प्रश्न : मैं अंशु कुमारी, हिसार से हूँ। मेरी उम्र 17 वर्ष है। मैं 12वीं की स्टूडेंट हूँ। पहले मेरी एकाग्रता बहुत अच्छी थी लेकिन अब पढ़ाई में मेरी एकाग्रता बहुत कम हो गई है। मेरी अब बहुत महत्त्वपूर्ण 12वीं की परीक्षा होगी, इसमें मैं बहुत अच्छे अंक लाना चाहती हूँ। समझ में नहीं आता कि मेरी एकाग्रता क्यों भंग हो गई है! अब मैं क्या करूँ? मैं खुद को परवश सा महसूस करती हूँ।
उत्तर : बहुत विद्यार्थियों को ये कड़वा अनुभव हो रहा है आजकल। 12वीं क्लास के हों, इंजीनियरिंग के हों, मेडिकल के हों, सीए कर रहे हों, और भी जो हैं एग्ज़ाम दे रहे हैं एंट्रेंस के तो उन्हें ये लग रहा है कि पता नहीं हमको क्या हुआ है, हम तो अच्छे-अच्छे थे। एकाग्रता कहाँ चली गई हमारी। मैं उनसे पूछा करता हूँ कि नेट पर कितना टाइम जाता है। तो कहते हैं कि हमने बिल्कुल छोड़ा हुआ है। टीवी भी हमने बंद की हुई है। तो ये भी पूछा कि फ्रेंड्स से कितनी देर बात करते हो? तो कहते कि हमने ये सब छोड़ दिया है क्योंकि बहुत इम्पोर्टेन्ट टाइम है हमारे लिए। तो ऐसे बच्चों के लिए तो हम बहुत शुभ भावना रखते हैं कि जो इतने सिंसियर हैं, और जो एक अच्छा लक्ष्य लेकर चल रहे हैं कि मुझे बहुत अच्छे मार्क्स लाने हैं।
आजकल चारों ओर निगेटिविटी बहुत है। और इस एज में, 12वीं में जब मनुष्य पहुंचता है, उनके शरीर में हार्मोन्स बदलाव भी बहुत होते हैं। उनका इफेक्ट भी ब्रेन पर बहुत होता है। तो इन सब चीज़ों से बचने के लिए मैं एक छोटा-सा अभ्यास सिखाया करता हूँ। जब पढ़ाई शुरू करें तो उससे एक मिनट अभ्यास शुरू कर लें मैं आत्मा यहाँ भृकुटि में हूँ… मैं आत्मा राजा हूँ… मैं अपना राजा हूँ… इसको हम नाम देते हैं कि स्वराज्यधिकारी हूँ… मैं मन की मालिक हूँ… बुद्धि की मालिक हूँ… इन दोनों की राजा हूँ। एकाग्र होकर अपने मन से बात करें कि हे मेरे मन! तुम शांत होकर एकाग्र हो जाओ। अब मुझे तुम्हारे सहयोग की बहुत ज़रूरत है। मेरे अच्छे मित्र बन जाओ। फिर अपनी बुद्धि से बात करें कि हे मेरी बुद्धि! अब तुम उस सबको याद कर लेना जो मैं पढूं। अब तुम्हें एकाग्र होना है। तुम भी मेरे गुड फ्रेंड बन जाओ। तुम्हारी मुझे बहुत ज़रूरत है। ऐसा अभ्यास शुरू में पाँच-छह बार कर लें। जब भी स्टडी शुरू करें तो ये अभ्यास एक मिनट के लिए कर लिया कर लें। धीरे-धीरे एकाग्रता बढ़ेगी। बहुत अच्छे अनुभव होंगे। आपको लगेगा कि बुद्धि मेरी बात मानने लगी है। बुद्धि में जो होता नहीं था ग्रहण, याद नहीं रहता था उसमें ज्य़ादा ग्रहण होने लगा। उसकी शक्तियां बढ़ चुकी हैं। तो ये न सोचकर कि ये क्यों हो रहा है, क्योंकि ये कलियुग का भी प्रभाव है। ये मनुष्य के देह में होने वाले चेंजेस का भी प्रभाव है। ये चारों ओर जो निगेटिव एनर्जी है उसका भी प्रभाव है और एक दूसरी चीज़ भी है कि ये पढ़ाई के प्रेशर से ब्रेन की शक्ति थोड़ी ढीली होती जा रही है बच्चों की। जिससे ब्रेन इतना योग्य न होने के कारण एकाग्र नहीं हो पाता। ये थोड़ी-सी प्रैक्टिस करेंगे तो बहुत सुन्दर अनुभव होगा।
प्रश्न : मैं 25 वर्ष का हूँ। इस जन्म में मैंने कोई बुरे कर्म तो नहीं किए हैं लेकिन मुझे पढ़ाई में, कम्पटेटिव एग्ज़ाम में, या व्यवसाय में कहीं भी सफलता नहीं मिलती। मेरे घर वाले भी बहुत ज्य़ादा परेशान हैं, मैं भी इससे बहुत ज्य़ादा परेशान हूँ, क्या करूँ?
