हमारा बाबा हम बच्चों को अभी दु:खी देख नहीं सकता है, हम लोग तो सुखी हो गए लेकिन दूसरे भी हमारे भाई-बहन जो दु:खी, अशांत हैं, चिंता व भय में हैं, कल क्या होगा इसी सोच में रहते हैं, उन्हों को शान्ति का सहयोग दे करके उनको भी सुख-शान्ति का अनुभव कराना है। अब खुद शक्तिशाली बन मन्सा द्वारा औरों को भी शक्ति देना है, यह हमारा मूल कार्य है, इसी कार्य को करने में बिज़ी रहने से आप बहुत सहज मायाजीत बन सकते हैं क्योंकि माया पहले मन में संकल्प रूप में आती है फिर आगे बढ़ती है। तो अगर आपका मन ही सेवा में बिज़ी रहा तो माया के आने का रास्ता ही नहीं रहेगा इसलिए बाबा कहते मन्सा सेवा में रहने से एक तो हमारा मन बिज़ी रहता है। अन्तर्मुखी हो रहना माना अन्दर में रहना, बॉडी कॉन्शियस से परे रहना, जिससे माया नहीं आयेगी। दूसरा आस-पास में आपके शान्ति का वायुमण्डल का प्रभाव पड़ता है। तीसरा जो भी फाइनल होना है वो अचानक होना है तो हर घड़ी मेरे लिए अटेन्शन देने की है। अचानक होना है तो एवररेडी रहना होगा क्योंकि अन्त मति सो गति होनी है। तो अचानक, एवररेडी और बहुतकाल का अभ्यास चाहिए। हर सेकण्ड अटेन्शन दे करके टेन्शन में नहीं जायें तो उनका बहुतकाल इक_ा हो सकता है। अगर अलबेले होंगे तो वो टाइम कट हो जाता है। इस समय हम सबको बाबा का वरदान है कोई ऐसे नहीं कहे कि हमको तो चांस है ही नहीं या हम तो अभी आये हैं…। इसमें जो ओटे सो अर्जुन, कोई भी मौका ले सकते हैं और जितना चाहो उतना पुरुषार्थ करके आगे बढ़ सकते हैं।
फिर बाबा कहते यह निश्चय रखो कल्प पहले भी मैं ही तो थी, इस कल्प में भी मैं ही हूँ और दूसरे कल्प में भी होंगी। मैं थी, मैं हूँ और मैं होंगी इतना निश्चय और नशा रखना चाहिए। जहाँ निश्चय है वहाँ विजय अवश्य होती है। निश्चय की तो हमेशा विजय होती ही है, निश्चयबुद्धि विजयंति। तो हम सबको यह लक्ष्य रखना है कि मेरा बहुतकाल अभी है लेकिन अभी जो आये हैं तो पल-पल परमात्मा के प्यार में खोया हुआ हो। जहाँ प्यार होता है वो भूलना मुश्किल है, याद करना मुश्किल नहीं होता है। इन बहनों की बहुत अच्छी लाइफ है, बहुत आनंदमय रहते हैं, ऐसे बहनों द्वारा बाप के प्यार की आकर्षण में ही तो यहाँ आये हैं। तो परमात्म प्यार ऐसी चीज़ है जो आप परमात्मा को पसंद आ गये तब तो इन बहनों द्वारा अपना बना लिया। बाबा को हम पसंद आये और हमको बाबा पसंद आये। पसंद आ गया, प्यार हो गया फिर तो भूलने की बात ही नहीं। और कोई भी बात आवे जो आप नहीं समझ सकते हो, क्या करूँ, कैसे करूँ की स्थिति आवे… तो सच्ची दिल से क्रमेरा बाबाञ्ज कहो तो बाबा हाजि़र होके आपको ऐसी प्रेरणा देगा जो बिल्कुल ही सहज जैसे हुआ ही पड़ा है। असम्भव भी सम्भव हो जायेगा क्योंकि परमात्मा का हाथ हमारे सिर पर है। हमारी दिल सच्ची और साफ है तो बाबा हमारा है, हम बाबा के हैं और है ही क्या? सच्ची और साफ दिल वाले को कब, क्या करना है, कैसे करना है वो टच करता है।
समर्थ संकल्प है मुरली, वरदान, स्लोगन इसको कभी भी भूलो नहीं। रोज़ मुरली से मन को होमवर्क दे करके व्यर्थ को समर्थ में चेंज करने का पुरुषार्थ ज़रूर करना। इसके लिए मन का टाइमटेबल बनाना।
रोज़ मुरली से मन को होमवर्क दे करके व्यर्थ को समर्थ में चेंज करें..
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