मन की बातें- राजयोगी ब्र.कु. सूरज भाई

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प्रश्न : मेरा नाम कामिनी है। मैं बीकॉम थर्ड ईअर की स्टूडेंट हूँ, बहुत मेहनत करने के बाद भी मेरे सेकेण्ड ईअर में 60प्रतिशत अंक ही आये हैं। मुझे फाइनल में अपना प्रतिशत बढ़ाना है, मैं क्या करूँ?
प्रश्न : मेरा नाम हंसराज हंस है, मैं इस बार 12वीं के एग्ज़ाम देने वाला हूँ, मेरे अन्दर ये चिंता है कि क्या होगा, मेरे अच्छे नम्बर आयें उसके लिए क्या उपाय है?
उत्तर: स्टूडेंट्स में ये घबराहट बड़ी खतरनाक है। और ये कईयों में रहती है। जो बहुत होशियार होते हैं वो तो बहुत कॉन्फिडेंट रहते हैं। मेरे तो इतने आयेंगे ही, कोई शक्ति नहीं जो मुझे रोक सके। कई लोग भाग्य को भी कोसते हैं। पीछे एक चर्चा चल रही थी। एक लडक़ी का बहुत अच्छा एग्ज़ाम हुआ था। नम्बर बहुत अच्छे आते थे। एक बार बहुत कम नम्बर आये। रिचैकिंग कराया। और पाया कि जो एग्ज़ामिनर था उसने कम नम्बर दिए थे जानबूझ के। उसने मेरे से पूछा कि केस करें उसपर? अब केस करें, केस तो उलझाने वाले हैं। ये तो है नहीं कि जज केस सुनेगा और फैंसला दे देगा, केस तो सालों-साल चलता रहता है। हमें अपने संकल्पों को पूरी तरह पॉजि़टिव रखना है। हमें सफलता मिलेगी, जितना हम चाहते हैं उतना हमारा आयेगा। देखिए केवल संकल्प से ही काम नहीं होता है। एक स्टूडेंट को अच्छी मेहनत की बहुत आवश्यकता होती है। रोज़ सवेरे उठकर दोनों स्टूडेंट्स मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। ये सात बार याद करें। बहुत अच्छा होगा कि आप विज़न बना लें कि माक्र्स लिस्ट हाथ में आ गई है और टोटल माक्र्स इतने परसेन्ट हैं। एक तो ये करेंगे।
दूसरा, बहुत अच्छा अभ्यास जो हम स्पिरिचुअल प्रैक्टिस में करते हैं और सिखाते हैं। मैं आत्मा हूँ, मैं मालिक हूँ, स्वराज्य अधिकारी हूँ। यानी इस तन की भी मालिक हूँ और मन-बुद्धि की भी मालिक हूँ। तो हर पीरियड में अभी से अपने मन-बुद्धि को आदेश देंगे, हे मन! अब तुम शांत रहना, हे मेरी बुद्धि, टीचर जो लेक्चर पढ़ाये उसे साथ-साथ याद कर लेना, ग्रहण कर लेना। और एग्ज़ाम के समय इमर्ज कर लेना। हर पीरियड में ये प्रैक्टिस करने की आदत डाल दें ज़रा। मैं स्वराज्य अधिकारी, मैं मास्टर सर्वशक्तिवान, मैं निर्भय हूँ। मन-बुद्धि को आदेश देना, इससे आपकी बुद्धि की मेमोरी पॉवर, बुद्धि में ग्रहण शक्ति है यानी जो हम सुनते हैं, जो हम पढ़ते हैं उसको ग्रहण करती है। अपने में धारण करती है। इसको धारण भी कहते हैं। ये दो अभ्यास अगर आप करेंगे तो सफल होंगे। और एग्ज़ाम से डर बिल्कुल न हो। ये बहुत इम्पोर्टेन्ट चीज़ है। अपने में कॉन्फिडेंस रहे, कैसा भी पेपर आयेगा हम सक्सेसफुली उसे सॉल्व करेंगे। और हमारे इतने मार्क्स आयेंगे ही। तो पेपर देने के लिए विद कॉन्फिडेंस एंड एन्जॉयमेंट जायें। पेपर देने को भी एन्जॉय करेंगे।
एक चीज़ माँ-बाप को भी अपने बच्चों को टेंशन नहीं देनी चाहिए। कहो कि तुम बहुत अच्छा करो, तुम्हारे बहुत अच्छे माक्र्स आयेंगे। और जितने भी आयेंगे उनको एन्जॉय करेंगे। परेशान होने की क्या ज़रूरत है। माँ-बाप को भी हल्का कर देना चाहिए। ये दबाव नहीं कि इतने आने ही चाहिए। टेंशन से तो व्यक्ति के ब्रेन की शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। टेंशन में तो वो कुछ भी पढ़ रहा हो उसको ये भी पता नहीं चलेगा कि वो पढ़ क्या रहा है। टेंशन तो एक शत्रु है स्टूडेंट का। स्टूडेंट को तो बहुत लाइट, हैप्पी और स्टेबल माइंडेड होना ही चाहिए।
प्रश्न : मेरा नाम सुनीता है, मैं हैदराबाद से हूँ। सात साल से मैं आईटी कंपनी में हूँ। लेकिन मेरे बॉस का व्यवहार मेरे साथ ठीक नहीं रहता। मुझे ऐसा लगता है कि दूसरों को तो वो ज्य़ादा त्वज्जू देते हैं शायद मुझे नहीं देते। कलीग्स के साथ भी मेरी अनबन बनी रहती है, तो ऑफिस में ऐसा लगता है कि जैसे एक संग्राम की स्थिति है। मैं चाहती हूँ कि वहाँ से स्थान परिवर्तन कर लूं, कृपया मार्गदशर्न करें?
उत्तर : मनुष्य जब तक दूसरों को जि़म्मेदार ठहरायेगा अपनी किसी बात के लिए तब तक ना तो वो अपने को चेंज कर पायेगा और न ही अपना विकास कर पायेगा। तो बॉस भी इनसे खुश नहीं या गलत व्यवहार करता है। साथी भी इनसे गलत व्यवहार करते हैं। तो ऐसा कभी नहीं होता कि किसी व्यक्ति से सभी गलत व्यवहार करें। तो कहीं न कहीं ज़रूर आपकी कोई मिस्टेक है। आपको अच्छे स्वमान का अभ्यास करके अपनी मिस्टेक को पहचानना चाहिए। मेरी कहाँ कमज़ोरी हो रही है। मैं काम गलत करती हूँ या रिस्पॉन्स अच्छा नहीं देती हूँ। या मेरे व्यवहार में कोई कमी है जो मुझसे लोग चिढ़ते हैं। या मैं बहुत योग्य हूँ जिसके कारण लोगों को ईर्ष्या हो रही है।
तो मुझे एक बैलेन्स रखना चाहिए कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं बहुत योग्य हूँ और उसका थोड़ा-सा अभिमान भी मुझे है तो भी लोगों को चिढ़ होती है। इसलिए अपने साथियों से एक बैलेन्स लाइफ बिताना, उनको भी सम्मान देना, अच्छा व्यवहार करना ये भी एक अच्छी बात है। तो आपको अपने अन्दर की ओर देखना होगा। और अपने को चेंज करना होगा। और कुछ दिनों तक आप अपने को साइलेंट कर दें। मन को भी पीसफुल कर दें। और एक स्वमान का अभ्यास करें। मैं एक महान आत्मा हूँ, अपने ऑफिस में भी ये अभ्यास कम से कम दस बार करें। मैं इस सृष्टि की एक महान आत्मा हूँ। और ये मेरे साथी हैं या बॉस हैं वे बहुत अच्छी आत्मा हैं। इस तरह के अभ्यास करने से आपके अन्दर से चेंज आयेगी। अगर कोई कमी काम कर रही है तो बदल जायेगी। और दूसरे भी सब अच्छे हैं इस फीलिंग के कारण अच्छे वायब्रेशन आपसे उनको जायेंगे और फिर उनके वायब्रेशन भी बदल जायेंगे। स्थान परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि जिस दूसरे स्थान पर आप जायेंगी फिर वही कठिनाई वहाँ भी आयेगी। कई लोगों के अनुभव से हम जानते हैं कि स्थान परिवर्तन से स्थिति परिवर्तन कभी नहीं होती है। इसलिए स्थिति को परिवर्तन करो तो स्थान को परिवर्तन करने की आवश्यकता ही नहीं है।