उत्तर : ये युवकों के लिए बहुत बड़ी बात हो जाती है। मैं सभी विद्यार्थियों को कहूँगा कि जब हम स्टडी करें, तब हमें एक सुन्दर लक्ष्य बनाकर चलना चाहिए कि मुझे इतने अच्छे मार्क्स लाने ही हैं। क्योंकि कम्पटिशन का युग है। और जिसके माक्र्स कम हैं मतलब 70प्रतिशत से कम तो होने ही नहीं चाहिए। 60 में भी काम नहीं चलता अगर किसी के 50 प्रतिशत हैं तो उसको नौकरियों के लिए बहुत कठिनाई होती है। इसलिए ऐसे में कोई अपना काम ढूंढ लेना चाहिए। क्योंकि खाली पड़े रहना, लोगों की बातें सुनते रहना और जब मनुष्य खाली होगा तो और-और फालतू बातों में जायेगा। जिससे व्यर्थ बढ़ जायेगा और इनर पॉवर भी खोती जायेगी और अपने में भी उसको बहुत निराशा रहेगी। इसलिए बहुत पॉजि़टिव हो अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए कुछ स्टडी अवश्य करते रहें। कुछ कम्पटेटिव एग्ज़ाम देते रहें, भिन्न-भिन्न फील्ड में। आपने मान लिया होगा कि सफलता आपके भाग्य में है ही नहीं। परन्तु ऐसा सोचना नहीं है क्योंकि भाग्य के निर्माता हम स्वयं हैं। कुछ न कुछ कमी रह गई होगी। जैसे आपने कहा कि आपने इस जन्म में कोई पाप कर्म तो नहीं किए। ये सत्य आपने फील किया। क्योंकि जिन बच्चों की मनोस्थिति अच्छी नहीं रहती। मैं पाप कर्मों की बात नहीं कर रहा हूँ, मनोस्थिति अच्छी नहीं रहती, उनको भी नौकरियां मिलने में बहुत देर लगती है। सफलता बहुत मुश्किल से प्राप्त होती है। अब मनोस्थिति क्या है? अब मन एक प्युअर स्थिति में रहे। मन में सुन्दर विचार हों। मन उथल-पुथल में न हो। मन उलझन में न रहता हो। मन निगेटिविटी या वेस्ट थॉट में न रहता हो। किसी को दु:ख न दिया जाता हो। ऐसे नहीं कि ईर्ष्या, द्वेष और तेरे-मेरे में बहुत लगे हुए हैं फिर मनुष्य सोचेगा कि मैं तो कोई पाप कर्म करता नहीं फिर इन सबसे मनुष्य की सूक्ष्म शक्तियां नष्ट होती रहती हैं। इनसे बचेंगे। तो आज तक मैंने ये पाया है कि जिन युवकों की, लड़कियों की मनोस्थिति अच्छी है सहज सफलता को प्राप्त करते हैं। इसीलिए अगर आप ज्ञान ले रहे हैं या नहीं लिया है तो आप अवश्य ले लें। तो मैं आपको कहूँगा कि रोज़ ईश्वरीय महावाक्यों का अध्ययन एक बार अवश्य करें। ये भोजन है बुद्धि का। जिसका चिंतन होता रहेगा। और इससे हमारी क्रियेटिव एनर्जी कायम रहेगी और हम व्यर्थ से मुक्त रहेंगे। और रोज़ सवेरे उठकर आपको सब्कॉन्शियस माइंड की शक्तियों का यूज़ करना है। सवेरे उठें, सबसे पहले करेंगे अपने परमपिता को गुड मॉर्निंग। प्यारे शिवबाबा आपको सच्चे दिल से गुड मॉर्निंग, नमस्ते। फिर संकल्प करेंगे कि आपने मुझे सबकुछ दिया। आपको बहुत-बहुत शुक्रिया। फिर संकल्प करेंगे मैं इस संसार में बहुत भाग्यवान हूँ… मास्टर सर्व शक्तिवान हूँ… सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। इस तरह से ये पाँच बार करेंगे। स्वयं को चार्ज करेंगे तो क्या होगा आपसे बहुत अच्छे वायब्रेशन्स चारों ओर फैलेंगे, जो उन लोगों को इफेक्ट करेंगे जो आपके निर्णायक हैं। मान लो इंटरव्यूह देने जा रहे हैं, एग्ज़ाम देने जा रहे हैं, जिनके हाथ में निर्णय है उसको जायेंगे वो वायब्रेशन। फिर जब आप कहीं एग्ज़ाम दे रहे हों, या इंटरव्यूह देने जा रहे हों तो एक विज़न बनायें कि मेरे हाथ में अपॉइन्टमेंट लेटर आ गया है, मैं उसको देखके आनंदित हो रहा हूँ और स्वीकार कर लें कि यही होने जा रहा है। तो एक मास पहले से ही एन्जॉय करें कि अब मेरी अपॉइन्टमेंट हुई कि हुई। और साथ में ज्य़ादा नहीं आधा घंटा मेडिटेशन कर लेंगे रोज़, ताकि उन लोगों को वायब्रेशन्स जायें, अपना चित्त भी शांत रहे और जब इन्टरव्यूह में जायें तो बहुत निर्भयता और आत्मविश्वास के साथ। निगेटिविटी नहीं, भय नहीं कि क्या होगा, क्या पूछेंगे, मैं कहीं गलत उत्तर न दे दूं, ये नहीं। बहुत अच्छे उमंग-उत्साह के साथ जायेंगे तो इस बार आपको सफलता ज़रूर मिलेगी।