योगी बन करके खुद ही खुद को सहयोग दो

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बाबा एक ही टाइम तीन काम करता है, एक तो विकर्म विनाश भी करता है, दूसरा माफ भी करता है फिर श्रेष्ठ कर्म करने की शक्ति बहुत देता है, इन तीनों बातों का मुझे तो बहुत अच्छा अनुभव है।
फालतू बात याद करके कर्म करने से कोई न कोई रॉन्ग काम हो जायेगा, एक्यूरेट नहीं होगा और याद में रहने से बाबा खुश, कर्म भी अच्छे होंगे। यह आँखें भूलें देखने के लिए नहीं हैं, यह कान फालतू सुनने के लिए नहीं हैं। संस्कार अनुसार पहले मन-बुद्धि ऐसे चलती थी लेकिन अभी बदल गये हैं, अभी मन शान्त है, बुद्धि शुद्ध है। किसी घड़ी भी मन शान्त रहे, यह बहुत बड़ी बात है, ऑटोमेटिक बुद्धि क्या सोचे, शुद्ध रहने के संस्कार बन रहे हैं। किसी ने क्वेश्चन पूछा सकाश क्या है? सच्चाई और प्रेम की सूक्ष्म स्नेह भरी सकाश मिलती है। कोई भी बात है शरीर को कुछ होता है, सकाश चला रही है। सूक्ष्म ईश्वर स्वयं मेरे ऊपर राज़ी हो करके सकाश की शक्ति दे रहा है। राज़ी नहीं होगा तो सकाश नहीं देगा, कहेगा तुम्हारे कर्म तुम जानों क्योंकि पुरुषार्थ में अटेन्शन नहीं है, बाबा को राज़ी नहीं कर सकेंगे।
ब्राह्मणों को सबसे बड़ा दु:ख है अपमान का। इच्छा है मान की, अब इनसे परे अभोक्ता बनो, स्वमान में रहो। मेरा कोई अपमान करे तो सोचो मेरी टेस्ट लेता है, ऐसे अन्दर ही अन्दर योगी बन करके अपने सहयोगी बनो, अपने को सहयोग दो। योग से सहयोग मिलता है। योग से अन्दर बाबा का सहयोग बहुत है। बाबा ने इतना रॉयल बनाया है इसलिए कभी किसी से सहयोग लेना नहीं पड़ा है, जब जो ज़रूरत हो वो आपेही बाबा किसी न किसी के थ्रू सहयोग देता है।
एक बारी बाबा ने टेस्ट लिया, कराची में बहुत अच्छा 56 प्रकार का भोजन बनवाया, सभी खाने के लिए बैठे थे, बाबा सबको देख रहा था, इतना अच्छा भोजन बना था सबने अच्छी तरह से खाया। रात को क्लास में पूछा कौन-सी चीज़ अच्छी थी? तो किसी ने कहा बाबा यह अच्छा था, तो बाबा ने कहा फेल। दूसरे दिन डायरेक्शन दिया अभी सिर्फ डोडा-छाछ मिलेगी। जिसको यह खाना हो वो रहे और जो समझे मैं बीमार हो जाऊंगा तो उनको दूसरे स्थान पर भेज दूँगा। जो बीमार थे वो बैठ गये रीयली जो बीमार थे वो डोडा-छाछ खाकर वहीं रहे। और जो अच्छे भले थे उन्होंने यह सोचा कि यह रोज़ कैसे खायेंगे? वो चले गये। ऐसे बाबा ने टेस्ट लिया।

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