मन की बातें – राजयोगी ब्र.कु. सूरज भाई

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अनुभव
सावित्री गायकवाड़ पुणे, मैं ईश्वरीय विश्व विद्यालय से जुड़ी हुई हूँ। मेरी आंटी ने कुछ समय पहले सुसाइड कर लिया। इसके कारण मेरे अंकल बहुत डिस्टर्ब रहा करते थे। और रात को उन्हें बहुत डर लगा करता था। और अब जब मैंने उनसे बात की, अपने अंकल को बताया कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ और मैं निर्भय हूँ इसका अभ्यास कीजिए। उन्होंने अभ्यास किया इसका और दो ही दिन में चमत्कार ये हुआ कि उनके अन्दर का भय दूर हो गया और उन्हें नींद अच्छी आने लगी।

अनुभव
एक अनुभव आया कि एक कुएं में खारा पानी था। तो उसने क्या किया एक घड़ा पानी उससे निकाला और उसको दृष्टि देकर 21 बार संकल्प किया कि मैं परम पवित्र आत्मा हूँ और वापिस उसे कुएं में डाल दिया। रोज़ वो एक बार करने लगी। घड़ा भरे पानी का, दृष्टि देकर 21 बार संकल्प करे मैं परम पवित्र आत्मा हूँ। कुछ दिन करने के बाद ही कुएं का पानी मीठा हो गया। बड़ी खुशी से समाचार लिखा। हमने कहा कि ये तो बहुत अच्छा हुआ।

अनुभव
दिल्ली में गया सत्कार भवन,पुरानी दिल्ली, रेलवे स्टेशन के पास। एक युगल बहुत खुश, उसका पति जो था वो बहुत खुश। मैंने पूछा कि आप बहुत खुश नज़र आ रहे हैं। उसने बताया कि मेरी पत्नी को गले की तकलीफ कितने सालों से थी। न ठीक से बोल पाती थी, न सो पाती थी। भारी गला, एकदम दर्द तो चार्ज कर पानी पीना शुरू किया तो कुछ ही दिन में सारी बीमारी ठीक हो गई। सचमुच ईश्वरीय शक्तियां, स्पिरिचुअल एनर्जी बहुत बड़ी चीज़ है। जहाँ सबकुछ फेल हो जाता है, वहाँ अगर मनुष्य सच्चे दिल से, भावनाओं से, फुल एकाग्रता के साथ अभ्यास करता है तो सुन्दर-सुन्दर रिज़ल्ट आते हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं।

अनुभव
दर्शिल जोशी बताते हैं कि पहले मुझे बहुत गुस्सा आता था लेकिन जब से मैंने समाधान देखना शुरू किया है तो इमोशनली बहुत स्ट्रॉन्ग हुआ हूँ। और अब मैं बिल्कुल भी गुस्सा नहीं करता। आपको बहुत-बहुत शुक्रिया।

प्रश्न : मेरा नाम प्रशांत पोखरियाल है। मैं काठमांडू से हूँ। मेरा प्रश्न ये है कि क्या कोई ऐसा उपाय है कि जीवन में कोई समस्या ही न आये?
उत्तर : बिल्कुल ऐसा संसार आने ही वाला है। जिनके जीवन में कोई समस्या नहीं होगी। सचमुच समस्याओं को मनुष्य ने स्वयं ही क्रियेट किया है। अपने मनोविकारों से, अपने व्यसनों से। एक दिन मैं हॉस्पिटल में गया तो डॉक्टर के पास एक बूढ़ा व्यक्ति आ रहा था, बड़ा गिड़गिड़ा रहा। बहुत चोट लग गई थी हाथ में, सूजन हो गई थी। डॉक्टर ने पूछा क्या किया, तो उसने कहा कि साहब मैंने शराब पी ली थी और लड़ाई में मारपीट हुई तो उसने मुझे मारा है। डॉक्टर ने कहा कि जब आप शराब छोड़ेंगे तब ही दवाई दूंगा। तो उसने कहा कि आज से मैं कभी नहीं पिऊंगा। उनकी आदत बनी हुई है। लेकिन इन चीज़ों ने समस्याओं को क्रियेट किया है। वो इतना सूज गया था इसलिए वो इतना दु:खी था। अगर वो अच्छा व्यक्ति हो तो वो ना शराब पिए, न ही लड़ाई-झगड़ा करे। अगर हम सचमुच समस्याओं से मुक्त जीवन चाहते हैं, ऐसा कुछ नहीं है कि समस्याओं से मुक्त जीवन नहीं हो सकता है, होता है और बहुतों का है। ना बीमारियां बहुत परेशान करती हैं, सम्बन्धों में बहुत स्वीटनेस है। बच्चे, मात-पिता, सब एक-दूसरे के आज्ञाकारी, सब चरित्रवान, बिल्कुल घर में सुख, शांति, आनंद, प्रेम छाया रहता है। इसमें करना पड़ेगा स्नेह, सहयोग और सम्मान, एक-दूसरे के लिए। दूसरा अपनी दिनचर्या को ऐसा बनाना पड़ेगा कि हम ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की प्रैक्टिस के लिए समय दें अपने-आपको। अपने विचारों को बहुत पॉजि़टिव कर लें और लगातार स्वमान की सुन्दर प्रैक्टिस करते रहें ताकि हमारे विचार महान रहें। कई बार ऐसा होता है समस्यायें होती नहीं लेकिन मनुष्य समस्या फील करता है। हमारा सोचना इतना ब्रॉड हो जाये, इतना हम विशाल हो जायें कि ये तो रूटिन है, ये तो चलता ही रहता है। हम हर सिचुएशन को एन्जॉय करें। ऐसा जीवन बनाया जा सकता है।

