मन की बातें – राजयोगी ब्र.कु. सूर्य भाई

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प्रश्न- मेरा नाम लक्ष्मण चौहान है। कार्य करते हुए मेरा चित्त एकाग्र नहीं होता, एक कार्य हाथ में होता है, चिंता दूसरे की लगी रहती है। सफलता तो जीवन से जैसे गायब-सी ही हो गई है, ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर – एकाग्रता मनुष्य की दिनोंदिन नष्ट होती जा रही है और नष्ट होने के कारण उसकी मानसिक शक्तियों में ह्रास हो रहा है इसलिए सफलता उससे दूर चली जा रही है। यही कारण है कि मनुष्य को खुशी नहीं होती। अब जब सफलता ही नहीं होगी, जो कार्य करने मनुष्य गया वो निराश होकर लौटा है तो नींद पर भी उसका असर आयेगा, पारिवारिक जीवन पर उसका असर आयेगा। उसकी छाया उसके मानस पटल पर प्रैक्टिकल में दिखाई देती रहेगी। तो हमें इस चीज़ पर बहुत ध्यान देना है कि हमारी एकाग्रता भंग न हो, हालाँकि ये एक बहुत बड़ा सब्जेक्ट है और हम इस पर बार-बार चर्चा करते ही आते हैं लेकिन आज मैं इस पर इतना कहँूगा कि हर मनुष्य को सवेरे से ही यह चेक कर लेना चाहिए कि मेरा मन किस दिशा में ज्य़ादा भटकता है और इस मन को भटकने से रोकने के लिए एक मोस्ट इम्र्पोटेंट जो चीज़ है कि हम सवेरे अपने मन में सुंदर थॉट क्रियेट करें। ये बात सभी बहुत अच्छी तरह जान लें कि हमारे मन में बहुत बड़ी क्रिएटिव एनर्जी है। हम उसको यूज़ नहीं करते तो क्रि एटिव एनर्जी निगेटिव क्रियेट करने में यूज़ होने लगती है। हम अपनी क्रिएटिव एनर्जी को पहचानें और सुंदर संकल्प सवेरे से ही क्रियेट करना शुरू करें।
सुबह उठते ही बहुत अच्छे, वाह! मेरा जीवन कितना सुन्दर है, प्रकृति कितनी सुंदर है। हे प्रभु, तुमने कितना सुंदर संसार बनाया है वाह! हम तो धन्य हो गये, हमारा जीवन तो बहुत सुंदर हो गया। तुम हमें मिल गये हो वाह! मेरा भाग्य, मैं तो बहुत भाग्यवान आत्मा हूँ। आपने मुझे ब्लैसिंग दे दी। वरदान दे दिया है सफलता का, निर्विघ्न जीवन का, आज तो मैं सारा दिन निर्विघ्न रहूँगा। सफलता तो मेरे आगे-पीछे चलेगी। ऐसे संकल्प उठते ही कर देने चाहिए। इसलिए हमारे यहाँ रोज़ सवेरे ईश्वरीय महावाक्य सुनने का नियम है और जो लोग ईश्वरीय महावाक्य सुनते हैं उन्हें रोज़ अनुभव होता है कि उन्हें अच्छे थॉट मिल जाते हैं। तो इसमें ये जो थॉट हमें परेशान कर रहे थे उसने हमारे मन पर अपना अधिकार कर लिया था। अब हम इन नये थॉटस के द्वारा अपने मन पर पूर्ण अपना अधिकार करें तो इससे सारा दिन बहुत मदद मिलेगी और अगर कोई बहुत अच्छा पुरूषार्थ करना चाहता है तो सारे दिन में जो ईश्वरीय महावाक्य सुने हैं उनमें से कोई दो महावाक्य, दो-तीन बार अवश्य याद कर लेना चाहिए।
तो ये चेक करें कि मन किस दिशा में भटकता है और दूसरा सवेरे बहुत अच्छे थॉटस क्रियेट करें और तीसरी चीज़ जो आपको करनी होगी कि बीच-बीच में हर घंटे में एक बार कम से कम दस सेकण्ड ये अभ्यास ज़रूर करें कि मैं एक आत्मा हूँ, इस देह से अलग हूँ। मैं भगवान का बच्चा हूँ महान आत्मा हूँ ऐसी फीलिंग देंगे तो संकल्प का प्रवाह ठीक होगा। मन एकाग्र होगा तो आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

