हम सब एक महान परिवर्तन की तरफ चल चुके हैं। समाधान तो छोटी चीज़ होती है कि समस्या आयी उसका समाधान किया लेकिन एक ऐसा होता है कि महान परिवर्तन हो जहाँ सृष्टि की सारी समस्यायें ही खत्म हो जाती हैं। तो हम सब परमात्मा के वो फरिश्ते हैं जो कलियुगी दुनिया में रहते हुए सतयुगी संस्कार, सतयुगी संस्कृति और सतयुगी संसार का निर्माण करने के लिए सक्षम हैं। परमात्मा के चुने हुए बच्चों को ही परमात्मा अपने घर में बुलाता है तथा श्रेष्ठ कर्मों के फल स्वरूप ही हम यहां आ पाते हैं।
श्रेष्ठ कर्म करने की विधि सीख कर हम सभी देश और विश्व का भाग्य परिवर्तन करने वाले कर्म कर सकते हैं। समाधान यहीं से शुरु होगा क्योंकि कोई भी समाधान बाहर से नहीं आंतरिक स्थिति से होता है। जैसे ही हमारी आंतरिक स्थिति परिवर्तित होती है,हम जो करते हैं वो बदलना शुरु हो जाता है। जब तक हम आंतरिक स्थिति को नहीं बदलते और बाहर बदलने की कोशिश करते हैं कि हम ऐसे सोचेंगे, ऐसा नहीं सोचेंगे हम इस तरह से बात करेंगे, हम इस तरह से नहीं बोलेेंगे, हम इन शब्दों से लिखेंगे, दूसरे शब्दों का हम उपयोग नहीं करेंगे तो वो थोड़े टाइम रहता है लेकिन थोड़े टाइम के बाद फिर से वापिस हम चेंज हो जाते हैं। हम सब ने परिवर्तन करने की कोशिश की है, लेकिन हम सब यह फील करते हैं कि दो दिन, चार दिन, दो महीने उसके बाद हम वापिस पुराने संस्कारों की तरफ चले जाते हैं। हमारे कर्मों से हमारा भाग्य बनता है। यह तो नहीं सोचते कि हमारा भाग्य परमात्मा लिख रहे हैं। क्योंकि जब भी जीवन की कोई बात आती है तो हम ऊपर की तरफ देखते हैं। और हम कहते हैं कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? परमात्मा ने मेरे भाग्य में ऐसा क्यों लिखा? तो हमारे कर्मों से हमारा भाग्य बनता है। और हमारे कर्मों का प्रभाव कितनी आत्माओं पर पड़ रहा है उससे हमारा भाग्य बनता जाता है।
तो मीडिया एक ऐसा प्रोफेशन है जिसमें कार्मिक अकाउन्ट बहुत तीव्र गति से,क्योंकि आपका कार्मिक कनेक्शन एक के साथ नहीं होता,लाखों-करोड़ों के साथ होता है। आप अगर एक ऐसा शब्द लिखते हैं जिससे लाखों लोगों की आत्मिक स्थिति ऊपर की तरफ बढ़ती है। वो सारी दुआयें आप के पास चली जायेंगी। लेकिन अगर हम एक ऐसा शब्द लिखते हैं जिससे लाखों लोगों की स्थिति थोड़ी-सी नीचे आ गई है तो वो वायब्रेशन हमारे पास आयेंगे। लिखनी हमने वो ही बात है जो देश में हुई है, लेकिन लिखने का तरीका, सुनाने का तरीका, भाषा, शब्दों का उपयोग और हमारी स्थिति के वायब्रेशन यह हमारा कर्म है। जो हमारा प्रोफेशन है उसमें हमारी वायब्रेशन कौन-सी जाने वाली है वो हमारा कर्म है और हमारे कर्म से हमारा भाग्य बनता है।
आज जब हम देखते हैं, लोग कहते हैं कि मेरा मन सोचना ही बन्द नहीं करता है। कहते हैं पता नहीं मेरे को निगेटिव थॉट्स इतने क्यों आते रहते हैं तो हम सब उनको एक ही रीज़न(कारण) बताते हैं। आप बहुत ज्य़ादा मीडिया सुन-पढ़ रहे हैं। हम उनसे कहते हैं कि आप अगर अपनी मन की स्थिति को सम्भालना चाहते हैं तो मीडिया से कंज्यूम(उपयोग) करना कम कर दो। लेकिन हम यह कहना नहीं चाहेंगे। अगर मीडिया उनको ऐसी खुराक देना शुरु कर दे जिससे उनके मन की स्थिति शक्तिशाली हो तो हम उनको कहेंगे मीडिया से और ज्य़ादा सुनो, पढ़ो और देखो। लेकिन अगर छोटे-छोटे बच्चों के मन की स्थिति इतनी हिल रही है कि उनको एंग्ज़ाइटी(तनाव) और डिप्रेशन और पैनिक अटैक(भय का दौरा) हो रहा है। तो हमें उनको कहना पड़ता है कि आप फोन, टीवी और इन्टरनेट से जो ले रहे हैं उसको बंद कर दो। क्योंकि यह एक लॉ है कि जो हम सुनते, पढ़ते, देखते हैं उससे ही हमारी सोच बनती है, वो ही हम बनते हैं। इसीलिए जिनको अपनी सोच की क्वालिटी को चेंज करना है उनको अपने कंटेंट(विषय) को चेंज करना पड़ता है। फिर सारा दिन जो कंटेंट सबको दे रहे हैं उनकी सोच पर कितना असर पड़ता होगा! जब हम अपनी स्थिति को श्रेष्ठ बनाने का संकल्प लेंगे तो अपने रोल में कुछ चेंज लाना नहीं पड़ेगा,आपके रोल में चेंज अपने आप आना शुरु हो जायेगा। आगे च्वॉइस हमारी है कि हमने क्या खिलाना है लेकिन उस प्रोफेशन से हम धन कमाते हैं। वो धन हमारे परिवार की पालना करता है। उस धन से हमारे घर का अन्न खरीदा जाता है,उस अन्न का असर परिवार के मन पर होता है और मन का असर तन पर होता है। तो सबसे इम्र्पोटेंट(महत्त्वपूर्ण) एनर्जी जो घर के अन्दर होती है वो होती है धन, लेकिन धन मतलब कितना धन नहीं,कैसे कमाया हुआ धन। अगर वो धन किसी को दु:ख और दर्द देकर आता है। उस धन के साथ वो वायब्रेशन आ जाते हैं। लेकिन अगर वो धन किसी को सुख और शक्ति देकर आता है तो उसके साथ दुआओं कि एनर्जी आ जाती है। तो हो सकता है अगर हम न्यूज़ पॉजि़टिव बनाते हैं या कोई समाचार को बहुत पॉजि़टिव तरीके से लिखते हैं,बात वो ही होगी लेकिन लिखने का तरीका अगर अलग होगा हो सकता है कि उसके पाठक थोड़े कम हो लेकिन थोड़े कम पाठकों में भी आपके घर में दुआयें ज्यादा आयेंगी। हमें वो लीडरशीप क्वालिटी बनना है। हमेें वो बनना है क्रपॉवर ऑफ वनञ्ज एक की शक्ति। हम कहते हैं सिर्फ मेरे पॉजि़टिव लिखने से क्या होगा बाकि तो कोई लिखता नहीं, लेकिन पहले एक तो हिम्मत करे, शुरुआत एक से ही होती है। एक के हिम्मत से ही परिर्वतन होता है।