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हमें गुणग्राही बनना है

सृष्टि के प्रारम्भ में जब मनुष्य का जन्म हुआ तो इसकी प्रबल इच्छा हुई कि क्यों न मैं इस सृष्टि को देखूँ। बस फिर क्या था? निकल पड़ा मनुष्य इस सृष्टि को देखने के लिए। जैसे ही उसने अपनी यात्रा शुरू की तो सर्वप्रथम इसने देखा कि एक वृ्रक्ष की डाल पर बैठकर कोयल अपने मधुर कण्ठ से कुछ गा रही थी। कोयल का मधुर गान सुनकर यह बहुत ही आनंदित हो उठा और बड़े ही मनोयोग से उसको सुनने लगा और खूब प्रसन्न हुआ, लेकिन अन्त में बोला – हे कोयल! काश काली न होती तो कितना अच्छा होता!

इसके बाद आगे बढ़ते हुए उसने बाग में गुलाब के फूल को देखा और बहुत ही हर्षित होते हुए उसके निकट जाकर उसकी भीनी-भीनी खुशबू का आनन्द लेने लगा लेकिन अंत में बोला – हे गुलाब! काश तेरे साथ ये काँटे न होते तो कितना अच्छा होता!

इसके बाद वह और आगे बढ़ा तो उसने समुद्र की ओर देखा और उसमें उठती हुई लहरों, तैरती हुई मछलियों आदि को देखकर प्रफुल्लित होने लगा, लेकिन अंत में चलते हुए बोला – हे समुद्र! काश तू खारा न होता।

घूमते-घूमते रात्रि का समय हो गया। संयोगवश उस दिन शरदपूॢणमा थी। चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से शोभायान होकर शीतल चाँदनी बिखेर रहा था। वातावरण अत्यंत ही रमणीय था। यह सब देखकर वह बहुत ही हर्षित हुआ और आनन्द मनाने लगा, लेकिन संयोगवश उसी समय उसकी दृष्टि चन्द्रमा पर पड़ गई और वह उदास हो गया तथा कहने लगा – हे चन्द्र देवता! काश तेरे अन्दर यह काला दाग न होता तो तू कितना अच्छा होता!

इसी प्रकार भ्रमण करते हुए उसने प्रकृति की असंख्य अमूल्य निधियों को देखा, लेकिन अपनी प्रकृतिवश उसने उन सभी में कोई न कोई कमी निकाली और सभी को कहता गया कि काश तेरे अंदर यह न होता तो कितना अच्छा होता!

यह सब देखकर प्रकृति की वे सभी अमूल्य निधियाँ सूर्य, चंद्रमा, नदी, समुद्र, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, हवा, धूप-छाँव आदि सभी एकत्रित हुए और एक स्वर में कहने लगे – अरे मनुष्य! अरे ओ प्रकृति के सुन्दरतम प्राणी ज़रा हमारी भी बात सुनता जा, तूने अपनी तो खूब सुना दी और सभी एक स्वर में बोले – कितना अच्छा होता कि काश तेरे अंदर ये दूसरों में कमी देखने की आदत न होती तो तू प्रकृति की सर्वोत्कृष्ट रचना होता।

सीख: यह कहानी हमें ये शिक्षा देती है कि हमें गुणों की ओर ध्यान देना चाहिए। अच्छाइयों को देखना चाहिए। इस सृष्टि में सर्वगुण सम्पन्न तो शायद ही कोई वस्तु या व्यक्ति हो। इसलिए हमें सिर्फ गुणग्राही बनना है।

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