मन की बातें

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प्रश्न : मेरी बच्ची ग्यारहवीं कक्षा में फेल होने के कारण डिप्रेशन का शिकार हो गई। शादी हुई उसकी और तीन साल की बेटी भी है लेकिन डिप्रेशन उसका अभी तक गया नहीं। दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा। कई बार तो वो बहुत ज्य़ादा एग्रेसिव हो जाती है। पति ने भी इतने दिनों तक तो सहा लेकिन अब उसे मायके में ही छोड़ दिया है और डिवोर्स की बात चल रही है। तो ऐसे में क्या किया जाये?
उत्तर : मानसिक आघात ही इसका मुख्य कारण हुआ। एक तो पिछले कुछ कारण चले आ रहे होते हैं और वो कारण होते हैं मनुष्य के विकारों के या विकर्मों के। पिछले जन्म में या उससे पिछले जन्म में आत्मा बहुत वासनाओं के अधीन रही है, उससे मन बहुत निर्बल है या कोई ऐसे विकर्म हो गए हैं जो अब सामने आ रहे हैं। तो चलते-चलते अचानक फेल हो गये। तो इसका असली कारण वहीं से हुआ, वो तो एक निमित्त दिखने वाला कारण है कि वो फेल हुई और उसको वहाँ से ब्रेन पर बुरा इफेक्ट हुआ। दवाई तो ब्रेन को दी जा सकती है लेकिन जो विकर्म विकार और मन पर और बहुत निगेटिविटी छाई हुई है उसकी तो कोई दवाई किसी के पास है ही नहीं। ये बहुत सूक्ष्म चीज़ है। इसकी दवाई तो स्पिीरिचुअलिटी है। इसमें कोई शक नहीं कि इस परिवार के लिए ये एक बहुत बड़ी समस्या तो है ही। नैचुरल है जो उसका ससुराल है, पति है या सास है, ससुर है या और लोग हैं, वो भी एक सुन्दर भविष्य की कामना रखते हैं। उसको थोड़ा बाहर घुमाएं, लोगों से मिलवाएं। उससे घृणा न करें। तो ऐसे में थोड़ा जो परिवार वाले हैं उस बच्ची को ब्रह्माकुमारी आश्रम पर ले जायें और वहाँ एक कोर्स दिया जाता है सात दिन का वो दिलाएं। और इस दुविधा से बाहर निकलने के लिए उन्हें थोड़ा मेडिटेशन तो सीखना ही पड़ेगा। पर हम जानते हैं कि जब डिप्रेशन किसी के पास आता है तो उसका कॉन्संटे्रशन तो होता नहीं है, तो मैं दो छोटी-सी चीज़ें सजेस्ट करूंगा। इनके परिवार वाले इनसे कराएं। कोई उनके साथ बैठकर करायेगा। जैसे ही वो सवेरे उठें, देखिए अगर नींद की गोली खाती होंगी तो वो लेट उठेंगी और जब उठेंगी तो उनका ब्रेन बिल्कुल भी एक्टिव नहीं होगा, बिल्कुल डल जैसा होगा। कोई उन्हें फ्रेश कराकर और शांति में बैठाकर लिखाये कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। 108 बार। इससे क्या होगा, आत्मा से इनके ब्रेन को गुड पावरफुल एनर्जी जायेगी। और ब्रेन जो बहुत वीक हो चुका है कुछ कारणों से वो फिर से एनर्जेटिक हो जायेगा। और तीसरी चीज़ मैं कहूंगा कि इन्हें चार्ज करके पानी पिलाएं। पानी को दृष्टि देकर चार्ज करें। कोई भी करे या सेन्टर्स पर हमारी बहनें हैं उनसे कराएं। पानी को दृष्टि देकर 21 बार संकल्प कर दें मैं परम पवित्र आत्मा हूँ और थोड़ा-थोड़ा वो पीती रहें सारा दिन। इतने साधन अगर ये अपनायेंगे तो ये डिप्रेशन की जो बात आ गई है, तो तीन मास तो ज्य़ादा से ज्य़ादा लगेंगे ही। दवाइयों की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी। और इनका घर फिर से बस जायेगा। हमारी यही शुभ कामना है कि ये भी सुखी हो जायें और ससुराल वाले भी सुखी हो जायें। दोनों परिवारों का फिर से मिलन हो जाये।


