मन की बातें – राजयोगी बी.के. सूर्य

0
205

प्रश्न : मेरा नाम स्वाति दुबे है। हम ज्ञान में नये-नये जुड़े हैं और हमने सुना है कि भोग लगाने से भोगनायें समाप्त हो जाती हैं। कृपया बतायें भगवान को भोग लगाने की विधि क्या है? भगवान हमें दिखाई नहीं देते हम उन्हें कैसे देख सकते हैं?
उत्तर : भगवान को देखना भी है और जो अभोक्ता है उसे भोग भी लगाना है। यही स्पिरिचुअलिटी की अपनी सुन्दरता है। ईश्वरीय ज्ञान और योग की यही ब्यूटी है कि जो दिखता नहीं उसको हमें देखना है और जो खाता नहीं उसको खिलाना है। हम मनुष्यों को खिलाते रहे, परिवार को खिलाते रहे, लोग अपने गुरुओं को भी भोग लगाते हैं। लोग देवी-देवताओं को भोग लगाते हैं लेकिन अपने परमपिता को भोग लगाना ये सचमुच एक बहुत बड़े प्यार का प्रतीक है। भोजन तो वो नहीं खाता लेकिन हमारे प्यार और भावनाओं को वो स्वीकार कर लेता है। ये आम मान्यता भी है कि भगवान हमें खिला रहा है। तो पहले हम खिलाने वाले को ऑफर कर दें तो इसके दो तरीके होंगे, एक तो जो भोजन हम रोज़ खायें उसको भी परमात्म समर्पित करके उसका धन्यवाद करके फिर हम भोजन करें कि आपने हमें ये भोजन दिया है। प्रकृति को भी धन्यवाद दें तुमने हमें ये पालना के लिए भोजन दिया है अगर प्रकृति हमें ये भोजन न देती तो कैसा होता, कुछ भी न चलता, संसार ही न चलता। दोनों को थैंक्स देकर अर्पित कर देंगे पहले। हालांकि वो नहीं खाता लेकिन स्वीकार अवश्य करता है। दूसरी चीज़ कि जो गृहणी है वो अपने घर को साफ-सुथरा करें, अपने घर को बिल्कुल अच्छा करें और उसी की याद में, उससे बात करते हुए कि हम आपके लिए भोजन बना रहे हैं, आप तो प्यार के सागर हैं, आपने तो हमें 84 जन्म खिलाया है। अब हमारी बारी है हम तुम्हें स्वादिष्ट भोजन खिलायेंगे। आप तो मेरे परमपिता हो, मेरे सच्चे मित्र हो, मेरे प्रियतम भी हो। और ये अभ्यास करते हुए कि मैं परमपवित्र हूँ भोजन बनायें बहुत प्यार से। श्रेष्ठ फीलिंग, पवित्रता के वायब्रेशन हम भोजन में डालेंगे। क्योंकि ऐसे भोजन को ही भगवान स्वीकार करेगा। ऐसे नहीं कि कैसे भी बर्तन में बना दें। गंदे-मंदे किचन में बना दें। अपने को भी स्वच्छ न करें तो वो भोजन भगवान तक पहुंचता ही नहीं है। तो वो जो भोग बनाने वाला है, मातायें भोग बनायेंगी उनको सम्पूर्ण पवित्र होना चाहिए। नहा धोकर, कपड़े बदलकर भोग तैयार करना चाहिए। पवित्रता के संकल्पों के साथ जिनकी हमने चर्चा की। बर्तन भी बिल्कुल अलग रखने हैं उसके, अगर किसी घर में ये व्यवस्था नहीं हो सकती तो बर्तनों को अच्छे से साफ करके फिर भोजन बनायेंगे। लेकिन ऐसे बर्तनों का प्रयोग बिल्कुल नहीं करेंगे जिनमें नॉनवेज बनता हो, उस किचन में भी भगवान का भोग नहीं बन सकता। फिर बहुत अच्छी तरह बर्तनों को साफ कर उसमें एक तरफ फल भी रखें, पानी भी रखें और रख दें बाबा के सामने और मन से बाबा का आह्वान करें कि आ जाओ, इस भोग को स्वीकार करो। हमने आपके लिए बनाया है। ये जो भण्डारा है ये तुम्हारा ही भण्डारा है। ये भोजन प्यार से स्वीकार करें। और फील करें कि शिव बाबा ब्रह्मा तन में प्रवेश कर नीचे आ गये हैं। और बहुत प्यार से,अपने हाथ से उन्हें भोजन खिलायें। इससे भगवान तृप्त होते हैं। इससे वो प्रसन्न होते हैं। इससे घर में वायब्रेशन बहुत अच्छे फैलते हैं क्योंकि बनाने वाले ने बहुत प्यार से और पवित्र वायब्रेशन में रहकर बनाया है। और परमात्म उपस्थिति का अनुभव भी होता है और अनेक आपदायें इससे समाप्त हो जाती हैं। इससे वो राज़ी होकर अपनी दृष्टि डाल देता है, अपने वायब्रेशन वहाँ दे देता है और समस्यायें लोप होने लगती हैं।

