मुख पृष्ठआजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओरगाडरवारा: महाशिवरात्रि पावन पर्व पर ब्रह्माकुमारीज प्रभु उपहार भवन में शिव जयंती...

गाडरवारा: महाशिवरात्रि पावन पर्व पर ब्रह्माकुमारीज प्रभु उपहार भवन में शिव जयंती विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया

गाडरवारा,मध्य प्रदेश। महाशिवरात्रि  पावन पर्व पर ब्रह्माकुमारीज प्रभु उपहार भवन में शिव जयंती विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया। परमात्मा स्मृति के साथ कार्यक्रम  शुभारंभ हुआ।  कन्याओं ने नृत्य के द्वारा सभी का स्वागत सत्कार किया। बाल कलाकारों ने प्रेरणादायी शिक्षाप्रद लघुनाटिका प्रस्तुत कर सभी को जागरूक किया।  कार्यक्रम में नगर के सैकड़ों श्रद्धालु भक्तगण सम्मिलित हुए। मुख्य अतिथि के रूप में  नरसिंहपुर जिला संचालिका आदरणीय बी.के. कुसुम दीदी जी , करेली सेवाकेंद्र प्रभारी आदरणीय बी.के. सरोज दीदी जी , डोभी सेवा केंद्र प्रभारी बी.के. जानकी दीदी जी, नगर गाडरवारा के सम्मानीय अतिथि विशाल सिंह ठाकुर जी, उत्तम विश्वकर्मा जी, एवं रफीक भाई जान जी ,सभी मेहमानों ने मिलकर शिव परमात्मा का पूजन कर दीप जलाया ब्रह्माकुमारी कुसुम दीदी जी ने महाशिवरात्रि के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि – अत्यंत हर्ष और खुशी की बात है  परमात्मा को 87 वर्ष हो चुके अवतरित हुए, इसलिए यह 87वी त्रिमूर्ति शिव जयंती संस्थान द्वारा मनाई जा रही है। शिवलिंग में एक बिन्दु और तीन धारिया बनी हुई होती है।जिसका भावार्थ है परमात्मा स्वयं ज्योति बिंदु स्वरूप है। तीन देवताओं ब्रह्मा विष्णु शंकर के रचेता है।ब्रह्मा के द्वारा स्थापना का कार्य अभी चल रहा है, जिसको साकार ब्रह्माकुमारीज कर रही है।परमात्मा ब्रह्मा जी के ललाट में प्रगट होना ही उनका जन्म है। परमात्मा शिव की मंदिर में स्थापना आजू बाजू से नही बल्कि गुम्बज को हटा कर करते यह सिद्ध करता है वह जन्म नही लेता अवतरित होता है।वह 12 घण्टो वाली रात्रि में नही बल्कि अज्ञान रूपी रात में आते है इसलिय उनका जन्म दिवस रात्रि को मनाते और रात्रि जागरण करते जो अज्ञान  नींद से जागने का प्रतीक है। अज्ञानता की नींद से जागना ही सच्चे अर्थों में शिवरात्रि मनाना है। उपवास – उप माना निकट , वास माना रहना भगवान के निकट मन बुद्धि रहना ही उपवास है। व्रत – दृढ़ता का प्रतीक है। एक दिन का नही बल्कि सदैव शुद्ध अन्न खाने का व्रत लें, मानव की पहचान उसके अन्न और संग से होती है।आत्मा का भोजन है मन के शुद्ध विचार है।आज के दिन यही संकल्प करें किसी भी प्रकार की अपवित्रता हमको छू न सके।यही है शुद्ध अन्न और दृढ़ संकल्प कर व्रत ले।सभी देवी देवताओं  पर अच्छे अच्छे फल फूल चढ़ाते , शिव जी पर खट्टे बेर चढ़ाते माना अपने अन्दर का खट्टा पन चढ़ा दें।भांग नही अगर परमात्मा का ज्ञान घोटे तो अपार खुशी का नशा चढ़ेगा।वह नशा भांग गांजा का तो नाश का द्वार है। बकरे की बलि चढ़ाते है, यह भी अज्ञानता है। पशुपति नाथ परमात्मा सबकी पालन करते वह किसी की बलि नही लेते। गायन करते तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा लेकिन फिर भी  मानव सुवह से शाम मैं – मैं कहता रहता उस मैं पन की बलि चढ़ाना है।कहते भी है जहाँ मैं वहाँ राम नही, जहाँ राम वहां मै नहीं।तो आओ हम ऐसा सुखमय संसार बनाये जहाँ दुःख अशांति का नाम निशान न हो।यह भवन आप सभी के लिए एक शिव मंदिर बन रहा है जहाँ प्रतिदिन आप परमात्मा शिव की वाणी सुन सकेंगें।जिसका नाम ही प्रभु उपवन भवन है।तो आइये सभी मिलकर सच्ची शिवरात्रि मनाकर अपने अंदर की  मनोबुराइयों को परमात्मा पर अर्पित कर दे । स्वयंभू परमात्मा शिव को प्रसन्न करे ।सभी मेहमानों ने मिलकर शिव ध्वज लहराया , शिव ध्वज के नीचे सभी से प्रतिज्ञा कराई गई ,कार्यक्रम के अंत में सभी को प्रभु प्रसाद दिया गया तथा सभी भाई बहनों ने मिलकर शिव पिता के बर्थ डे की खुशियां सामूहिक नृत्य कर प्रगट की। इस प्रकार कार्यक्रम का समापन हुआ।।

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments