बुद्धि चलाने वाले का बुद्धियोग कभी लगेगा नहीं। बुद्धि को शान्त रखने व बुद्धि को अचल-अडोल रखने का समय दो। निश्चय का बल क्या होता है, उसका अनुभव करो। बलिहारी समय की और बाप की है, फिर बलिहारी हमारे भाग्य की है। समय और बाप दोनों हमारे साथ हैं। समय भी बहुत गया, अब थोड़ा रहा। थोड़े समय के अन्दर अनेक जन्मों के पुराने हिसाब-किताब समाप्त करना है। इस जन्म में कोई नया हिसाब नहीं बनाना है। बनाया तो पुराना खत्म नहीं होगा। अन्त घड़ी आ जायेगी तो हमारा हाल क्या होगा!
हर घड़ी को अन्तिम घड़ी मानना और जानना, ऐसी स्थिति हमारी बहुतकाल से बनी रहे तो दुनिया हमारा जो इंतज़ार कर रही है, वह इंतज़ार पूरा हो जायेगा। बाबा यही चाहता है जिनको मैंने इतनी पालना दी, पतित से पावन बनाया, तो उनके अन्दर इतना ईश्वरीय प्यार और नियम पर चलने की शक्ति हो जो अनेक आत्माओं को प्रेरणा मिले।
कई बच्चे अभी नये पैदा हुए हैं, उनके जिगर में है कि थोड़े समय में हम आगे बढ़ जायें। टाइम थोड़ा है आज जो किया कल काम आयेगा। आज मिस किया तो कल क्या करेंगे। कल की बात बीती, अच्छी कमाई नहीं की है तो आज कर लो, जो कल काम आयेगी। आज नहीं करेंगे, कल पर रखेंगे तो क्या होगा! बाबा समय का ध्यान खिंचवा रहा है समय पर ध्यान रखो। बाबा कहते हैं बच्चे, मुझ बाप की बातें ध्यान से सुनो, श्रीमत पर चलो। मन में और मतों को घुसने नहीं दो, अपनी मत भी धोखेबाज है। अपनी मत भी चलाते हैं तो श्रीमत पर चलना मुश्किल लगता है। दूसरा औरों की मत के जंगल में चले जाते हैं फिर जंगल में डर लगता है, वो फूल बन नहीं सकते, उनकी खुशबू फैल नहीं सकती।
बाबा देख रहा है कि मेरे कौन से बच्चे खुशबूदार फूल हैं! खुशबू बेहद में रहने वाले की फैलती है। टाली, पत्ते, कांटे अपना काम करेंगे उसके बगैर भी फूल कहाँ दिखेगा। टाली के बगैर भी गुलाब नहीं होता है, पकड़ेंगे कहाँ। परन्तु नज़र जाती है फूल के रंग और खुशबू पर। अंश मात्र भी बॉडी कान्सेस न हो। गुणवान की खुशबू नैचुरल होती है। गुलाब में बहुत गुण होते हैं। सूख भी जाता है तो गुलकन्द बनायेंगे तो भी काम का, गुलाब जल बनायेंगे तो भी काम का। ध्यान रहे कि मैं बाबा के काम लायक बच्चा बनूँ। हम कोई शिव की बारात में जाने वाले लूले-लंगड़े नहीं हैं। जो बारात में जाने वाले होंगे वो पीछे आयेंगे, साथ में जाने वाले हँसते-गाते जायेंगे। चेहरा सदा मुस्कुराता रहे, बाबा के गुण गाता रहे, कौन होगा जो स्वयं और बाबा को ही देखता है और किसी को नहीं देखता? हमारी पर्सनैलिटी में कोई इम्प्युरिटी न हो। कोई लगाव-झुकाव न हो। सदा ही पीसफुल और लवफुल हो, मर्यादा में चलने वाले, फुल माक्र्स लेने वाले हो।
बाबा कहते अपनी घोट तो नशा चढ़े, किसी को भी नहीं देखो। अपने में भी पुरानी बातों को न देखो। अन्दर चेंज हो गये। समय और बाबा दोनों कहते हैं मैं तुमको चेंज करने वाला हूँ। दोनों हाथ फैला के बैठे हैं। समय और बाबा के बीच में हम हैं, समय नहीं गंवायेंगे, बाबा का हाथ नहीं छोड़ेंगे। समय कहता है तुम मेरा कदर करता है, मैं तुम्हारा कदर करता हूँ।
कईयों को शान्त रहना मुश्किल लगता है। समय पर सब कुछ शान्ति से होता है। बाबा कहते मैं तुमको सम्पूर्ण निर्विकारी सर्वगुण सम्पन्न बना ही दूंगा, छोडऩे वाला नहीं हूँ। हम भी कहते हैं बाबा हम भी छोडऩे वाले नहीं हैं। उसने वायदा किया है, निभा रहा है, पर हमने भी वायदा किया है तो कोई भी बेकायदे काम न करें। बाबा कहता है बच्चे कायदे अनुसार चलेंगे तो तुमको बहुत फायदे होंगे। बाबा ने सारे विश्व को सामने रखा है। समय पर सब हो जायेगा।
हम सबके मुख से सदा मीठा बाबा, प्यारा बाबा निकलता है। जो सबका है वो मेरा हो गा तो बहुत बड़ी बात हो गयी। सब उसको बाबा माने न माने, पर मैंने तो मान लिया, जान लिया, उनसे पा लिया, तब कहते हैं प्यारा बाबा। बाबा इतना प्यारा है जो मुझे प्यार देकर ज्ञानी तू आत्मा, प्रिय आत्मा बना लिया।
गीता में भी है ज्ञानी तू आत्मा मुझे प्रिय है। ज्ञानी तू आत्मा माना मात-पिता के दिल तख्त पर बैठ जाओ। पहले प्रिय बनेंगे फिर मीठा बनेंगे फिर बापदादा के दिलतख्त पर बैठेंगे। संगमयुग में बापदादा के दिल का तख्त सतयुग के तख्त से भी बड़ा है। वो भी तब मिलेगा जब अकालतख्त पर बैठने के आदती होंगे।
हमारा बाबा अव्यक्त वतनवासी होकर हमें खीचं रहा है, अभी हमें सोचने में समय नहीं गँवाना है, जिता जल्दी हो सके जो करना है सो कर लें क्योंकि कल किसने देखा है। कल अच्छा हो जाये, उसके लिए अभी अच्छा करना है।
यह अन्तिम जन्म की हमारी अन्तिम घडिय़ां हैं। हमें देह सहित देह के सब सम्बन्धों को भूल एक बाबा को ही याद करना है। मैं और मेरेपन से मुक्त रहकर जीवनमुक्त स्थिति का रस लेना है। मैं मेरा खत्म तो जो बाबा का सो मेरा हो जाता है।