प्रश्न : मेरा नाम प्रमोद कुमार है। मैं रेलवे का एग्ज़ाम देने वाला हूँ। और मेरा एग्ज़ाम होने ही वाला है। मैंने अब तक जितने भी एग्ज़ाम दिए हैं, मैं सक्सेस नहीं हो पाया हूँ। मेरा लास्ट एग्ज़ाम है, कृपया करके मुझे बताएं कि मैं कैसे सफलता प्राप्त करूं?
उत्तर : क्वालिफाई होने के बाद एक अच्छी जॉब मिल जाये तो उसकी क्वालिफिकेशन सफल होती है। परिवार भी सुखी हो जाता है और उसका गौरव भी बढ़ता है। असल में सफलता उन लोगों को बहुत कम मिलती है जिन्होंने बचपन से अपने चरित्र का ध्यान नहीं रखा। बहुत बार कई युवकों के ऐसे मेरे पास फोन आ जाते हैं जो राजयोग के पथ पर भी आ गए छह मास से, आठ मास से लेकिन अभी तक उनका कॉन्संट्रेशन होता ही नहीं। तो मैं पूछ लेता हूँ कि पहले कैसे जीवन व्यतीत किया था। तो वो बता देते हैं कि बिल्कुल भी अच्छा नहीं। हम बिल्कुल रास्ते से भटक गए थे। हम बिल्कुल गलत रास्ते पर आ गए थे। तो उसका खामियाज़ा उनको उमर भर भुगतना पड़ रहा है। एकाग्रता मनुष्य की बहुत इम्पॉर्टेंट चीज़ है। चाहे वो इंटरव्यू देने जा रहा हो, चाहे कोई एग्ज़ाम देने जा रहा हो, चाहे वो घर में कुछ काम ही कर रहा हो, गृहणी हो वो खाना बना रही है लेकिन उसका चित्त इधर-उधर भटक रहा है। मन बहुत भाग रहा है। तो उसमें उसको मज़ा नहीं आयेगा, वो कुछ का कुछ करेगी। जिनको सफलता के मार्ग पर सदा आगे बढऩा है उन्हें निगेटिविटी से, इम्प्युरिटी से, चरित्रहीनता से जो ये गलत मार्ग युवकों के हो गए हैं उनसे बचना चाहिए। रही बात आपकी तो बहुत अच्छी आपकी अभिलाषा है जब तक आपके एग्ज़ाम आयें तो आप रोज़ एक घंटा मेडिटेशन करेंगे। आपने सीखा होगा। अगर नहीं तो आप तुरंत जाकर राजयोग की क्लासेज़ अटेंड करें। राजयोग सीखें। इससे परमात्मा में भी आपका विश्वास बढ़ेगा। पॉजि़टिव शक्ति भी आपके पास आयेगी। सफलता की ओर जाने में भी आपको परमात्म दुआएं मिलेंगी और अपने मन की दुआएं भी आपको प्राप्त हो जायेंगी। तो एक तो ये काम आपको रोज़ करना है। और दूसरा सुबह आँख खुलते ही सात बार आप अवश्य याद करेंगे मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। बहुत गुड फीलिंग के साथ, केवल रटेंगे नहीं इसको। मैं हूँ। सर्वशक्तिवान की संतान हूँ। मैं भगवान की संतान हूँ, तो मुझे सफलता मिलेगी ही। इसको गुड फीलिंग के साथ रोज़ सात बार सुबह उठते ही करेंगे। ताकि आपका सबकॉन्शियस माइंड इसे एक्सेप्ट कर ले। ये सबकॉन्शियस माइंड एक यूनिवर्सल माइंड बन जाता है। जो उन लोगों तक पहुंचेगा जो आपके पेपर चेक करेंगे या जो इंटरव्यू लेंगे। उनको आपके संकल्प इफेक्ट करेंगे। मान लो रेलवे में जिस पोस्ट के लिए आपका एग्ज़ाम हो रहा है, उसको विज़ुअलाइज़ करें कि मैं उस चेअर पर बैठा हूँ। मेरा सिलेक्शन हो चुका है। मुझे ये जॉब मिल चुकी है। सवेरे उठते ही और सोते समय ये विज़न बनायेंगे कि मैं वहाँ बैठा हूँ। इस बार मेरा सबकुछ क्लीयर हो गया है। इस तरह से कॉन्फिडेंस अंडरलाइन कर लेना है। ऐसी स्थिति बनायेंगे और अभ्यास करेंगे तो निश्चित रूप से ही सफलता आपके चरण चूमेगी।

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