पावन श्रेष्ठाचारी सुखमय भारत की पुनस्र्थापना विषय पर आयोजित सम्मेलन में अनेक संतों ने ब्रह्माकुमारीज़ को समाज के लिए प्रेरक बताया और उनकी ईश्वरीय सेवाओं की प्रशंसा की। ब्रह्माकुमारीज़ रिट्रीट सेंटर के दादी प्रकाशमणि सभागार में हुए इस सम्मेलन में साधु-संतों का भावपूर्ण सम्मान हुआ और उन्हें परमात्मा द्वारा सिखाए जा रहे राजयोग के बारे में जानकारी दी।
महाशक्ति पीठ दिल्ली के महामंडलेश्वर सर्वानंद सरस्वती ने माना कि ब्रह्माकुमारीज़ देश धर्म और जाति से ऊपर उठकर परमात्मा की सेवा के साथ ही जनमानस की सेवा का कार्य कर रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि पवित्रता के आधार से नई दुनिया की पुनस्र्थापना धर्म सत्ता ही कर सकती है। जिसके लिए हमें सिर्फ बाहर से नहीं बल्कि अंदर से साधु बनने की ज़रूरत है।
शंकर मठ रूडक़ी के स्वामी दिनेशानंद भारती ने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलने वाले की रक्षा धर्म स्वयं करता है। उन्होंने श्रीमद्भगवद् गीता से सीख लेने की बात कही और ब्रह्माकुमारीज़ को श्वेत वस्त्रों की सन्यासी बताया। ऋषिकेश से आये महामंडलेश्वर स्वामी स्वतंत्रानंद महाराज ने कहा कि सम्मान उन्हीं का होता है जो जोडऩे का कार्य करते हैं।
हरि मंदिर पटौदी से महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने कहा कि संतों की वजह से ही आज पूरे विश्व में भारत का नाम बड़े गौरव से लिया जाता है।
हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म एक मात्र ऐसा है जो सारे विश्व को परिवार मानता है।
अयोध्या से आये रसिक पीठाधीश्वर महंत जनमेजय शरण महाराज ने कहा कि पूरे विश्व में ईश्वर से मिलाने वाला केवल एक ब्रह्माकुमारीज़ विश्व विद्यालय है। हरिद्वार से आये महामंडलेश्वर स्वामी यमुनापुरी महाराज ने कहा कि मनुष्य का जन्म ही धर्म के साथ होता है। इसलिए मनुष्य को धर्मार्गी होना चाहिए।
कटनी मध्य प्रदेश से पधारे युवा संत आचार्य परमानंद महाराज ने कहा कि जब तक हमारी मानसिक शुद्धि नहीं होगी तब तक सनातन धर्म पुनस्र्थापित नहीं हो सकता। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज़ बहनों क ो मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली देवियां बताया।
महर्षि भृगु पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की कथनी और करनी एक समान है। दिल्ली एनसीआर के संत महामंडल की अध्यक्षा महामंडलेश्वर स्वामी विद्यागिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारी बहनें नारी शक्ति को जगाने का सराहनीय कार्य कर रही हैं। जो दुनिया के लिए प्रेरक है।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने संतों का स्वागत करते हुए कहा कि परमात्म प्रेम ही वास्तव में सत्य है। उन्होंने परमात्मा के निराकार स्वरूप की व्याख्या की। ओआरसी की निर्देशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने बताया कि ब्रह्मा बाबा सदा ही साधु-संतों का सम्मान करते थे। वे भी चाहती हैं कि साधु-संतों की सेवा का उन्हें भी सौभाग्य मिलता रहे।
कार्यक्रम में दिल्ली पहाडग़ंज से महामंडलेश्वर स्वामी हरिओम महाराज, मुबंई से आए महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद गिरी महाराज, ऋषिकेश योग धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष योगीराज प्रणव चैतन्य महाराज, गुरू गोरक्षनाथ आश्रम रूडक़ी के पीठाधीश्वर योगी सागरनाथ ने भी अपने विचार रखे। देशभर से आये अनेक साधु-संत महात्माओं सहित धार्मिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने इस सम्मेलन में काफी संख्या में भागीदारी निभाई। साधु-संतों के इस समागम से नई आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ है। संतों ने जीवन में आध्यात्म की पुनस्र्थापना के लिए ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की जा रही है। संतों की त्याग, तपस्या और पवित्रता के साथ-साथ ब्रह्माकुमारीज़ का राजयोग सामाजिक परिवर्तन में कारगर होगा। आज सारा विश्व मानता है कि हमारे जीवन में आध्यात्मिकता की कमी है। लेकिन वास्तव में आध्यात्मिकता क्या है जिस पर हम कह सकते हैं कि आत्मा और परमात्मा का ज्ञान ही आध्यात्मिकता है। यदि जीवन में उन्नति चाहिए तो ब्रह्माकुमारीज़ के राजयोग को सीखकर और उसका नियमित अभ्यास करना चाहिए। राजयोग इतना सहज है कि जितनी भी आपकी बुद्धि भटकती है वह स्थिर हो जाएगी। यह कोई चमत्कार नहीं है बल्कि राजयोग एक परिपक्व विधि है। जिसके माध्यम से हम पतित से पावन बन सकते हैं। इस साधु-संत महासम्मेलन में अहिंसा परमो धर्म युक्त लक्षण पर चर्चा होने के साथ ही आध्यात्मिक पतन धर्म ग्लानि तथा शिव परमात्मा के धरती पर अवतरण का उचित समय अभी ही है, जोकि पूरी वसुंधरा को पुन: पावन कर सतयुग स्थापित कर रहे, इसकी जानकारी राजयोगिनी ब्र.कु. उषा दीदी ने बहुत ही तार्किकतासे स्पष्ट किया। और गीता के भगवान निराकार शिव के सम्बन्ध में भी बताया।