अनुभव
मेरा नाम निशु है। मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आपने हमारी समस्या के लिए जो कुछ समाधान बताये थे वो काम सफल हो चुके हैं। मेरी मम्मी का घर सेल हो गया है और पापा ने जो लोन लिया था और जो भी फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स थी वो सब सॉल्व हो गई हैं। अभी हम अपने नये घर में भी शिफ्ट हो गये हैं। तो आपने जो अभ्यास हमें दिए थे, समाधान से जो कुछ भी हमें मिला है, जो हमने पाया है उसके लिए समाधान परिवार का और भ्राता जी का बहुत-बहुत शुक्रिया।

राजयोगी ब्र.कु. सूर्य भाई जी
आपको बधाई हम सबकी ओर से। आपकी सभी समस्याएं समाप्त हो गईं। स्पिरिचुअल पॉवर एक ऐसी चीज़ है जो हर चीज़ का समाधान निकाल देती है। ये राजयोग मेडिटेशन हमारे सब्कॉन्शियस माइंड को बहुत पॉवरफुल बनाने की विधि है। इसका प्रभाव दूसरों पर भी बहुत अच्छा होता है। सभी को इसी तरह स्पिरिचुअल पॉवर के द्वारा, स्वमान के द्वारा, योग अभ्यास के द्वारा अपनी समस्याओं का निदान करना चाहिए।

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