एक समय की बात है, सीमा पर युद्ध की तैयारियां चल रही थी। सभी सेनाएं अपने-अपने पोस्ट बंकर पर यथाशीघ्र पहुुंच रही थी। एक जनरल जो बहादुर और परमवीर थे। उन्हें वीरता के लिए ढेरों पुरस्कार प्राप्त थे। अपनी सैन्य टुकड़ी को लेकर सीमा की ओर कुच(जा) कर रहे थे। उन्होंने महसूस किया कि उनकी सेना का मनोबल कम है। जनरल ने अपनी सैन्य टुकड़ी से क्या कारण है,पूछा। किंतु जवानों ने मना कर दिया और कारण नहीं बताया। कुछ समय बाद जनरल एक स्थान पर रुकने का आदेश देेते हैं। वहाँ छावनी बनाई जाती है,पड़ाव डाला जाता है। कुछ समय विश्राम के पश्चात् जनरल ने फिर सभी सैनिकों से पूछा कि क्या कारण है? आप में आत्म बल की, मनोबल की कमी दिख रही है। कुछ सैनिकों ने दबे स्वर में कहा कि हम संख्या में बहुत कम हैं, और हमारे दुश्मन हम से अधिक। इस पर जनरल कुछ बोले नहीं, सभी को जल्दी से तैयार व विश्राम करने को कहा। कुछ समय विश्राम के पश्चात् जब चलने की तैयारी हुई तो, जनरल ने अपने जवानों को संबोधित किया कि मेरे! बहादुर जवान सिपाहियों,आप उस देश के सैनिक हो जहाँ का एक-एक योद्धा दुश्मन के सवा लाख सैनिकों पर भारी पड़ता है। मुझे गर्व है कि हम सब उस माँ के वीर सपूत हैं। मुझे विश्वास ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि विजय आपकी ही होगी। ऐसा कहते हुए जनरल ने भारत माता की जय के नारे लगाये।
जनरल ने कुछ दूर स्थित पहाड़ी से नीचे झांककर देखा, और अपने सैनिकों को बताया कि हमारी सहायता के लिए और कई सारी टुकडिय़ां हमारी ओर आ रही हैं। इतना सुनते ही सभी सैनिकों का मनोबल बढ़ गया। उनकी ताकत दस गुणा अधिक हो गई। उनमें आत्मविश्वास का बल आ गया। सभी जवान जोशीले स्वर में जयघोष लगाते हुए सीमा की ओर बढ़ चले। सैनिकों के चेहरे पर जो पीलापन आ गया था, वह अब दूर हो गया था। उनका चेहरा तेज और लालिमा की तरह चमक रहा था, युद्ध में सैनिकों ने बहादुरी से आत्मविश्वास और धैर्य से दुश्मनों को नाकों चने चबवा दिए।
सीख: अगर आत्मविश्वास के साथ दृढ़ निश्चय हो तो असम्भव भी सम्भव हो जाता है।