ऐसे ही हर साल एक नये-नये आयाम हमने अपने जीवन के तय किए। लेकिन नये आयाम कुछ दिन चले उसके बाद फिर ठप हो गये। इस बार भी कुछ नये आयामों के साथ जीवन की शुरूआत करेंगे लेकिन कितना चलेगा ये हमें भरोसा नहीं है। तो आज हम उसके कारण में उतरते हैं कि ऐसा क्या है जो हमारे उमंग और उत्साह को कम कर देता है। बहुत ध्यान से सीखने और समझने की आवश्यकता है
हम सभी जब कहते हैं कि हर पल उत्सव है। जीवन एक उत्सव है। हरेक क्षण को हम सभी को मनोरंजन की तरह लेना चाहिए। ऐसी बातें हमेशा हम सुनते आये हैं। लेकिन हमारे इल्म को पता नहीं क्या हो जाता है कि बीच-बीच में वो बातें हमारे ज़हन से बिल्कुल निकल जाती हैं। कहा जाता है कि अगर कोई चीज़ नई हमको मिलती है तो चार दिन तक उसका बड़ा ही अन्दर के्रज़ रहता है। और कुछ दिन बाद जब वो धीरे-धीरे पुरानी होने लगती है तो हमारा क्रेज़ हट जाता है, उस चीज़ से, उस व्यक्ति से। शुरू में जैसे गांव में कोई नई चीज़ आती है, शहर में जब कोई नई चीज़ आती है, कोई नई टेक्नोलॉजी आती है तो उसपर हम बड़े उमंग-उत्साह से आठ-दस दिन काम करते हैं। उसके बाद वो उमंग घट जाता है।
ऐसे ही हर साल एक नये-नये आयाम हमने अपने जीवन के तय किए। लेकिन नये आयाम कुछ दिन चले उसके बाद फिर ठप हो गये। इस बार भी कुछ नये आयामों के साथ जीवन की शुरूआत करेंगे लेकिन कितना चलेगा ये हमें भरोसा नहीं है। तो आज हम उसके कारण में उतरते हैं कि ऐसा क्या है जो हमारे उमंग और उत्साह को कम कर देता है। बहुत ध्यान से सीखने और समझने की आवश्यकता है कि जो कोई भी चीज़ इस दुनिया में ईजाद हुई है, बनी है, वो इसी ब्रह्मांड में उसके विचारों के साथ थी, उन विचारों को किसी ने कैच किया, और उसको मन में लाकर एक आकार दे दिया। ऐसे ही हम सभी जो कुछ भी करते हैं, वो सब किसी न किसी के विचारों से प्रभावित होता है। एक है ईजाद करना, एक है प्रभावित होकर करना। तो जो ईजाद करता है, कोई चीज़ बनाता है, वो उसका अपना एफर्टहै और जो खुद ये चीज़ बनाता है, जिसके प्रयास से बनता है, उसके उमंग-उत्साह में कमी इसीलिए नहीं आती क्योंकि उसका अपना है, खुद का है। ऐसे ही हम सभी जब दूसरों से प्रभावित होकर कि नहीं इस बार इन्होंने ये किया है तो मैं ये करूंगा। इन्होंने इस वर्ष ये टास्क लिया है तो मैं भी ये टास्क लूंगा। ऐसे अखबारों में पढ़ के, सुन के, कहीं देख करके हम टास्क को डिसाइड करते हैं। और वो थोड़े दिन के बाद धीरे-धीरे उसका उमंग-उत्साह कम हो जाता है।
तो अन्तर तो समझ में आ गया कि एक है एफर्ट करना, खुद बनाना, दूसरा है सहज किसी से ले लेना और उसको करना। ज्य़ादातर दूसरे वाले वर्ग में, दूसरे वाली कैटेगिरी में सब आते हैं। अब आप सोचो जिस व्यक्ति ने पहले ही किसी चीज़ पर काम किया हो तो उसपर जो हम काम करते हैं तो थोड़े दिन के बाद उमंग तो जाना ही है। लेकिन जब तक हम खुद कोई चीज़ ईजाद नहीं करते तब तक उसपर हमेशा उमंग-उत्साह कायम रखना मुश्किल है। तो इस वर्ष हम नया क्या करेंगे? ये करेंगे कि कुछ नया ईजाद करेंगे, नई चीज़ बनायेंगे। मन से कुछ नये टास्क बनायेंगे। जो खुद के होंगे, अपने होंगे। और छोटे-छोटे ऐसे कार्य करने के अपने तरीके चेंज करेंगेे। जिनसे हमें हमेशा लगे कि कुछ नया कर पा रहे हैं।
उदाहरण के लिए, जैसे सुबह उठते हैं, उठते तो सभी हैं, लेकिन उठने के साथ मैंने एड क्या किया? कुछ जोड़ा क्या उसके साथ? उठते ही मुझे एक किताब पढऩी है, या उठने के बाद अपने आप को चैतन्य करके कोई एक ऐसी माइंड की ड्रिल करनी है, या एक्सरसाइज़ करनी है, जो हमारे पूरे दिन को ठीक कर दे। ऐसे ही दिन में कुछ अलग-अलग टेक्निक और टूल इस्तेमाल करके अपने पुरूषार्थ को तीव्र करना है।
परमात्मा हम सभी को हमेशा नया देता है। कुछ न कुछ नया देता है। तो अपनी बुद्धि को थोड़ी देर के लिए शांत करके बैठना, हर बार, हर दिन, और उसमें कुछ नये को एड करना, नया कुछ ईजाद करना, नई चीज़ प्राप्त करना। तो जब हम कुछ नया ईजाद करते हैं,बनाते हैं उससे हमारा उमंग-उत्साह वैसे ही बढ़ जाता है। तो इस वर्ष थोड़ा नहीं, बहुत थोड़ा एक परिवर्तन करना है, वो ये करना है कि जितना हो सके कमप्लेन करने से बचना है।
कहा जाता है कि जो झूठ बोलता है वो एक्सप्लेन करता है। और जो कमज़ोर है वो कमप्लेन करता है। तो ये सबसे अच्छा टास्क है हमारे जीवन का कि मुझे अब इस वर्ष किसी की कमप्लेन नहीं करनी। खाने से, पीने से, उठने से, बैठने से, बोलने से,बातचीत करने से किसी भी बात में कोई कमप्लेन नहीं करनी। और वो आसान नहीं है, मुश्किल ही होने वाला है। लेकिन इसके ऊपर नई-नई विधियां बनाके इसको हम ठीक कर सकते हैं। तो इस तरह से अपने आपको इस वर्ष तैयार करके जीवन में नये उमंग भरने हैं। और मुश्किल से तीन महीने भी शुरूआत के मैंने अगर कर लिये तो ये हमारा परमानेंट हो जायेगा। और राजा की जो स्थिति होती है वो हमारी हो जायेगी। तो इस वर्ष इस तरह से नया कुछ करके, नया उमंग भरके नया वर्ष मनाते हैं।