चमत्कार की नमस्कारी हर जगह है लेकिन उस अबोध स्थिति में जो कुछ भी परमात्मा से हमें मिलता है, वो अभूल होता है। कभी भूलता नहीं। उससे हम प्रेरणा नहीं लेते, उसको दिल में बसाते हैं कि ज़रूर ये परमात्मा की आवाज़ है, ज़रूर ये भगवान ही हो सकता है। क्योंकि जो चीज़ हमारे मन में पहले से होती है उस चीज़ को हम अपनी आँखों से भी देखते रहते हैं। लेकिन जब आसपास सुगबुगाहट, समझ भी न हो, उस समय जो हमें दिखता है वो सत्य होता है। और उसी सत्य का समूल और एक अनुकरणीय अद्भुत चमत्कारिक अनुभव पढि़ए उन्हीं के शब्दों में जिन्होंने इसे अनुभव किया, देखा और आज तक भूल नहीं पाये।
ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय से मैं पिछले दस सालों से जुड़ी हुई हूँ। मेरा नाम डॉ. पूजा राजपूत,फिजियोथेरेपिस्ट हूँ, और मैं जब ब्र.कु. चन्द्रकांता दीदी से मिली तो मेरी पूरी जि़न्दगी बदल गई। दीदी चन्द्रकान्ता का मेरी जि़न्दगी में बहुत बड़ा रोल है, 2014 में मेरी बहुत बुरी दशा थी, 09-09-2014 दिन बुधवार को शाम को लगभग 07:30 बजे हमारे घर पर कुछ भी नहीं था, आज पूरे दिन से घर पर कुछ भी नहीं है, क्या बनाएं, क्या खाएं? कुछ भी नहीं है। मेरे परिवार में मेरे काका जी, मेरे ताऊ जी, मेरे पड़ोसियों से भी मांगा लेकिन हमें कि सी ने भी कुछ नहीं दिया। हमने सिर्फ पानी पी के रात गुजारी, मेरी मम्मी ने बोला कि आप दोनों भाई-बहन ज़हर खा लो। मैं तुम्हें भूखा नहीं देख सकती, फिर मैंने मम्मी को बोला आज हमारा वक्त ठीक नहीं है, पर कल सुबह की किरण बहुत अच्छी होगी। जब हम रात को सोये तो लगभग सुबह के 4 बजे एक लाल प्रकाश का अनुभव हुआ, एक सफेद वस्त्र में एक इंसान दिखा और बोले कि मीठी बच्ची चिंता मत करो, मैं बैठा हूँ। फिर मैं उठी 4 बजे, स्नान किया और बाहर जाकर बैठी। तब मुझे बहुत तेज़ भूख लगी हुई थी, खाने के लिए कुछ भी नहीं था। फिर एक पड़ोस से माता जा रही थी, गुरूवार का दिन था तो मैंने उस माता से पूछा कि माता जी आप मंदिर जा रही हो तो मुझे भी ले चलो, वहाँ मुझे प्रसाद खिला देना, मेरी भूख मिट जाएगी। वो माता रोने लगी, फिर उन्होंने कहा कि बेटा मंदिर नहीं जा रही हूँ, ब्रह्माकुमारीज़ आश्रम जा रही हूँ। मैंने माता को कहा वहाँ कुछ खाने को मिलेगा क्या? माता ने कहा हाँ, चलो वो बाबा का घर है, वहाँ आप को निराश नहीं होना पड़ेगा, बाबा सबको खुशी देता है, तब मैंने खुश होकर मेरे मम्मी-पापा और भाई को बोला कि वहाँ खाने को मिलेगा चलो…चलो…। तो मेरा पूरा परिवार खुश हुआ और हम सभी बाबा के घर निकल गये। जब हम बाबा के घर पहुँचे, वहाँ ब्र.कु. चन्द्रकांता दीदी मुरली सुना रही थीं, भाई-बहन बहुत बैठे थे, तो मैंने सोचा इतने भाई-बहन बैठे हैं, क्या मिलेगा खाने को! मुरली खत्म होते ही चन्द्रकांता दीदी ने भोग दिया तो हमारे पूरे परिवार ने बड़ी खुशी से भोग खाया, आँखों से आंसू निकल आए और खुशी का ठिकाना नहीं था। दिल से शुक्रिया किया कि आपने मेरे परिवार को भोग दिया, फिर हम जैसे ही बाबा के घर से निकल रहे थे, इतने में दीदी चन्द्रकांता को पता नहीं कैसे पता चला उन्होंने मुझे रोका- बहन रूको, इतने प्यार से बोला तो मैं रूक गई। मैंने सोचा पता नहीं दीदी क्या बोलेंगी। दीदी ऊपर से एक बहुत बड़ा थैला लेकर आई, मैंने पूछा दीदी इसमें क्या है? तो दीदी ने कहा कि इसे घर ले जाओ और घर जाकर ही देखना और उन्होंने कहा कि बाबा के घर आते रहना तो मैंने कहा ठीक है। और मैं जब घर के लिए निकली तब घर जाकर देखा, उस थैले में आटा था, दाल, मसाले, बहुत सारी चीज़ें थीं, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस तरह पूरा परिवार बाबा के घर जाने लगा, हर रोज़ हमें सफलता मिलती रही। अब कुछ दिन बीते ही थे फिर एक समस्या हुई, मेरे पेट में बहुत दर्द होने लगा और वो दर्द धीरे-धीरे बढ़ता रहा। मैंने हॉस्पिटल में सभी जगह दिखाया, डॉक्टर ने मुझे बोला कि आपको अल्सर है, मैंने डॉक्टर को बोला कि क्या करें? डॉक्टर ने दवाई दी, फिर भी मुझे छ: महीने से आराम नहीं आ रहा था, दर्द बढ़ता जा रहा था, फिर खाना-पीना सब बंद हो गया और तबीयत खराब के कारण मैं बाबा के घर नहीं जा पा रही थी। तब बाबा के घर से कॉल आया, चन्द्रकांता दीदी ने बोला की आपने बाबा के घर आना क्यों छोड़ दिया? तो मैंने बोला मेरे पेट में दर्द है, इसलिए मैं नहीं आ पाई। तो दीदी ने बोला एक बार बाबा के घर आओ।
मैं तुरंत बाबा के घर पहुँची, फिर दीदी ने कहा एक गिलास लस्सी पी लो, मैंने सोचा दीदी मुझे लस्सी क्यों दे रही हैं! दीदी ने कहा गर्मी बहुत है, इसलिए ठण्डी लस्सी पी लो। मैंने लस्सी पी, पीते ही मुझे पेट में आराम मिला, 2015 में मेरे पेट में आराम मिला और 2015 में ही मेरा पेट दर्द खत्म हो गया। आज भी मैं बाबा का बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूँ। जो बाबा ने मुझे अपना बनाया और मेरी सारी मुश्किलों को दूर किया।
डॉ. पूजा राजपूत,फिजियोथैरेपीस्ट,भादरा,हनुमानगढ़, राजस्थान। मो.- 9588265707




