श्रीमत पर ट्रस्टी बनकर चलते रहो तो बेफिक्र बादशाह की तरह रहेेंगे

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जब यह निश्चय कर लेते हैं कि बाबा ही हमारा संसार है तो और कोई चीज़ रही नहीं। अगर आप प्रवृत्ति में भी रहे हुए हैं तो बाबा के डायरेक्शन से रहे हुए हैं, तो आप कभी भी प्रवृत्ति में रहते, प्रवृत्ति के वश नहीं होंगे क्योंकि बाबा के डायरेक्शन से रहे हुए हैं, तो हमको खिलाने वाला बाबा है, चाहे अपना धन्धा करते हो, नौकरी करते हो, उससे पैसा आता है, लेकिन दिलाने वाला कौन? हम तो अभी ट्रस्टी हो गये ना। जो भी प्रवृत्ति वाले बैठे हैं वो सब अपने को ट्रस्टी समझते हैं? पक्का! अगर ट्रस्टी हैं तो बहुत मौज में रहेंगे क्योंकि जि़म्मेवार बाबा है, जिसने ट्रस्टी बनाया है। बाबा की श्रीमत पर ट्रस्टी बन चलते रहो तो सदा बेफिक्र बादशाह की तरह रहेंगे। तो जो बाबा के पक्के ट्रस्टी बच्चे हैं उन्हों के लिए गैरन्टी है, कभी भी बाबा का बच्चा भूख नहीं मर सकता है। वो भूखा हो ही नहीं सकता है, अन्त तक दाल-रोटी ज़रूर मिलेगी। उसके लिए बाबा बंधा हुआ है। नाम भल प्रवृत्ति है लेकिन रहना है पर वृत्ति में माना न्यारा और प्यारा होके। ट्रस्टी माना जि़म्मेवार दूसरा है। तो प्रवृत्ति में रहना माना पर वृत्ति में रहना, यह मानकर चल रहे हैं तो बाबा की गैरन्टी है।
अभी एक जन्म बाबा के बने तो 21 जन्म के लिए भगवान की गैरन्टी है कि आपको कभी दु:ख अशान्ति का नाम निशान ही नहीं आयेगा, इतनी गैरन्टी कोई दे सकता है? बच्चा माना बाप के सिवाए और कुछ नहीं। उसका आधार है श्रीमत। श्रीमत कितनी अच्छी है, सवेरे उठने से लेकर रात को सोने तक श्रीमत हर कदम की मिली हुई है। एक है सोचना -यह करूँ या न करूँ, ऐसे करूँ या वैसे करूँ, ये तो बाबा कहता है कदम पर कदम रखो, श्रीमत दे दिया है, कदम बनाके दे दिया है, सुबह को ऐसेे उठो, रात को ऐसे सोओ, दिन में ऐसे कामकाज करो, इस तरह से रास्ता बनाके दिया है, उस पर चलना है बस। सोचना नहीं है। रास्ता ठीक है या नहीं ठीक है, मंजि़ल पर पहुँचूँगा नहीं पहुँचूँगा, रास्ता ठीक है तब तो ब्रह्मा बाबा मंजि़ल पर पहुंच गये ना! तो बस उसी पर पाँव रखो यानी जो बाबा ने किया है वो करो, बस। कोई भी संकल्प आता है तो सिर्फ टेली करो(मिलाओ) कि बाबा का यह संकल्प था, बाबा के यह बोल, यह कर्म थे? कॉपी करना है बाबा को और किसी को नहीं। फॉलो ब्रदर, फॉलो सिस्टर नहीं कहा जाता है, फॉलो फादर कहा जाता है। तो कितना सहज बाबा ने करके दिया है इसलिए बाबा कहते हैं आपको मेहनत ही क्या है? इसके आगे आकाश भी कुछ नहीं है, सागर भी कुछ नहीं है, इतना हमारा बाबा से प्यार है, बाबा का हमारे से है। जिससे प्यार होता है उसको याद करने की आवश्यकता नहीं होती है, भूलने की आवश्यकता होती है।

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