अलीराजपुर,मध्य प्रदेश। बीमारी को दूर भगाने के लिये खुशी से अच्छा कोई चिकित्तसक नहीं है । सब के बारे अच्छा सोचना, सब के साथ खुश रहना, दूसरों की अच्छाई देखना, यह विचार स्वर्ग की ओर ले जते हैं ।हरेक प्राणी के प्रति शांति के विचार रखने हैं और ऐसे विचार रखने वाले में अढ्भुत शांति आयेगी । भोजन की शैली बदलना, उन लोगों की मदद नहीं करेगी जो अपने विचारों को नहीं बदलना चाहते । जब हमारे विचार शुध्द होते हैं, तब हमें अशुध्द भोजन की जरूरत नहीं होती अर्थात अशुद्ध भोजन खाने को हमारा मन नहीं करेगा । अगर आप का मन करता है अशुध्द भोजन ख़ाऊ तो इस की जड़ मन में नकारात्मक विचार है । जिन्होंने अपने विचारों को शुध्द किया है उन्हें हानिकारक जीवों से डरने की जरूरत नहीं है । यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित ब्रम्हाकुमारी सभागृह में अच्छी सोच और स्वास्थ्य के साथ उसका संबंध विषय पर नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया कियदि तुम अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हो तो अपने मन की रक्षा करो । यदि तुम शरीर का नवीनीकरण करना चाहते हो तो अपने मन को सुंदर बनाओ । दुर्भावना, ईर्ष्या, निराशा, उदासी के विचार शरीर के स्वास्थ्य और उसकी चमक को लूट लेते है ।चिड़चिड़ा चेहरा एकाएक नहीं बन जाता, वह उग्र विचारों से बनता है । झुर्रियां जो चेहरे पर खराब दिखती है वह मूर्खता, पीड़ा और घमंड के कारण उत्पन्न होती है । एक सशक्त शरीर और चमकीला, खुश और शांत चेहरा तब ही हो सकता है जब तुम अपने मन में हर्ष, सदभावना और शांत विचारों को आने की खुली छूट दो । सूर्य एक जगह रहता है और सारे ब्रह्मांड को प्रकाश देता है । समुंदर एक ही जगह रहता है और सारी धरती को पानी देता है । आत्मा भी एक सूर्य है । हम सिर्फ अपने विचारों को श्रेष्ट बनाये और भगवान को याद करते रहे तो एक व्यक्ति पूरे विश्व को बदल सकता है । तन का रोग दर्शाता है कि मन में कोई ना कोई नकारात्मकता है । इस नकारात्मकता को निकालो । नियम यह है कि पुरानी गलतियों, दुखों, झगड़ों एवम पीड़ायो को भूल जाओ चाहे वह बरसों पुरानी हो या कुछ पल पहले की । इसके लिये आप अपना ध्यान अपने कार्य पर रखे।। कार्यक्रम में मदन परवाल, अरुण गहलोत, हल सिंह लालू भाई ,डॉक्टर कन्हैया लाल व अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में सभी को राजयोग द्वारा परमात्म अनुभूति कराई गई ।सभी ने गहनशांति की अनुभूति की।
मुख पृष्ठ आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अलीराजपुर: तन का रोग मन की नकारात्मकता का रूप दर्शाता है- ब्रह्मा...