व्यक्तिएक बार ठान ले कि मुझे यह करना है, मुझे यह बनना है और बस उस दृढ़ता की शक्तिके आधार से वह आगे बढ़ता ही जाता है। साधारणता से ऊपर उठ जाता है और महानता के शिखर पर पहुंच जाता है।
हर मनुष्य के अंदर पांच प्रकार के संस्कार होते हैं। सबसे पहले प्रकार के संस्कार हैं ओरिज़नल संस्कार, अनादि संस्कार। ईश्वर के धाम में जब आत्मा होती है तो एकदम शुद्ध स्वरूप में, सतोगुण स्वरूप में फुल बैटरी चार्ज होती है। जब वहाँ से आते हैं संसार में तो दूसरे प्रकार के जो संस्कार हैंवह हैं पूर्व जन्म के संस्कार। कोई आत्मा कहाँ से आई, कोई आत्मा कहाँ से आई तो उस जन्म के कर्मों का प्रभाव भी उसके साथ होता है, जो कार्मिक अकाउंट के रूप में क्रिएट हो गया होता है, तो वह पूर्व जन्म के संस्कार भी बीच-बीच में इंटरफेयर करते हैं। कई बार आपने जीवन में महसूस किया होगा कि एक तरफ आपका विवेक अंदर से मना करता है कि यह ठीक नहीं है, लेकिन फिर भी जैसे मजबूर होकर आप कर लेते हैं। यह पूर्व जन्म का संस्कार क्रियांन्वित कर रहा है, आपको मजबूर कर रहा है और उस वक्त व्यक्ति समझ नहीं पाता कि मेरे साथ ऐसा क्यों होता है।
तीसरे प्रकार के संस्कार हैं जिसको कहा जाता है गर्भ संस्कार, माता-पिता द्वारा प्राप्त संस्कार। कोई बच्चा माँ जैसा है, कोई पिता जैसा है, कोई दादा जैसा है वो संस्कार भी साथ लेकर आता है।
चौथे प्रकार के संस्कार हैं, इस जन्म में हम नए क्रिएट करते और वह है संग के प्रभाव के माध्यम से। इसलिए कहा जाता जैसा संग वैसा रंग। मनुष्य अच्छी संगत में होता है तो उसके संस्कार अच्छे बनते जाते हैं और अगर बुरी संगत में फँस जाते हैं तो उसके संस्कार वैसे होने लगते हैं। कई बार अच्छे घर के बच्चे हम देखते हैं ड्रग एडिक्ट(नशे के आदी) हो जाते हैं, बुरी संगत में फँस जाते हैं, बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं फिर उससे निकलना चाहते हैं,लेकिन निकल नहीं पाते। कई बच्चे बुरे वातावरण में होने के बावजूद भी स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ कर कितने महान बन जाते, तो इसीलिए जैसा संग वैसे संस्कार बनने लगते हैं, वैसे ही कर्म होते हैं। और फिर वैसा संस्कार बनता है। और पांचवें प्रकार के संस्कार हैं, जो इस जन्म में हम क्रियेट करते हैं अपनी विल पॉवर से। व्यक्ति एक बार ठान ले कि मुझे यह करना है, मुझे यह बनना है और बस उस दृढ़ता की शक्ति के आधार से वह आगे बढ़ता ही जाता है। साधारणता से ऊपर उठ जाता है और महानता के शिखर पर पहुंच जाता है।
तो यह पांच प्रकार के संस्कार होने के कारण एक न मिले दूसरे से। किसी में कौन-सा कार्य कर रहा है तो किसी में कौन-सा,इसीलिए हर बच्चा अलग है। इसीलिए मन, बुद्धि और संस्कार यह तीनों बैटरी को चार्ज भी करते हैं। हमें अपनी इन सूक्ष्म शक्तियों को अच्छे से समझकर यूज़ करना है। आध्यात्मिकता हमें यह परिचय देती है कि मन को सकारात्मक कैसे बनाएं, अपने विचारों को सकारात्मक दिशा कैसे दें, अपनी बुद्धि की क्षमता को, विवेक को आध्यात्मिक ज्ञान से कैसे पोषण देते जाएं ताकि सही चुनाव हम अपने जीवन में कर सकें और हमारे कर्म को विल पॉवर के माध्यम से चलाएं, दृढ़ता की शक्ति के आधार से चलाएं और साधारणता से ऊपर उठें।