह सच्चा नहीं है पर तुम सच्ची बनो। अन्दर से सच्चाई, प्रेम और विश्वास से सारा कार्य चल रहा है, इसी से कई कार्य सफल हुए हैं। मैंने ही किया तो यह अभिमान या मैं नहीं कर सकती हूँ तो निराशा, यह दो अवगुण सच्चाई, प्रेम और विश्वास का अनुभव करने नहीं देते हैं। जो मेरे से औरों को भी फल मिले, जो बाबा कहता है इसके लिए पुरूषार्थ करना पड़े। दादियों में कोई ज्य़ादा पढ़ा लिखा नहीं है लेकिन सच्चाई, प्रेम और विश्वास से आज यह अव्यक्त पालना हो रही है। तो हम लोगों में जो निश्चय का बल भरा है, उनसे अनेक प्रकार की बेहद सेवायें हुई हैं, अन्त तक होती रहेंगी।
गति-सद्गति दाता बाप है। उसने माताओं, शक्तियों को आगे रखा है। निश्चय का यह प्रैक्टिकल सबूत है कि उनका रिकॉर्ड अच्छा होगा और वही बड़ों का रिगार्ड रखेंगे। पूर्वजों को रिगार्ड देने से उनके सूक्ष्म वायब्रेशन बड़ी शक्ति दे रहे हैं, सब शक्तियां हाजि़र हैं। कमज़ोरी की बातें न सुनना, न सुनाना। कोई भी सरकमस्टांश(परिस्थितियां) आदि की लम्बी बात नहीं करना क्योंकि बाबा कौन है? कैसा है? क्या खुद करता है? कैसे कराता है? यह कभी बैठके सोचो, ज्ञान की गहराई में जाओ तो यह सारी बातें आपेही खत्म हो जायेंगी। यह है प्रभु लीला। तो ऐसे परमात्मा के अन्त में जाना, बेअन्त खुशी को पाना, जिसका कोई पारावार नहीं। तो सुख नहीं कहेंगे, बेअंत खुशी, वह खुशी बांटेगा। कोई भी उसके सामने आयेगा तो वह खुशी देगा। इतना खुशी जो बेफिकर बादशाह, बिगर कौड़ी बादशाह प्रैक्टिकली बाबा ने प्रमाण बनाया है। निश्चय से विजय पाई है, सच्चाई से यहाँ पहुंचे हैं, तो सम्भलके बोलो, सम्भलके सोचो। रीस नहीं करो, रेस भले करो।

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