कहते हैं, सुबह की शुरुआत अच्छी तो शाम भी अच्छी। सुबह आँख खुलते ही पहले के जो क्षण हैं उनका हमारे पूरे दिन के लिए बहुत महत्वपूर्ण स्थान हैं। जो उन क्षणों को बहुत शक्तिशाली संकल्पों के साथ व्यतीत करते हैं, वो सारे दिन में, हर परिस्थिति में, हर चुनौती में विजयी होकर ही रहते हैं। चुनौतियों को अवसर में बदलने के लिए शुरुआत के अमूल्य पलों को हमें शक्तिशाली बनाना ही होगा। अन्यथा मिले हुए सारे दिन के समय को हम यूं ही गंवा देंगे। न सिर्फ गवायेंगे किंतु उनके नकारात्मक प्रभाव से दूसरे दिन को भी असफल करने के बीज बो देंगे। अगर हम अपने दिन को सुख और शांतिमय, तनावरहित व्यतीत करना चाहते हैं तो सुबह की शुरुआत इन छ: संकल्पों के साथ करें।
सबसे पहले मैं एक शक्तिशाली आत्मा हूँ। मैं परमात्म प्रदत्त इस संसार में यूनिक हूँ। तो सबसे पहले इस संकल्प को अपने मन-मस्तिष्क में इमर्ज कर क्रमैं शक्तिशाली आत्मा हूँञ्ज ये संकल्प करने से अपने भीतर मौजूद परमात्मा द्वारा दी हुई शक्तियां जागृत हो जायेंगी और अपनी शक्तियों से हम रुबरु हो जायेंगे। हम अनुभव करेंगे कि ओहो! मेरे पास तो सर्व शक्तियां मौजूद हैं और आपको उसका अनुभव होने लगेगा। और आप अपने आप को शक्तिशाली महसूस करने लगेंगे। आप अपने आप को ऊर्जावान महसूस करेंगे। मैं हर कार्य के लिए सक्षम हूँ, ये ताकत और साहस आपमें पैदा होगी।
दूसरा संकल्प, मैं सदा खुश हूँ। क्योंकि खुशी मेरा वास्तविक स्वरूप है। जैसे कहते हैं ना आत्मा सत्-चित्-आनंद स्वरूप है। आनंद मेरा निजी रूप है, उसका गहराई से अनुभव करना है। मेरा हर संकल्प शुभ व श्रेष्ठ स्मृतियों से भरपूर है। इस अनुभव को अपने भीतर अनुभव करें और उन शक्तियों को अपने अंदर इमर्ज करें। आपको अनुभव होगा, खुशी मेरे भीतर ही है और मेरा ये निज स्वरूप है।
तीसरा, मैं सदा स्वस्थ हूँ। मेरा शरीर हर पल मेरा साथ देता है। शरीर की हर कोशिकाएं अविरत, अखंड और अटल रूप से कार्य कर रही हैं। मैं अच्छा फील कर रहा हूँ। इस शरीर के साथ से ही तो इतना बड़ा कार्य करने में मैं सक्षम हूँ। इस शरीर का मालिक बनकर इस शरीर का सुचारू रूप से लालन-पालन करना है। ये शरीर परमात्मा द्वारा दिया हुआ बहुत सुंदर उपहार है। इस औजार से तो मैं इस संसार में हर कार्य सहजता से कर पाता हूँ। इसे कोसने के बजाय इसका शुक्रिया अदा करें।
चौथा, सबसे महत्वपूर्ण संकल्प है, इस समय परमात्मा मात-पिता के सम्बंध से मेरी पालना कर रहे हैं। मैं बहुत भाग्यशाली हूँ, परमात्मा के सानिध्य में मेरा हर कर्म श्रेष्ठ व सुखदायी है। परमात्मा हर घड़ी मुझे एक छोटे बच्चे की तरह हाथ पकड़कर इस संसार से श्रेष्ठ संसार की ओर ले जा रहे हैं। जहाँ सुख ही सुख है। परमात्मा परमेश्वर मात-पिता ने मेरे सब कर्मों का बोझ हर लिया है। कहते हैं जन्म-जन्म से बोझ उठाते-उठाते आप थक गये हो, अब आप अपना बोझ मुझे दे दो, अकेले नहीं चलो। मैं आपके साथ-साथ हूँ, यानी कि सर्व शक्तियों सहित परमात्मा हमारे साथ हैं। जब ऐसा साथ है तो हर मुश्किलातें मुश्किल नहीं लगतीं, परंतु खेल की तरह उससे खेलते हैं। और सहज ही सब कार्य हो रहे हैं। परमात्मा का साथ और हाथ हर पल मेरे साथ है।
पाँचवा, मेरे सबके साथ अच्छे सम्बंध हैं। कहते हैं, रिलेशन इज़ द स्ट्रेन्थ। मेरे साथ अच्छे सम्बंध की शक्ति व सहयोग सदा मुझे सुखद बनाये रखती है। सुबह-सुबह ये संकल्प कर अपने मन को शक्तिशाली बनाना है। जहां सम्बंध अच्छे, वहां स्नेह और सुख परछाई की तरह हैं। परमात्मा ने मुझे न सिर्फ श्रेष्ठ सम्बंधों का ज्ञान दिया किंतु उसे निभाने के लिए शक्तियां भी दी हैं।
छठा, मैं फरिश्ता हूँ। फरिश्ता यानी कि डबल लाइट। न खुद के संस्कारों का बोझ, न ही सम्बंधों का बोझ। दोनों से ऊपर सदा लाइट, हल्का हूँ। इस सुहावने समय में इस धरा पर फरिश्ता बनकर रहने के लिए मुझे सुअवसर मिला है। मेरा कत्र्तव्य है, परमात्मा का संदेश जन-जन को देना, साथ ही सबको रूहानी सहयोग देकर उन्हें भी फरिश्तापन की महसूसता कराना।
इस तरह सुबह की शुरुआत इन छ: संकल्पों के साथ कर अपनी शक्तियों को, योग्यताओं को पहचानें व उसकी अनुभूति करें। क्योंकि सुबह-सुबह इन संकल्पों को हमने विधि पूर्वक महसूस कर लिया तो वो हमारी एक शक्ति हो जायेगी। तब हम न सिर्फ बुराइयों से बचे रहेंगे बल्कि हमारा पुण्य का खाता भी बढ़ता रहेगा। और हम अपने जीवन को बहुत हल्का और आगे बढ़ता हुआ महसूस करेंगे। आप स्वयं रीयलाइज़ करके देखिये, आपको बहुत अच्छा लगेगा। इस तरह सुबह की शुरुआत छ: संकल्पों से कर सम्पन्नता की ओर आगे बढ़ें।