पहले खुद के अन्दर शक्ति भरें… फिर औरों को दें

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ज्ञान हमें यह नहीं सिखाता कि हम किसी से दूर हो जाएं। आध्यात्मिक ज्ञान हमें यह सिखाता है कि खुद के अंदर शक्ति भरके वो शक्ति औरों को कैसे दें।

आज हर किसी को ध्यान(मेडिटेशन) की ज़रूरत है। बच्च्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए माता-पिता की आत्मा रूपी बैटरी पूरी तरह चार्ज होनी चाहिए। यह बच्चों के नज़दीक बैठने से या उनके साथ ज्य़ादा वक्त बिताने भर से नहीं हो जाएगा। आप दूर बैठकर भी अपनी बैटरी चार्ज करके उनको वो शक्ति दे सकते हैं। कभी भी मन ये बहाना न बनाए कि मुझे घर पर ध्यान रखना है। बच्चों का ध्यान रखना है, मेरे पास मेडिटेशन करने का वक्त नहीं है। ध्यान तो रखना है, लेकिन सबसे पहले उनके मन का ध्यान रखना है।
आजकल घरों में इतना कुछ हो रहा है कि परिवार वाले अपना सारा धन लेकर डॉक्टर के पास पहुंच जाते हैं और कहते हैं मेरा सारा पैसा ले लो, पर बच्चे का दिमाग ठीक कर दो। डॉक्टर कहेगा कि ये काम पैसों से नहीं होता है। आज बच्चों के अन्दर जितना तनाव और चिंता है, उसका मूल कारण घर का वातावरण है और कोई कारण नहीं है। आप कितने भी बहाने देते रहो कि प्रतिस्पर्धा है स्कूल में। जबकि सच ये है कि पहले प्रेशर ज्य़ादा था अब कम है। पहले साधन नहीं थे अभी कितने साधन हैं। पहले हमने अगर क्लास में सुन लिया तो मिस हो गया।
फिर आज पहली कक्षा के बच्चे को टयूशन क्लास में भेजते हैं। पहले के दौर में कोई टयूशन जाता था, तो छुपाते थे। माना जाता था कि पढ़ाई में आप कमज़ोर हो, तभी टयूशन जाना पड़ता है। आजकल तो टयूशन क्लास लगा लो, क्यों? बस, सब लगाते हैं टयूशन क्लास।
इससे यह पता चलता है कि आत्मा की एकाग्रता की शक्ति घटती जा रही है। जो अव्वल आ रहे हैं वो भी टयूशन ले रहे हैं। और ऐसे कर-कर के हम उनको पास कराके अच्छे पेशे में तो भेज देंगे, लेकिन आत्मा के लिए क्या करेंगे फिर! इसलिए अपने आपको यह कभी भी नहीं कहना कि हमारे पास समय नहीं है क्योंकि मुझे अपने बच्चों का ध्यान रखना है। फिर उसके बाद बच्चों के बच्चों का ध्यान रखना है। यह सिलसिला चलता रहेगा। इसका कोई अंत ही नहीं है। लेकिन ऐसे करते-करते आत्मा शरीर छोड़ कर खुद बच्चा बन जाएंगे। क्या लेकर जाएंगे अपने साथ?
अगर थोड़ा-सा समय निकालकर शक्ति न कमाएं तो अपने बच्चों को शक्ति कैसे देंगे! तो अब ये बहाना न बनाएं कि हमारे पास समय नहीं है। बच्चों के साथ हम बहुत समय बिता सकते हैं, साधन भी सारे दे सकते हैं लेकिन शक्ति खुद कमाए बिना नहीं दे सकते हैं। जब आप देखेंगे तो आपको लगेगा सब तो ठीक है। एक दिन वो चेंज होता है सबकुछ। इसलिए कुछ भी होने से पहले अपने घर के वातावरण को बदलिए।
पहले लोग कहते थे ऑफिस में बड़ा तनाव आता है, घर आकर सब ठीक हो जाता है। अब तो पता नहीं चलता उनको कौन-सा तनाव ज्य़ादा है। घर वाला या ऑफिस वाला। पहले बोलते थे सोमवार से शुक्रवार बहुत तनाव रहता है। रविवार बहुत अच्छा लेकिन अब कहते हैं संडे ज्य़ादा अच्छा नहीं, ऑफिस ही ज्य़ादा अच्छा। लॉकडाउन मिला था घर पर परिवार को इक_े रहने के लिए। एक महीना तो बहुत अच्छा बीता, अगले महीने के बाद कब ऑफिस शुरू होगा। कब हम यहाँ से जाएं। कितने सालों से प्रार्थना की थी कि कब ऐसा दिन आएगा जब हम घर में साथ-साथ बैठेंगे। जैसे ही मिला बस-बस अब हमको बाहर जाना है यहाँ से। यह संकेत है कि पहले तनाव कामकाज की जगह पर होता था अब तनाव घर पर भी होने लग गया। जब घर पर भी होने लग गया तो उसके बाद आत्मा कहाँ जाएगी! इसलिए घर के वातावरण को बहुत शक्तिशाली बनाने की ज़रूरत है।
जब घर में से एक सदस्य भी रोज़ आध्यात्मिक ज्ञान की खुराक लेना शुरू करता है,भले एक ही व्यक्ति करे। एक के मन पर भी अगर ज्ञान के शब्द चल रहे हैं, तो घर की हवा में फैलनी शुरू हो जाएगी वो उस घर में रहने वाले सदस्य के मन पर स्वत: चली जाएगी। ध्यान रखें, अगर डर और चिंता फैलती है, तो ज्ञान और शक्ति भी फैलती है।
हमारे घर बड़े और सुन्दर बन गए, पर अब चाहिए शक्तिशाली घर। ऐसा घर जिसमें परिवार का सदस्य प्रवेश करे तो उसे सुकून और शक्ति मिले, कलह-क्लेश, तनाव और चिंता नहीं। घर के बाहरी रूप से सुंदर दिखने पर काम कर लिया, अब अंदरूनी सुंदरता पर काम करें।

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