प्रश्न : मैं पायल पंजाब से हूँ। मेरा ग्रैजुएशन पूरा हो गया है और मैं दो साल से बैंक एग्ज़ाम दे रही हूँ, लेकिन हर बार एक-दो नम्बर से चूक जाती हूँ। इस बार मैं फिर से प्रयास कर रही हूँ कृपया आशीर्वाद दें कि मेरा सलेक्शन हो जाये।
उत्तर : हमारी शुभभावनायें आपके साथ तो है ही। तो जब तक आपका इंटरव्यू आये और एग्ज़ाम आये तब तक आप रोज़ सवेरे उठकर सात बार संकल्प करें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। बहुत कॉन्फिडेंस के साथ कि इस बार मुझे सफलता मिलेगी ही। और बहुत अच्छी भावना बैठा लें कि इस बार मेरा सलेक्शन होगा ही। एक विज़न बना लें कि मुझे अपॉइन्टमेंट लेटर दिया जा रहा है और उसको एन्जॉय करें कि बस अब तो जॉब मिल गई जैसे। आपके जो सुन्दर वायब्रेशन हैं वो आपको सफलता दिलायेंगे।

प्रश्न : मैं बैतूल से शारदा हूँ। मेरा बेटा पढ़ाई में बहुत अच्छा है, लेकिन अब उसे क्रिकेटर बनने का शौक चढ़ गया है। ज्य़ादातर समय क्रिकेट खेलता रहता है, लेकिन इस फील्ड में आगे बढऩे के लिए उसे सही अवसर नहीं मिल रहे हैं इसलिए वो चिड़चिड़ा हो गया है और देर रात तक नींद भी नहीं आ रही है। कृपया बतायें क्या करें?

उत्तर : हमारा जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। अगर एक फील्ड में मनुष्य को मनचाही सफलता न मिल रही हो तो दो तरीके हैं या तो उसे छोड़कर दूसरा जो फील्ड है उनका कि वो पढ़ाई में बहुत इंटेलिजेंट है तो अपनी पढ़ाई पर ही फोकस करे। और फिर बहुत अच्छी सर्विस में जाये। अगर उनको इच्छा है कि नहीं मुझे तो क्रिकेटर ही बनना है तो वो निराश न हो पुन: -पुन: प्रयास करें। अच्छा खेलें उनको पता चल जाना चाहिए कि उनकी गलती कहाँ हो रही है। उसके कंसंट्रेशन में गलती हो रही है या वो बहुत इमोशनल है, जल्दीबाजी बहुत कर देता है क्योंकि क्रिकेट ऐसा खेल है जिसके लिए मानसिक बैलेन्स बहुत ज़रूरी है। निर्भयता बहुत ज़रूरी है। एन्जॉय करें खेल को। जल्दीबाजी कर देना कि फटाफट रन बना लेने हैं, छक्के, चौके लगाने हैं तो ऐसे में आउट हो जाते हैं। मैं आपको ये कहूँगा कि जैसे ही आप खेल शुरू करने जायें तो आप सात बार ये अभ्यास करें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। और अपनी इस बात को परमपिता पर अर्पित कर दें। कहें कि मैं तो सच्चे मन से खेल रहा हूँ, और ये मेरा टार्गेट है बाकी तुम सम्भाल लो। उनको वो खुदा दोस्त बना ले तो वो भी उनकी लाइन क्लीयर करेंगे। और निश्चित रूप से जो डिस्टर्बेंस है वो समाप्त हो जायेगी और उनको सफलता अवश्य मिल जायेगी।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें