समय बहुत मूल्यवान और परिवर्तनशील है। आज हम सब जानते हैं कि यह संगमयुग का अंतिम समय है और हमें सतयुग की ओर जाना है। इस समय हर आत्मा को अपनी चाल-चलन, विचार और व्यवहार को ऐसा बनाना है कि हर कोई हमें देखकर परमात्मा का स्मरण करे। इस नये साल के आरंभ के पूर्व आत्म-स्वरूप में स्थित होकर ये दिव्य संकल्प लें।
- आत्म-स्मृति व परमात्मा से अटूट संबंध – ‘सबसे पहले आत्मा को अपनी पहचान दें।’ नया साल 2026 हमें यह स्मरण कराता है कि मैं आत्मा हूँ, शुद्ध, शान्त और शक्ति स्वरूप आत्मा हूँ। इस आत्म-स्वरूप में स्थित रहकर हमें हर क्षण शिवबाबा से योग जोडऩा है। यही योग आत्मा को शक्ति देगा और चेहरे पर दिव्यता लायेगा।
- पवित्रता और शुद्ध संकल्प – सतयुग की तैयारी के लिए पवित्रता हमारी सबसे बड़ी पूँजी है। इसलिए विचारों से लेकर व्यवहार तक शुद्धता को अपनाना है। जब संकल्प पवित्र होंगे, तभी संबंधों में सच्चा आदर और सम्मान बनेगा। नया साल हमें यही शिक्षा देता है कि अपनी दिनचर्या को स्वच्छ और सात्विक बनाएं।
- संबंधों में आदर और करुणा – आत्म-उन्नति केवल व्यक्तिगत साधना तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारे संबंधों से भी प्रकट होती है। हर आत्मा, परमात्मा की संतान है, इसलिए हमें सबके प्रति आदर, करुणा और सम्मान की दृष्टि रखनी है। नए साल में यह संकल्प लें कि किसी की आलोचना नहीं करेंगे, बल्कि हर आत्मा में श्रेष्ठता को देखेंगे।
- राजयोग को जीवनशैली बनाना – राजयोग केवल ध्यान का अभ्यास नहीं है बल्कि जीवन जीने की कला है। राजयोग को केवल मुरली सुनने तक न रखें, बल्कि उसे व्यवहार में उतारें। हर परिस्थिति में शांत रहना, हर स्थिति को अवसर बनाना, यही राजयोग की पहचान है। नए साल में हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि राजयोग हमारे हर क्षण की जीवनशैली बन जाए।
- सेवा और परमात्म संदेश – समय बहुत कम है और दुनिया परिवर्तन के द्वार पर खड़ी है। इसलिए नए साल 2026 में हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि अपने विचारों, वाणी और कर्म से अधिक से अधिक आत्माओं तक परमात्मा का संदेश पहुँचाएँ। यह सेवा ही सच्ची खुशी का आधार है और यही हमें सतयुग की ओर ले जाएगी।




