प्राप्ति के आधार से प्यार का संबंध

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बाबा कहते हैं अभी तो यह कहो कि याद करना मुश्किल नहीं लेकिन भूलना मुश्किल है। क्योंकि प्राप्ति के आधार पर दिल ने माना मेरा बाबा है।

कई बड़ी-बड़ी बातें सुनकर डर जाते हैं। कहते हैं इतना करना पड़ेगा! मेरे से नहीं हो सकेगा। बाबा के पास आये हैं, दाता के पास आये हैं तो दो मु_ी भरकर खुश हो रहे हैं! अरे, पूरी झोली भरो ना। दिलशिकस्त इसीलिए होते हैं क्योंकि बाबा का साथ अनुभव नहीं होता। कम्बाइन्ड नहीं हैं। हम कितने भी कमज़ोर हैं लेकिन बाबा कमज़ोर नहीं है, वह सर्वशक्तिवान है। तो हम अपने को अकेला क्यों समझते हैं। दिलशिकस्त होने के कारण कई बार कह देते हैं कि आप समझ लो, मैं ऐसे ही चलूंगी, मेरा भाग्य इतना ही है, चाहे मैं लक्ष्मी-नारायण बनूं या नहीं, मैं तो ऐसे ही रहूंगी। लेकिन मैं कमज़ोर भी हूँ तो भी मेरा साथी सर्वशक्तिवान है- यह याद रहेगा तो मास्टर सर्वशक्तिवान बन जायेंगे।
एक है नॉलेज की रीति से दिमाग से पहचानने वाले, दूसरे हैं दिल से पहचानने वाले। तो दिमाग की रीति से हमने अगर बाबा को पहचाना है कि हाँ ठीक है, निराकार है, ज्योतिबिन्दु है, परमधाम में रहता है, ज्ञान का सागर है, प्यार का सागर है, ये शक्तियां हैं- यह हमने सिर्फ नॉलेज की रीति से, दिमाग से जान लिया कि बाबा ये है और दूसरा है जो मेरी दिल कहे कि हाँ, मेरा बाबा है। सिर्फ नॉलेज के आधार से प्यार नहीं पैदा होता। प्राप्ति के आधार से प्यार होता है। तो प्राप्ति को पहले सामने लाओ, सिर्फ बाबा-बाबा नहीं करो। प्राप्ति ऐसी चीज़ है जो किसी अन्जान से भी संबंध जुट जाता है। कहीं रास्ते में आपको ठोकर लग गई वहाँ आपका कोई भी नहीं है लेकिन किसी अन्जान ने आपको सहारा दिया तो आपके दिल का प्यार उससे हो जायेगा। क्योंकि प्राप्ति हुई। फौरन ही कहेंगे कि आपको हम जीवनभर नहीं भूलेंगे। कोई सम्बन्ध ही नहीं है और जीवनभर नहीं भूलेंगे! क्योंकि प्राप्ति हुई। तो बाप और बच्चे के सम्बन्ध को प्राप्ति के आधार से याद करो। बाबा ने मुझे क्या दिया! बाबा से क्या आनंद की अनुभूति हुई- उस प्राप्ति में डूब जाओ, उस अनुभव में खो जाओ, फिर आपको दिल से बाबा के प्यार का ऐसा अनुभव होगा जैसे कम्बाइन्ड चीज़ है जिसको कोई अलग नहीं कर सकता है। यह है दिल से बाबा को याद करना। बाकी नॉलेज के आधार से, दिमाग से याद किया तो नज़दीक अनुभव नहीं कर सकेंगे। थोड़े समय के लिए शान्ति मिलेगी, थोड़े टाइम के लिए सोल कॉन्शियस हो जायेंगे। सदाकाल के लिए नहीं। बाबा कहते हैं अभी तो यह कहो कि याद करना मुश्किल नहीं लेकिन भूलना मुश्किल है। क्योंकि प्राप्ति के आधार पर दिल ने माना मेरा बाबा है। जब दिल में कोई बात आ जाती है तो बहुत मुश्किल निकलती है। दिमाग तक होती है तो चेन्ज हो जाती है। आशिक-माशूक होते हैं तो एक-दो के प्यार में समा जाते हैं, कितना भी दुनिया चाहे उनको अलग कर नहीं सकती। ये तो हमारा बाबा है। तो दिल कहे बाबा तेरा शुक्रिया।

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