भोरा कलां: ओम शांति रिट्रीट सेंटर में मां जगदम्बा सरस्वती का 59 वाँ स्मृति दिवस

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– बड़ी श्रद्धा से मनाया गया मां जगदम्बा सरस्वती का 59 वाँ स्मृति दिवस
– ब्रह्माकुमारीज संस्था की प्रथम प्रशासनिक प्रमुख रही मां जगदम्बा सरस्वती
– मां जगदम्बा के शब्दों में थी जादुई शक्ति

भोरा कलां, गुरुग्रामहिरयाणा।
जगदम्बा सरस्वती जिन्हें ब्रह्मा की मानस पुत्री भी कहा जाता है। जिन्हें ज्ञान की देवी के नाम से जाना जाता है। ऐसी श्वेत वस्त्रधारिणी, हंसवाहिनी मां सरस्वती के श्रेष्ठ कर्मों की यादगार से शास्त्र भरे पड़े हैं। जगदम्बा मां सरस्वती के अलौकिक एवं दिव्य जीवन की एक झलक पाकर ही लोग खुद को धन्य समझते थे। मां जगदम्बा सरस्वती का लौकिक नाम राधे था। वर्ष 1936 में मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन ईश्वर को समर्पित कर दिया। उक्त विचार ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने व्यक्त किए। मां जगदम्बा के 59 वें स्मृति दिवस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान की पहली प्रशासनिक प्रमुख थी। यज्ञ माता के रूप में उन्हें विशेष स्थान प्राप्त था। उनका जीवन बहुत ही प्रेरक, सदाचारी, सेवाभावी और सरल था। मम्मा के साथ का अनुभव साझा करते हुए, उन्होंने कहा कि मम्मा कोई भी शिक्षा देने से पहले महिमा करती थी।

दिल्ली, सिरीफोर्ट सेवाकेंद्र निदेशिका राजयोगिनी गीता दीदी ने कहा कि मम्मा के शब्दों में जादुई शक्ति थी। मां जगदम्बा की अलौकिक छवि थी। उनके सामने आते ही व्यक्ति शांत भाव में स्थित हो जाता था। मम्मा पवित्रता की मूरत थी। 

गुजरात, अहमदाबाद से पधारी राजयोगिनी चंद्रिका दीदी ने कहा कि मम्मा वास्तव में गुणों का स्वरूप थी। उन्होंने अपने जीवन में ईश्वरीय ज्ञान को पूर्णतः उतारा। ओआरसी में आयोजित कार्यक्रम में सभी ने मां जगदम्बा को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। गीत और कविता के माध्यम से भी मां जगदम्बा के गुणों का बखान किया गया। कार्यक्रम में संस्था के अनेक सदस्यों सहित 600 से भी अधिक लोगों ने शिरकत की।

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