हुबली, कर्नाटक। ब्रह्माकुमारीज़ के कला व संस्कृति प्रभाग द्वारा 22 से 27 सितंबर 2022 तक कर्नाटक के हुबली शहर में भगवद गीता ज्ञान लोक रिट्रीट सेंटर में एक भव्य रिट्रीट का आयोजन किया गया. इस रिट्रीट में भारत के कोने-कोने से आए प्रभाग के 210 सदस्यों ने भाग लिया. रिट्रीट के अंतर्गत योग-भट्टी, सेवा योजना और स्वउन्नति हेतु मीटिंग, सांस्कृतिक संध्या और सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित हुए.
मीटिंग समाचार
मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए आर्ट एंड कल्चर विंग के चेयरपर्सन बीके दयाल भाई जी ने कहा कि पिछले 5 सालों से शांतिवन में विंग की बड़ी कॉन्फ्रेंस नहीं हुई है इसलिए हमें अगले साल एक बड़ी कॉन्फ्रेंस शांतिवन में आयोजित करनी है जिसमें 5 हजार कलाकार हिस्सा ले सकेंगे. इसके लिए हमें अभी से ही अपने-अपने क्षेत्रों में कला से जुड़े संस्थानों से संपर्क शुरू कर देना चाहिए.
मीटिंग में आर्ट एंड कल्चर विंग के वाईस-चेयरपर्सन मुंबई से निहा बहनजी ने ऑनलाइन जुड़कर विंग के सदस्यों को शुभ कामनाएं दी और कहा कि हमें अपने इस विंग की सेवाओं को मिलजुलकर और आगे बढ़ाना है. इसके लिए सभी मीटिंग के द्वारा अपने अन्दर खूब उमंग-उत्साह भरें. हम ऐसी सेवा करें जिसमें मेहनत कम और सफलता पदमगुना मिल जाए.
इस अवसर पर हुबली सब जोन के निदेशक बीके बसवराज भाईजी ने कहा कि हमारी संस्था के सभी 20 विंग सतयुग में काम में नहीं आते. केवल कुछेक विंग ही सारे कल्प में, सभी युगों में होते हैं जिनमें आर्ट एंड कल्चर विंग भी है.
मीटिंग में आर्ट एंड कल्चर विंग की नेशनल कोऑर्डिनेटर दिल्ली से पधारे बीके पूनम बहनजी ने प्यारे बापदादा की प्रेरणाएं सुनाते हुए कहा कि प्राणप्यारे बाबा ने हम सबको डिवाइन कल्चर लाने की जिम्मेवारी सौंपी है. कला में रुचि रखने वाले और कला को सीखने वाले सभी कलाकार ही हैं. कलाकारों को विशेष गंभीरता और रमणीकता का बैलेंस रखेन चाहिए.
करनाल से पधारे आर्ट एंड कल्चर विंग के नेशनल कोऑर्डिनेटर बीके प्रेम बहन जी ने मीटिंग का संचालन करते हुए कहा कि ये मीटिंग इसलिए रखी गई है ताकि विंग के सदस्यों का उमंग-उत्साह बढ़े और प्यारे बाबा की सेवाओं को हम सब मिलकर चार चांद लगा सकें जिससे जन-जन तक परमात्म संदेश पहुंच सके.
मीटिंग में प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके सतीश भाई जी ने सबसे पहले वर्तमान पदाधिकारियों का परिचय सभी से कराया. फिर उन्होंने कि आदरणीय राजयोगिनी गुलजार दादी जी जो 2021 तक आर्ट एंड कल्चर विंग की अध्यक्षा रही, हमेशा कहा करती थीं कि हमारे विंग का मोटो होना चाहिए – खुश रहो और सबको खुश रखो. हमें सबके चेहरों पर खुशी लानी है. यही कल्चर विंग की नेचर है.
मीटिंग में आर्ट एंड कल्चर विंग के मुख्यालय संयोजक बीके ओंकार भाई ने 15 अप्रैल को विश्व कला दिवस और 25 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि ये दोनों दिवस कलाकारों के लिए अति महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इन दिनों पर हम अपने सेवा केंद्रों पर कलाकारों के सम्मान समारोह रख सकते हैं. उन्होंने विंग की वेबसाइट को और अधिक सुंदर बनाने और नए सदस्यों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम तैयार करने का भी सुझाव दिया.
