हम बच्चे इतने पदम्मापदम्म भाग्यशाली हैं, जो हमारे कदम-कदम में पदम्म हैं। स्वयं भगवान हमारे भाग्य का गायन करता है। तो सोचो हम कितने भाग्यवान हैं। अपने आपके भाग्य की स्वयं ही सराहना करो। अगर स्वयं अपना भाग्य देख हर्षित रहेंगे तो कभी गम नहीं आएगा। यह भी सोचो कि हमें भाग्यवान क्यों कहा? क्योंकि हम सभी हीरो-हीरोइन हैं। जो ड्रामा में हीरो-हीरोइन पार्टधारी होते हैं, उनके ऊपर ड्रामा के डायरेक्टर का विशेष अटेन्शन होता है। उनकी वैल्यू को भी जानते हैं, क्योंकि सारे फिल्म की आकर्षण हीरो-हीरोइन पार्टधारी पर होती है। उन्हें सब बातों की एक्टिंग करनी आती है। राजा का भी पार्ट एक्यूरेट बजाएगा तो दास-दासी का भी पार्ट एक्यूरेट बजा लेगा। वह एक्टिव और ऑलराउण्ड होता।
हीरो पार्टधारी माना हर बात का अनुभवी, जानकार। तो हम-आप सभी सारे कल्प के अंदर हीरो-हीरोइन हैं। संगम पर बाबा हमें इतना महान बनाता है, एक्टिव बनाता है जो सारे कल्प में हम महान रहते हैं। अभी हम सर्व सम्बन्ध एक बाप से जोड़ते, बाप की सारी नॉलेज को स्वयं में धारण करते, बाप के समान बनते हैं, यह भी हम सभी का पार्ट है। जैसे बाप स्वयं ज़ीरो है, ऐसे हमें भी ज़ीरो बनाकर हीरो बनाता है। जैसे बाप वैसे हम बन जाते हैं। बाप समान निराकारी बनने का, फिर निराकार बाप को प्रत्यक्ष करने का भी हमारा पार्ट है। सर्विस करके बाप को प्रत्यक्ष करने का भी पार्ट है। स्वर्ग की नई राजधानी स्थापन करके सूर्यवंशी घराने की प्राइज़ लेने का भी पार्ट है। महाराजा-महारानी व रॉयल फैमिली की विजयी माला बनने का भी पार्ट है। फिर द्वापर से लेकर आपेही पूज्य, आपेही पुजारी बनने का पार्ट है। फिर अन्त में सारी नॉलेज को धारण करके मास्टर नॉलेजफुल बनने का भी हमारा पार्ट है। ऐसे हैं हम हीरो पार्टधारी।
इस ड्रामा में आदि से अन्त तक हम हीरो हैं। संगम पर हमें बाबा लाइट का ताज देता, शक्तियों की माइट का भी ताज देता। हम आधाकल्प डबल ताजधारी रहते हैं। इस समय हम गरीब निवाज़ बाबा के बच्चे हैं। लेकिन हम हैं डबल ताजधारी। दुनिया वाले चिंताओं में रहते, और हम ज्ञान रत्नों से भरपूर होकर खुशियों के गीत गाते। तो क्या आप सब अपने को ऐसा हीरो समझते हो? वैसे भी हीरे का दाम बहुत होता है। हीरो बनना है तो अपनी स्थिति ज़ीरो बनाओ। तो एक तो हम सच्चे हीरो अर्थात् डायमण्ड हैं, दूसरा हम हीरो पार्टधारी हैं। जिस घड़ी जो पार्ट है- उसे एक्यूरेट बजाओ। आकर्षण वाला बजाओ। लेकिन पार्ट बजाते भी साक्षी रहो। साक्षी दृष्टा होकर पार्ट बजाने का बैलेन्स रखो। सारी नॉलेज को ऐसा ग्रहण कर लो जैसे कहते हैं चिडिय़ों ने सागर को हप किया। जो सारी नॉलेज को हप कर नॉलेजफुल बनता उसे किसी भी बात में शंका नहीं होती। ज्ञान सागर बाबा हमें रोज़ नई प्वाइंट्स सुनाकर खज़ाने से भरपूर करता है।
हम सबका प्यार नॉलेज से, पढाई से हो। जिसका पढ़ाई से प्यार है, उसका विचार सागर मंथन भी चलता है। उसे नशा रहता है कि हम कितने बड़े जौहरी हैं। बड़े से बड़े हीरे भी हमारे पास हैं तो छोटे से छोटे हीरे भी हमारे पास हैं। कोई भी हमारे पास आये तो हम उसे ज्ञान रत्नों की ज्वैलरी पहना सकते हैं। जिसके पास सच्चे हीरों की ज्वैलरी होगी उसकी झूठे हीरों पर नज़र नहीं जा सकती। इसलिए बाबा कहते दुनिया की झूठी जवाहरात को, अथवा बातों को देखते भी नहीं देखो, सुनते भी नहीं सुनो। क्योंकि हमें सच्चे जवाहरात मिल गए। बाबा ने हमें जवाहरात से सजाया है। ज्ञान रत्नों की ज्वैलरी से हमें खूब सजाया है। हमें सर्वशक्तिवान् बाबा ने सर्वशक्तियां दी हैं। सबसे बड़ी शक्ति हमें बाबा ने प्रेम की दी है। एक बाप के सब बच्चे हैं इसी एक दृष्टा ने हमें प्रेम की मूर्त बनाया है। दुश्मन को भी दोस्त बना दिया है।
ब्राह्मण अर्थात् बी.के. कभी यह नहीं कह सकते कि यह मेरा दुश्मन है। दुनिया की भाषा में है कि यह विपक्ष का है, हमारी भाषा में न पक्षपात है, न दुश्मनी है। दुनिया विनाश के साधन बनाने वालों को दुश्मन समझती लेकिन कल्याणकारी बाबा कहते कि ड्रामा के अन्दर जो कुछ बना है यह सब कल्याणकारी है। भल लोग बाबा की ग्लानी करते, बाबा समझानी देगा लेकिन फिर कहेगा यह भी ड्रामा। तो हमारी दृष्टि सबके लिए कितनी प्रेम भरी, रहम भरी चाहिए।




