जीरे के औषधीय गुणों को जानें..

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आप सब्जी खाते हैं तो जीरा के बारे में ज़रूर जानते होंगे। जीरा के बिना शायद ही कोई सब्जी बनाई जाती होगी। जब भी कोई सब्जी बनाई जाती है, तो सबसे पहले जीरा का छौंक ही लगाया जाता है, आप भी जीरा का उपयोग करते होंगे और केवल इतना ही जानते होंगे कि जीरा का प्रयोग सब्जी में किया जाता है। यह नहीं जानते होंगे कि जीरा के प्रयोग से कई बीमारियों का उपचार भी किया जा सकता है। जी हाँ, आयुर्वेद में जीरा को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि बताया गया है और यह भी बताया गया है कि कैसे जीरा का सेवन कर अनेक रोगों की रोकथाम करने में मदद मिल सकती है। आप ज़रूर जानना चाहेंगे। आइए जानते हैं –

जीरे के फायदे:-

मतली और उल्टी में फायदा
सौवर्चल नमक, जीरा, शर्करा तथा मरिच का बराबर-बराबर भाग(2ग्राम) का चूर्ण बना लें। इसमें 4 ग्राम मधु मिलाकर, दिन में 3-4 बार सेवन करें। इससे मतली और उल्टी रूकती है।

सर्दी-जुकाम से राहत
सर्दी-जुकाम या पुरानी सर्दी से राहत पाने के लिए काले जीरे को जला लें। इसका धुआं सूंघने से फायदा होता है।
कफ से पीडि़त हैं तो जीरे का 10-20 मिली काढ़ा पीने से लाभ होता है।

बुखार उतारने के लिए
5ग्राम जीरे के चूर्ण को 20 मिली कचनार की छाल के रस में मिला लें। इसे दिन में तीन बार लेने से बुखार उतरता है।
5-10 ग्राम जीरे का पेस्ट और इतना ही गुड़ लें। इन्हें खाकर गुनगुना पानी पिएं। इससे कंपकंपी और ठंड वाला बुखार खत्म होता है।
बुखार में जीरे के काढ़े से गरारा करने पर भूख की कमी नहीं होती है।

दांतों के रोग में लाभ
दांतों के रोग सभी को हो सकते हैं। अगर आपको भी दांत में दर्द की परेशानी है, तो जीरे के इस्तेमाल से लाभ हो सकता है। काले जीरे का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतों के दर्द से राहत मिलती है।

दस्त रोकने के लिए जीरा का उपयोग
दस्त में भी जीरे का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है। अगर किसी को दस्त हो रहा है, तो उसे 5 ग्राम जीरे को भूनकर पीस लेना है। इसे दही, या दही की लस्सी में मिलाकर सेवन करना है। दस्त में लाभ होता है।

बच्चों को दस्त होने पर
बच्चे प्राय: दस्त से परेशान रहते हैं। जीरे का प्रयोग इसमें भी बहुत लाभदायक होता है। इसके लिए जीरे को भूनकर पीस लें। इसे एक चम्मच जल में घोलकर, दिन में दो-तीन बार पिलाएं। बच्चों को दस्त में फायदा होता है।

मलेरिया में जीरा के सेवन से लाभ
मलेरिया बुखार के लिए करेले के 10 मिली रस में, जीरे का 5 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है। 4 ग्राम जीरे के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर खाने से 1 घण्टा पहले लें। इससे मलेरिया और वात रोग ठीक होते हैं।

बवासीर में प्रयोग
5 ग्राम सफेद जीरे को पानी में उबाल लें। जब पानी एक चौथाई बच जाए, तो उसमें मिश्री मिलाकर सुबह और शाम पिएं। इससे बवासीर में होने वाला दर्द और सूजन ठीक होता है।

बिच्छू का विष उतारने के लिए प्रयोग
बिच्छू के काटने पर जीरे और नमक को पीसकर घी और शहद में मिला लें। इसे थोड़ा-सा गर्म कर लें। इसे बिच्छू के डंक वाले स्थान पर लगाएं। बिच्छू का विष उतर जाता है।

नुकसान:-

सीने में जलन
पेट गैस के लिए फायदेमंद जीरे का सेवन अगर ज्य़ादा मात्रा में कर लिया जाए तो यह हार्टबर्न यानी सीने में जलन की समस्या को ट्रिगर कर सकता है। दरअसल, जीरा बड़ी तेजी से गैस्ट्रोइंटसटाइनल ट्रैक्ट से गैस निकालने का काम करता है और इसी वजह से लोगों को हार्टबर्न की दिक्कत होती है। जिसकी वजह से कई बार व्यक्ति डकार से भी परेशान रहता है।
मासिक धर्म के दौरान जीरा खाने से अनेक फायदे होते हैं। लेकिन इस दौरान अगर जीरे का सेवन अधिक कर लिया जाए तो हैवी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।
ज़रूरत से ज्य़ादा जीरा खाने से ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है। ऐसे में अगर आप डायबिटीज या मधुमेह रोगी हैं तो जीरे का इस्तेमाल संतुलित मात्रा में ही करें।

उल्टी की समस्या
जीरे के पानी में नारकोटिक प्रॉपर्टीज पाई जाती है। ऐसे में अगर आप जीरे का सेवन ज्य़ादा मात्रा में करते हैं, तो आपको मतली और दिमाग से जुड़ी परेशानी हो सकती है।

लिवर डैमेज
जीरे में मौजूद तेल बहुत ज्य़ादा वाष्पशील होता है और यही कारण है कि इसके अत्यधिक सेवन से किडनी या लिवर डैमेज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। यही वजह है कि लोगों को जीरे का सेवन उचित मात्रा में करने की सलाह दी जाती है।

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