प्रश्न- मेरा नाम प्रशांत है। मैं अभी यूएई में जॉब करता हँू। मैं अहमदाबाद सिटी से बिलोंग करता हँू। मेरी प्रॉब्लम ये है कि मेरे फादर हमेशा ही छोटी-छोटी बातों में गुस्सा करते हैं, बात-बात में मम्मी से लड़ते रहते हैं और हम दोनों को ही रिस्पेक्ट नहीं देते हैं। मैं चाहता हूँ कि मम्मी-पापा दोनों बहुत प्यार से रहें और रिस्पेक्ट भी दें, क्या इसके लिए कोई योग का अभ्यास हो सकता है?
उत्तर – हाँ, ये समस्या बहुतों की है। कई घरों में ऐसा है कि कहीं मम्मी में, कहीं पापा में क्रोध रहता है। बच्चे कहीं-न-कहीं सोचते तो हैं ना कि उनके घर में सम्पूर्ण सुख-शांति हो। तो मैं दोनों को कहूँगा कि जो समझदार हो उसे चुप रहना चाहिए, पहली चुपी करनी चाहिए मातृशक्ति को, क्योंकि मातायें अधिक सहनशील होती हैं। पुरूष में कहीं-न-कहीं ज्य़ादा क्रईगोञ्ज रहता ही है, मेल ‘ईगो’ भी रहता है इसलिए आपकी माता जी के लिए कहूँगा कि मेरी ये रिक्वेस्ट है कि वो अपने घर में शांति स्थापित करने के लिए अपने पति को सम्मान दे और उनकी बात सुन लिया करें। ठीक है वो गलत बोलते होंगे, गलत शब्दों का भी प्रयोग करते होंगे जो मनुष्य की रिस्पेक्ट को ज़रा नीचा कर दे। और आपके पापा को भी मैं कहूँगा कि क्रोध अशांति पैदा करता है, क्रोध एक अग्नि है जिसमें मनुष्य की सुख-शांति, सम्पत्ति, उसका श्रेष्ठ भाग्य सब कुछ नष्ट हो जाता है। मनुष्य निगेटिव हो जाता है, क्रोध अनेक बीमारियों को भी जन्म देता है।
तो आपका कर्तव्य है कि जब तक आप अपने घर अहमदाबाद में हैं तब तक रोज़ आधा घंटा सवेरे, आधा घंटा शाम को अपने घर में शांति के वायब्रेशन फैलायें। मैं आत्मा पीसफुल हूँ, मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ, केवल इतना ही और मुझ से शांति की किरणें फैल रही हैं। एक ये अभ्यास करेंगे और थोड़ा-सा सवेरे पाँच बजे जब आपके पाप सोये हों तो उन्हें आत्मिक दृष्टि से देखते हुए चार-पाँच मिनट अच्छे वायब्रेशन देंगे और उसका तरीका ये होगा कि शिवबाबा के वायब्रेशन मुझे आ रहे हैं और मुझ आत्मा से निकलकर उनकी आत्मा को जा रहे हैं,और फिर एक मिनट के लिए उन्हेंसंकल्प देंगे- तुम पीसफुल सोल हो। पापा तुम तो ग्रेट सोल हो, तुम बहुत बुद्धिमान हो, अभी तुम्हें अपनी शक्तियों को, मन की शक्तियों को क्रोध में नष्ट नहीं करना है। बी पीसफुल, बी पीसफुल। तो शांति के वायब्रेशन उनको जायेंगे और उनके विवेक की जागृति होगी। जब वो उठेंगे, दो-चार दिन लगेंगे इसमें, उन्हें ये फील होने लगेगा कि क्रोध तो बहुत बुरा है। दो दिन होंगे, चार दिन होंगे, फिर सात दिन में बहुत अच्छा रिज़ल्ट दिखाई देगा। और जब आप अपनी जॉब के लिए भी यूएई चले जायें तब भी आपको ये काम करते ही रहना चाहिए। तो 21 दिन में बहुत अच्छा हो जायेगा।
इसमें सबको यही सिद्धांत याद रखना चाहिए कि जब कोई व्यक्ति सोया है तो उसका सबकॉन्शियस माइंड जगा है। जो कुछ विचार हम इधर से देते हैं तो सबकॉन्शियस माइंड उसे आसानी से रिसीव कर लेता है।

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