प्रश्न : मेरा 21 साल का बेटा है और एक ही है। उसको कुछ तकलीफें थीं। डॉक्टर्स ने कुछ चैकअप के बाद बताया कि उसको कैंसर है और कैंसर भी लास्ट स्टेज तक पहुंच गया है। अभी उसकी मृत्यु निश्चित है। हम बहुत परेशान हैं, दु:खी हैं। क्या अध्यात्म और योग से कुछ मदद मिल सकती है?
उत्तर : आपको निराश बिल्कुल नहीं होना चाहिए, अभी उसकी मृत्यु को स्वीकार नहीं कर लेना है। राजयोग आपने न सीखा हो तो आप उसे ब्रह्माकुमारीज़ सेवाकेन्द्र पर जाकर सीख लें। क्योंकि स्पिरिचुअल पॉवर सबकुछ कर देती है। भक्ति का महामृत्युजंय मंत्र भी कईयों को मृत्यु के मुख से बाहर निकाल सकता है। मैंने अपने ही जीवन में दो केस ऐसे देखे हैं। महामृत्युजंय मंत्र का बहुत अच्छे विद्वान पंडितों ने जब अच्छा जाप किया, विधि-विधान पूर्वक, तो बच्चे जिनकी मृत्यु डिक्लेयर थी वो मृत्यु से बाहर आ गये और बहुत अच्छी स्थिति में हैं। और राजयोग तो उससे बहुत बड़ी चीज़ है। मैं कहूँगा उससे 100 गुणा अधिक पॉवर है राजयोग में। राजयोग माना भगवान की शक्तियां हमारे साथ काम करने लगती हैं। एक तो विज़न बनायें कि तीन मास में बच्चा बिल्कुल ठीक हो जायेगा। चार्ज करके उसको अच्छी तरह पानी पिलायें। बहुत भावना के साथ पानी को चार्ज करें। पानी को दृष्टि देकर मैं परम पवित्र आत्मा हूँ। कभी मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। भले ही थोड़ा-थोड़ा पानी पियें ताकि दस बार पी सकें।
दूसरा उसके ब्रेेन को एनर्जी देना। जो हम हमेशा विधि बताते ही रहते हैं। हाथों को मलते हुए याद करें 2-3 बार कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, और उसके ब्रेन पर रख दें। बीज हर बीमारी के ब्रेन में ही होते हैं। और संकल्प करें कि इससे इसका ब्रेन परफेक्ट हो जाये। और ये जो कैंसर है उसको नष्ट करे। एनर्जेटिक हो जाये। और आप अपने बच्चे को भी राजयोग मेडिटेशन सीखा दें। वो भी राजयोग मेडिटेशन करे और आप भी करें। एक घंटा सवेरे और एक घंटा शाम को। मतलब आप अपने आप को अपने बच्चे के लिए डेडिकेट कर दें, चिंता के बिना। क्योंकि चिंता से निगेटिव एनर्जी फैलेगी। उसको इतना खुश कर दें कि उसके अन्दर से आवाज़ आने लगे बस मैं ठीक हुआ कि हुआ, ये बीमारी गई कि गई। और घर में भी खुशी का माहौल बना दें, उदासी का नहीं। एक अच्छी स्थिति से यदि आप करेंगे तो हॉपफुल तीन मास में सबकुछ ठीक हो जायेगा। हम सबकी ब्लैसिंग्स हैं।

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