मन की बातें

प्रश्न : मैं मुजफ्फरपुर से सावित्री सरकार हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि मेरे कुछ सम्बन्धियों ने मेरे पति को कुछ खिलाया-पिलाया है, तांत्रिक प्रयोग करा दिया है। जिससे वो बहुत ज्य़ादा शराब पीने लगे हैं। हो सकता है ये मेरा शक भी हो लेकिन पति के इस हाल के कारण घर में बहुत अशान्ति रहती है, तो मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर : पहले क्या था हम भी इसे नहीं मानते थे। और स्पिरिचुअल नॉलेज में तो इन सबका बहुत ज्य़ादा महत्त्व भी नहीं है। क्योंकि स्पिरिचुअल पॉवर जो है वो अपने में बहुत बड़ी चीज़ होती है। उसके सामने ये छोटी-छोटी चीज़ें ठहरती नहीं। अगर कोई किसी को कुछ खिला-पिला भी दे उल्टा-सुल्टा, तंत्र-मंत्र की शक्ति का प्रयोग करके। हम तो उसे जानते भी नहीं लेकिन वो तो चीज़ शरीर में चली गई। तो आपके पति को अगर किसी ने कुछ खिला-पिला दिया है तब से ही आपको ऐसा फील हो रहा है कि सबकुछ बदल गया है तो आपको एक तो पानी चार्ज करके अपने पति को पिलाना चाहिए। और पानी चार्ज करने का तरीका है पानी का गिलास हाथ में लेंगे और उस पर दृष्टि डालकर सात बार संकल्प करेंगे मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, यानी हम सर्वशक्तिवान के बच्चे हैं तो हम बहुत शक्तिशाली हैं। जब हम ऐसा करेंगे तो उस पानी में ज्य़ादा शक्ति आ जायेगी। जिसको हम कहते हैं चार्जड वॉटर। पानी हमारे वायब्रेशन्स के लिए बहुत सेंसीटिव है। ये पानी जब वो व्यक्ति पीयेगा क्योंकि हमारे शरीर में 70प्रतिशत से ज्य़ादा पानी है, तो उस पानी में मिक्स होगा और बहुत सारी चीज़ों को जो बहुत निगेटिव हो गई हैं शरीर में उनको वो नष्ट करेगा। ऐसे पानी चार-पाँच बार अवश्य उसको पिलाएं। बाकी आपको करना होगा राजयोग मेडिटेशन। राजयोग एक विद्या है जो एक मिनट में नहीं सीख सकते, इसके लिए 1-1 घंटे के तीन सेशन अवश्य लेने होंगे। ये तीन लेसन आपको लेने होंगे। ताकि आपकी बुद्धि में ये क्लीयर हो जाये कि हम कौन हैं, परमात्मा कौन है, उससे अपना नाता कैसे जोड़ें, उससे शक्तियां कैसे लें। जब ये सब पता होगा तभी राजयोग मेडिटेशन कर सकते हैं। और ये आपको रोज़ एक घंटा मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ इस स्वमान को सात बार याद करके करना है। तो जब आप मेडिटेशन की शक्ति अपने पति को ट्रांसफर करेंगी तो ये सारी शक्ति उन्हें चली जायेगी और उन पर जो भी निगेटिव इफेक्ट हुआ है वो समाप्त हो जायेगा। बाकी घबराने की कोई बात नहीं है। तंत्र-मंत्र की शक्ति इतनी बड़ी नहीं है कि किसी को मार डाले। और ये देखा गया है कि इन सर्वशक्तिवान की शक्तियों के आगे ये तंत्र-मंत्र की शक्ति ठहरती नहीं।

प्रश्न : मैं कुरुक्षेत्र से रामसेवक हूँ। मैंने आपके विद्यालय द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी को देखा है। मेरी ब्रह्माकुमारी बहनों से इस बात को लेकर बहस भी हुई कि श्रीकृष्ण तो द्वापर में हुए थे तो फिर आप उन्हें सतयुग में क्यों दिखाते हैं? उनके उत्तर से मैं संतुष्ट नहीं हुआ लेकिन अगर हो सके तो आप इसका उत्तर दें।
उत्तर : कुरुक्षेत्र में तो श्रीकृष्ण, पांडवों, कौरवों की बहुत चर्चा है, यादगारें भी हैं और मान्यता के अलावा भावना भी है। और एक कॉमन मान्यता है कि श्रीकृष्ण तो द्वापर में थे और भगवान के अवतार थे। जब-जब इस संसार में हालात बुरे होते हैं, अधर्म बढ़ जाता है, पाप बढ़ जाता है तब परमात्मा आकर उसको समाप्त करते हैं। देखिए मैं तो सीधी-सी बात कहता हूँ मान लो द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में वो आये भी थे, उन्होंने अपना कुछ दिव्य कार्य भी किया था। लेकिन सतयुग के जो श्रीकृष्ण हैं हम उनकी चर्चा कर रहे हैं। वो सतयुग के फस्र्ट विश्व महाराजन, जो इस संसार की सबसे श्रेष्ठ आत्मा, पहले नम्बर की आत्मा है, जो परमात्मा नहीं परमात्मा का प्रतिरूप है। नेकस्ट टू गॉड है यानी मामूली-सा ही अन्तर दोनों में है। दोनों बिल्कुल समान दिखाई देंगे। लेकिन बस परमात्मा निराकार है और वो साकार में है जिस श्रीकृष्ण की बात करते हैं वो सतयुग के आदि के हैं। क्योंकि श्रीकृष्ण सौलह कला सम्पूर्ण थे और सौलह कला सृष्टि की सतयुग के आदि में ही होती है। देखिए ये क्रम है, जितनी कलायें सृष्टि की होंगी, उतनी ही कला से सम्पन्न आत्मायें वहाँ जन्म लेंगी। श्रीकृष्ण तो सौलह कला सम्पूर्ण हैं। जब दुनिया परफेक्ट है तब उनका आगमन होता है। लेकिन ये जो पाप नाश के लिए, अधर्म का नाश करने के लिए, सत्य धर्म की स्थापना करने के लिए जो परमात्मा आते हैं क्योंकि परमात्मा निराकार है उनको इन आँखों से नहीं देखा जा सकता, वो इस साकार माध्यम के द्वारा अपना कार्य करते हैं। तो परमात्मा के उसी दिव्य कार्यों को लोगों ने श्रीकृष्ण के रूप में वर्णित कर दिया है। क्योंकि श्रीकृष्ण ही महान हैं इस धरा पर। ताकि लोग उनकी भावनाओं के कारण इस बात को स्वीकार भी कर लेंगे। श्रीकृष्ण की मान्यता सबसे अधिक थी तब जब ये बात प्रचलित हुई, ये चर्चाओं में आई तो श्रीकृष्ण के रूप में परमात्मा का कार्य दिखा दिया गया। वास्तव में ये दो अलग चीज़ें हैं एक श्रीकृष्ण सतयुग के फस्र्ट प्रिंस और एक परमात्मा का दिव्य कार्य जो अधर्म के समय, धर्म ग्लानि के समय, पाप वृद्धि के समय। हम आपसे कहेंगे कि आप सेन्टर जाकर थोड़ा-सा ज्ञान लें। ज्ञान लेने में आत्मा क्या है, परमात्मा क्या है और देवता कौन है, देवता कब थे और ये जब स्पष्टीकरण हो जायेगा।

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