प्रॉब्लम को छोड़ सॉल्यूशन की ओर चलें…

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हमें वो करना है जो हमारे और दूसरों के लिए सही है

आपने पिछले अंक में पढ़ा कि तो जो सब लोग कर रहे हैं वो सही हो गया। ये नहीं देखते कि जो सब लोग कर रहे हैं वो सभी लोगों का रिज़ल्ट क्या है, वो सब कर-कर के। जो सब लोग कर रहे हैं वो भी हम करेंगे, तो जो सबका रिज़ल्ट होगा वो ही फिर हमारा भी रिज़ल्ट होगा। अगर हम अच्छा कोई और रिज़ल्ट चाहते हैं तो हमें कुछ डिफ्रेंट करना पड़ेगा। और उसके लिए हमें डिफ्रेंट सोचना पड़ेगा।
जब भी कोई परिस्थिति आयेगी तो आपके पास दस लोग आयेंगे राय देने के लिए। और दस लोग जो राय देंगे उस टाइम वो एक बहुत ऑर्डनरी थॉट होगी। नहीं-नहीं ऐसा तो आपको करना ही चाहिए। उनको ऐसे ही थोड़े छोड़ दोगे आप। ऐसे ही उन्होंने इतनी बड़ी गलती कर दी उनको आप ऐसे ही छोड़ देंगे? आप उनको कुछ बोलोगे भी नहीं। ऐसे नहीं करना। आप कुछ नहीं बोलोगे तो वो चार बार और करेंगे। ये राय देने के लिए बहुत लोग हैं आस-पास। इसको हम कहेंगे ऑर्डनरी थिंकिंग। वास्तव में ये ऑर्डनरी नहीं ये निगेटिव थिंकिंग है। लेकिन हमारे पास कैपेसिटी है उस साधारण से ऊपर चढऩे की? हाँ, उन्होंने किया लेकिन कोई बात नहीं। मुझे उस बात को इतना बड़ा नहीं बनाना है। ये वो ही कर सकेगा जो अपने और अपने परिवार के बारे में सोचता है। लेकिन जिसने ये जि़म्मेवारी उठाई हुई है कि दुनिया के गलत को सुधारना मेरी जि़म्मेदारी है। वो ज्य़ादातर किसके बारे में सोचेगा, उनके बारे में सोचेगा। उनको सुधारने की सोचेगा। और फिर क्या होगा, न वो सुधरेंगे बिल्क हम भी बिगड़ जायेंगे। क्योंकि हम भी भर जाते हैं, किस चीज़ से? फिर गुस्सा, फिर चिंतन, फिर नफरत, फिर वो चलता जाता, चलता जाता। और सबसे डैमेजिंग चीज़ कि घर में फिर वो ही बातें होने लगती हैं सिर्फ। अपने पर रहम करें और अपने से प्यार करें। ऐसी बातें करना बंद करें। हम ये सोचते हैं कि जितना उसके बारे में बात करेंगे तो सॉल्यूशन निकलेगा। ज़हर का जितना भी मंथन करेंगे तो वो ज़हर ही निकलेगा। उसके बारे में करते जाते, करते जाते, बोलते जाते, बोलते जाते। जितना उसके बारे में बोलते जायेंगे वो ही वायब्रेशन पूरे घर में फैल जायेगा।
दूसरे को जिसके साथ हुआ है हम उसको कहते हैं भूल जाओ उस बात को। अभी वो भूले कैसे? उसको कोई भूलने देगा? भूलने देते हैं हम उसको। गलती से अगर दो मिनट चुप हो जाये तो हम फिर से वही टॉपिक स्टार्ट कर देंगे। अगर चाहिए कि कोई किसी चीज़ को भूल जाये जो पास्ट में हुआ है, तो अटेन्शन! वो बात, वो परिस्थिति और वो व्यक्ति हमारे घर में, हमारी वाणी में, हमारे चित्त पर अन्दर में कभी नहीं आना चाहिए।
वो वायब्रेशन मन से खत्म हो जाना चाहिए। तब तो वो खत्म कर सकेगा। अगर घर के सारे लोग उस बात के बारे में सोचना बंद करते हैं तो उसके साथ हुआ जो कुछ धीरे-धीरे वो भी भूल जायेगा। बोलना भी बंद करना है, साथ-साथ सोचना भी बंद करना है। अभी उस बात पर फुल स्टॉप लगाओ, उस टॉपिक पर बात नहीं करो। बहुत हो चुका। प्रॉब्लम को छोड़ सॉल्यूशन की तरफ चलें।

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