मुख पृष्ठब्र.कु. उषाबाबा का साथ हमें हर बाहरी बातों से सेफ रखता

बाबा का साथ हमें हर बाहरी बातों से सेफ रखता

पिछले अंक में आपने पढ़ा कि ये जो सारे रिश्ते हैं और उन रिश्तों के प्रति जो तुम्हारी, समझता है कि ये पहला होना चाहिए मेरा, ये मेरा पहला धर्म है, नहीं। बाबा कहे पहला धर्म है तुम्हारा ईश्वर के प्रति। अब आगे पढ़ेंगे…
एक मम्मा की वाणी सुनी मैंने, तो उसमें मम्मा ने कहा कि एक होती है श्रीमत, गुरूमत, परमत, मनमत, शास्त्रमत ये सारी मतें हैं ना! अगर इनको पहला धर्म समझा तो भटक जायेंगे। इसीलिए श्रीमत एक ही है हमारे लिए और उस श्रीमत की ही पटरी पर हमें अपनी गाड़ी को चलाते जाना है। जब इस तरह से सर्व सम्बन्ध बाबा के साथ हमारे जुड़ जायेंगे तो बाबा के साथ सर्व सम्बन्ध जुडऩे से क्या होगा? हमारे सर्व धर्म बाबा के साथ हो गए तो स्वीट साइलेंस का अनुभव करना बहुत सहज हो जाएगा। दुनिया में दो व्यक्ति, जैसे बाबा कई बार मिसाल देते हैं आशिक-माशूक का कि ये दो व्यक्ति भी भले साथ में दो पलों के लिए भी मिल जाएं, कुछ बातचीत भी न करें लेकिन एक साथ होने पर भी सुकून का अनुभव करते हैं। ठीक इसी तरह कभी-कभी बाबा के साथ बैठ जाओ और जब बैठ जाते हैं तो अशरीरी होकर बैठते हैं परमधाम में, वहाँ कोई वार्तालाप नहीं है। लेकिन एक स्वीट साइलेंस, जिस साइलेंस में भी एक सुकून का अनुभव हो रहा है। प्राप्तियां हो रही हैं, भरपूरता अन्दर में आ रही है। सम्पन्न बनते जा रहे हैं और वो बाबा का सानिध्य कहो, साथ कहो वही हमें हर प्रकार की बाहरी बातों से सेफ रखते हैं और धर्म को निभाने थोड़ा ऊपर-नीचे हुआ भी तो भी क्या बाबा करेगा? जादू का खेल कर लेगा और ऐसा अनुभव होगा जैसे कि नहीं तो एक बहुत बड़ी मिसअंडरस्टैंडिंग क्रिएट हो जाती, उससे बाबा ने पहले ही बचा दिया। तो ये कई बार अनुभव करते हैं कि जब बाबा को पहला प्रेफरेंस दिया तो सब काम अपने आप होने लगते हैं। कभी-कभी आप भूल गये होते हैं तो वो काम भी बाबा पूरा कर देता है।
मुझे याद आता है दादी जी का एक इंस्डिेंट, प्रकाशमणि दादी जी कहीं जा रहे थे। तो उस समय जब गाड़ी यहाँ से चली और महेसाणा के पहले-पहले गाड़ी खराब हो गई। दूसरी गाड़ी साथ में थी नहीं। एक ही गाड़ी चल रही थी। और गाड़ी एकदम खराब हो गई। फ्लाइट भी पकडऩी थी। तो हाई वे पर जब गाड़ी खराब हुई तो हमने कहा कि हमें मेहसाणा तक पहुंचा दो आप, फिर वहाँ से हमारी फ्लाइट है। तो कोई थे बाहर के लोग उन्होंने कहा कि ठीक है हम जानते हैं और पहुंचा देते हैं। तो दादी जी को, मोहिनी दीदी जी को पहुंचा दिया। तीन लोग थे। वहाँ मेहसाणा सेंटर पर कोई गाड़ी नहीं थी उस समय और दादी को फ्लाइट पकडऩी थी। दो भाई जो क्लास में आते थे उनके पास गाड़ी थी। तो बहनजी ने उन दोनों भाइयों को फोन किया। पहले को फोन किया तो कहा कि मैं तो आउट ऑफ स्टेशन हूँ, यहाँ हूँ ही नहीं। तो दूसरे भाई को फोन किया तो उसने कहा मेरी आज केस की डेट है। मुझे कोर्ट पहुंचना बहुत ज़रूरी है। कहा दादी को अहमदाबाद छोडऩा है एयरपोर्ट पर। वो सोच में पड़ गया कि आज डेट है, आज नहीं पहुंचा तो केस हार जाएंगे। लेकिन फिर भी उसने सोचा कि नहीं, दादी को पहुंचा देते हैं। केस का देखा जायेगा, हार गए तो हार गए। तो फिर भी उसने कहा कि ठीक है बहनजी मैं छोड़ के आता हूँ।
उसने अपने छोटे भाई को बुलाया और कहा कि तू कोर्ट में पहुंच जा। अब छोटे भाई को मालूम ही नहीं कि केस किस चीज़ का है। कहा कि अगर कुछ पूछेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगा। कहा कि कुछ मालूम नहीं तो कोई बात नहीं तू खड़ा हो जा हमारी तरफ से बस। फिर देखेंगे जो भी होगा। और ये भाई चला गया दादी को छोडऩे। गये और आये तो बाबा ने ऐसा काम किया जो सारा केस पलटी हो गया और पलटी होकर इनके फेवर में आ गया। और केस जीत गए।
नाहाजि़र रहने पर भी केस जीत गए तो क्या कहेंगे? बाबा ने किया। यही कहते हैं ना कि बाबा ने किया। लेकिन कैसे किया बाबा ने? सर्वधर्म परित्यज्य, एक बाबा की शरण में आये तब बाबा ने काम किया।

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