मीटिंग में दावनगिरी की लीला बहन, चन्द्रपुर के नरेंद्र भाई, बड़ोदा के मिनेश भाई, बेंगलोर के विश्वनाथ भाई और शारदा बहन सहित प्रभाग के अनेक सदस्यों ने उनके सेवा स्थानों पर की गई सेवाओं का समाचार सुनाया. इसके अलावा मीटिंग में निम्नलिखित बातों पर भी विस्तार पूर्वक चर्चा की गई:
• दिसम्बर 18 से 28 दिसम्बर तक पुणे से गोवा अभियान निकालने के विषय में
• विंग का इंट्रोडक्शन एवं सेवाओं की वीडियो निर्माण के विषय में
• अगले वर्ष 2023 में शांतिवन में आयोजित होने वाले महासम्मेलन के संबंध में
• सांस्कृतिक मंत्रालय से सहयोग कैसे लिया जाए
• अखिल भारतीय सांस्कृतिक अभियान निकालने के संबंध में
‘स्वर्णिम संस्कृति से स्वर्णिम संसार’ सांस्कृतिक संध्या का आयोजन
हुबली में आर्ट एंड कल्चर विंग के द्वारा 25 सितंबर को सांस्कृतिक संध्या और सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें दावनगिरी के और देश के कोने-कोने से आए प्रभाग के कलाकारों ने अपनी रंगारंग प्रस्तुतियों से भारत की महान संस्कृति और अध्यात्म का संदेश दिया. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कर्नाटक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर नागैया, महिला कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर राजेश्वरी, साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल शिव कुमार स्वामी भी उपस्थित रहे.
हर कर्म को कला के रूप में करें – बीके दयाल भाई
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विंग के अध्यक्ष बीके दयाल भाई जी ने कहा कि जब हर एक्शन परफेक्शन की स्टेज तक पहुंच जाता है तो वह आर्ट बन जाता है. हर कर्म को कला के रूप में किया जाए तो हमारा कर्म ही कला बन जाता है. हर कर्म हम परमात्मा की याद में रहकर करें तो वह कर्म यादगार बन जाएगा.
कला वही जो सब का भला करे – बीके सतीश भाई
प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके सतीश भाई ने कहा कि परम कलाकार परमात्मा हम सब कलाकारों के द्वारा अपने कर्मों को कलात्मक बनाकर, श्रेष्ठ जीवन जीने की कला सिखा कर हम सबको ऐसा कलाकार बना रहे हैं जो कल को स्वर्णिम आकार देकर नए विश्व का निर्माण कर सकें. हम याद रखें कि कला वही जो सब का भला करे और साथ ले सबको चला करे.
हमें सत्य, अहिंसा की संस्कृति को फिर से लाना है – बीके प्रेम बहन
कार्यक्रम का संचालन करते हुए विंग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके प्रेम बहन जी ने कहा कि हम गाते आए हैं – जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा… जहां सत्य अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा, वह भारत देश है मेरा. जहां सत्य, अहिंसा की संस्कृति रही है वहां आज एक मानव दूसरे मानव से डर रहा है.
सभी कलाकार जगे हुए दीपक बनें – बीके पूनम बहन
प्रभाग की नेशनल कोऑर्डिनेटर दिल्ली से पधारे बीके पूनम बहन जी ने कहा कि स्वर्णिम संस्कृति से ही स्वर्णिम संसार बनेगा. हम ज्ञान का दीपक जला कर अज्ञान अंधेरे को समाप्त करें. कला और गीत-संगीत में बहुत ताकत है जिससे सारी दुनिया को बदला जा सकता है.
सबसे बड़ी कला है मन को ईश्वर में लगाना – बीके ओंकार
विंग के मुख्यालय संयोजक बीके ओंकार भाई ने कहा कि सबसे बड़ी कला है अपने मन को ईश्वर में लगाने की कला और खुशनुमा जीवन जीने की कला. यदि कलाकार खुद ही दुखी-परेशान रहता होगा तो उसकी कलाकृति के द्वारा, उसके गीत व पेंटिंग के द्वारा भी लोगों को दुःख-टेंशन का ही संदेश जाएगा.
कार्यक्रम के अंत में श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद, भरतनाट्यम और गरबा की सुन्दर प्रस्तुति नें सभी का मन मोह लिया.