जीवन में दु:ख, अशांति, भय, चिंता और परिस्थितियों में जब मनुष्य पूरी तरह से घिर जाता है, उस समय ज्योतिष या कोई और विद्या काम नहीं आती। अगर आती भी है तो थोड़ा अल्पकाल के लिए उसको कुछ समाधान मिलता है। लेकिन परमात्मा निराकार ज्योति बिंदु शिव हम सबके लिए मुक्ति और जीवनमुक्तिका दाता भी है। वो हम सभी को मुक्तिदेता है चिंता से, भय से और जितने भी मनुष्य के जीवन के कष्ट हैं उनसे। लेकिन उस बात को अपने अंदर लाने के लिए उसको जानना भी तो चाहिए ना! तो वो कैसे कार्य कर रहा है, इसके लिए ही महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
निश्चित रूप से सवाल बहुत सुन्दर है और अचूक भी है कि किसी चीज़ को ऐसे तो नहीं मान सकते! तो इसका उत्तर बहुत सहज है, सरल है। कहते हैं बीमारी दिखती नहीं है लेकिन उसके लक्षण दिखते हैं। वैसे ही परमात्मा है, वो आ चुका है और वो कार्य कर रहा है। इसका प्रमाण है, और वो प्रमाण ये है कि बहुत सारे ब्रह्मा वत्स परमात्मा के बच्चे उस निराकार की श्रेष्ठ मत को मानकर अपने आप को वैसा बना रहे हैं, और कितनों ने तो उस अवस्था को प्राप्त किया जो वो चाहते हैं। उनमें वो दैवीगुण, ईश्वरीय मर्यादा और धारणायें दिखती हैं। एक बार जब आप उस धवल, रोशनी का दर्शन चाहते हैं तो माउण्ट आबू के उस प्रागंण में ज़रूर पधारें, जहाँ पर लक्षण जैसा परमात्मा का है, वैसा सहज अनुभव होता है और वो प्रकट हो रहा है। कहा जाता है कि हर चीज़ का समय होता है लेकिन अब वो समय भी नज़दीक है और वो दिख रहा है।
कहा जाता है परमात्मा का गर्भ से जन्म नहीं होता, वो दिव्य जन्म लेते हैं। लेकिन दिव्यता को समझने के लिए या दिव्यता को जानने के लिए दिव्य तो बनना होगा ना! शास्त्रगत वर्णन भी है कि क्रमैं ब्रह्मा के ललाट से प्रकट होता हूँञ्ज। अब ये बात आपने सुन ली या पढ़ ली, लेकिन वो बात समझने के लिए ब्रह्मा को भी समझना पड़ेगा, परमात्मा को भी समझना पड़ेगा और अवतरण को भी समझना पड़ेगा। ये तीनों चीज़ें हैं, लेकिन दिव्य बुद्धि की सिर्फ कमी है।
तो परमात्मा आकर के हम सबको वो दिव्य नेत्र प्रदान करते हैं सबसे पहले, जिससे हम परमात्मा को जान पायें, देख पायें, समझ पायें। और उसी हिसाब से उससे जुड़ पायें। तो परमात्मा है तो सही, लेकिन गर्भ से जन्म लेने वाला व्यक्ति कभी भी आपको वो नहीं बता सकता जो इस दुनिया से परे और पार की चीज़ है। लेकिन जो इस दुनिया से बिल्कुल अलग है, शक्तिशाली है, मुक्त है, निर्बंधन है, वो हमको वो बतायेगा जो इस समय की मांग है। तो इस समय की मांग क्या है? हम सब सिर्फ और सिर्फ दु:खों से मुक्त होना चाहते हैं। तो वो दु:ख हर्ता, सुख कर्ता पिता हम सभी का आह्वान कर रहा है, वो आ चुका है।



