शिवरात्रि जब आती है तो सभी शिवलिंग के ऊपर अलग-अलग चीज़ें चढ़ाते हैं- भांग, धतूरा, बेल पत्र, गन्ना, गुड़ आदि-आदि। लेकिन ये सारी चीज़ें जब आप चढ़ाकर आते हैं तो क्या आपने देखा कि वो चीज़ें गई कहाँ? वैसे ही पड़ी हुई हैं। हर साल हम ऐसे ही चढ़ा कर आ जाते हैं। तो क्या इसका कुछ औचित्य है? अगर हम परमात्मा को कुछ देना ही चाहते हैं तो हम अपना देहभान और देह अभिमान चढ़ा दें, अपना ईगो चढ़ा दें तो परमात्मा हमसे सदा के लिए खुश हो जाएगा। क्योंकि जब तक हमारे अन्दर अभिमान है किसी भी बात का, तब तक बुराइयां, चिंता और अपमान हम फील करते रहेंगे, महसूस करते रहेंगे।
इसलिए रियल तरीके से, सही तरीके से परमात्मा शिव को अपना सबकुछ देने के लिए आपको सिर्फ और सिर्फ उसको वो चढ़ाना है जो उसकी ज़रूरत है। उसकी ज़रूरत का मतलब उसकी ज़रूरत के लिए है, उसकी ज़रूरत की चीज़ है, वो है देह अभिमान। जैसे ही हमने अपने आपको बलिहार किया परमात्मा पर, आप समझो उसका सबकुछ आपका हो गया। तो आपको धतूरा, ज़हर आदि चढ़ाने की ज़रूरत नहीं है। आपको आपके अपने अन्दर जो ज़हर है- काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार का उसको चढ़ाने की आवश्यकता है। जिससे परमात्मा का बल और फल दोनों हम सबको प्राप्त होगा। और ये चीज़ें आगे आने वाले समय में आपको सुख देंगी। तो इस महाशिवरात्रि पर्व को सफल बनाने के लिए हम सबको ये कार्य अवश्य करना है।