मन की बातें

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प्रश्न : मेरा नाम पायल चौहान है। पहले तो मुझे ये बतायें कि क्या भूत, प्रेत, पिशाच, जिन्न आदि सचमुच में होते हैं या केवल कोरी कल्पना है? क्या आपने इन्हें देखा है? उत्तर : मैं कभी-कभी ये सोचा करता हूँ कि ये नाम उनको दिए किसने? उनका कोई ऑर्गनाइज़ेशन थोड़ा है। मनुष्य ने जैसा देखा वैसा नाम दे दिया। वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है। देखिए जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो शरीर छोडऩे के साथ वो सूक्ष्म शरीर के साथ देह से बाहर निकलती है। इसमें अगर किसी ने पाप कर्म बहुत किए हैं तो उससे पाप के काले वायब्रेशन्स चारों ओर फैलते हैं अर्थात् काला उनका सूक्ष्म शरीर बन जाता है। जब वो शरीर छोड़ेंगे तो वो काले-काले दिखेंगे जिसको दिखेंगे, सबको नहीं दिखेंगे। तो लोग कहेंगे भूत बन गया। या ये शब्द आम लोगों के मुख पर भी आ गया है। किसी न किसी को देख लिया तो भूत है। भले वो फरिश्ता ही क्यों न हो। लेकिन उसको भी कहेंगे ये तो भूत है। तो वास्तव में ऐसा होता है कि यदि किसी की एक्सीडेंट में डैथ हो गई, अचानक मृत्यु, दुर्घटना या किसी के पाप बहुत ज्य़ादा हो गए हैं उसे मनुष्य योनि मिल नहीं सकती। ऐसा हमने पहले भी बताया है कि इसका मतलब ये नहीं कि पशु-पक्षी बनेंगे, नहीं। मनुष्य, मनुष्य ही बनेगा। उसके पापकर्मों की सीमा उससे आगे निकल गई जहाँ उसे मनुष्य योनि मिलती। वो उस समय तक भटकते रहेंगे जब तक उन्हें पापों की सज़ा मिले और उसके कर्मों का खाता उस लेवल पर आये कि वो मनुष्य योनि में प्रवेश कर सके। तीसरी एक बात और ये है जिन लोगों का कनेक्शन भूत-प्रेतों से यहाँ है, जो तंत्र-मंत्र विद्या करते हैं, जो भूतों को सिद्ध करते हैं उन्हें वश कर लेते हैं निश्चित रूप से वो देह छोडऩे के बाद उसी योनि में चले जाते हैं। क्योंकि उनसे उनका कर्मों का खाता बनता रहता है, कार्मिक अकाउंट तैयार होता रहता है। तो भूत-प्रेत उन्हें हम ये भी कह सकते हैं कि अट्रेक्ट कर लेते हैं अपनी ओर और उन्हें भी पुनर्जन्म नहीं मिलता है। इसलिए वो होते तो हैं लेकिन ये इतने ज्य़ादा नहीं कि उनसे कोई डरने की बात हो या हम भी कोई ऐसे ही बनेंगे इस संकल्प से बिल्कुल निश्चिन्त रहना चाहिए। जिनके अच्छे कर्म हैं वो मनुष्य योनि में बहुत अच्छा जन्म लेते हैं। ये सब योनियां हैं तो सही लेकिन कोई बहुत थोड़ी लेेकिन कुछ समय के बाद उनका जन्म भी हो जाता है। ये सब कर्मों पर ही निर्भर करता है। और जैसे आपने पूछा कि क्या मैंने इन्हें देखा है तो मैं बताना चाहूंगा कि हाँ मैंने एक ही बार देखा था और मुझे ये अनुभव हुआ था कि मैंने उसे जो कुछ भी कहा उससे वो मुक्त हो गई आत्मा। यही लगभग 30 साल पहले एक बहुत छोटा-सा अनुभव रहा। नक्की किनारे घूम रहा था तो एक लेडी रूप में फटाफट ऊपर चढ़कर आई तो पूछा कि मुझे रघुनाथ मंदिर जाना है, मैंने कहा इधर से चले जाओ और वो गुम। और वो चढ़ाई ऐसे थी 15 फुट और कोई व्यक्ति चढ़ जाये सम्भव नहीं था। तब मुझे ऐसा आभास नहीं हुआ था लेकिन बाद में मुझे किसी ने बताया कि यहाँ ऐसा प्रभाव है लेकिन उसके बाद मैंने ये भी सुना कि उसके बाद वो प्रभाव समाप्त हो गया। जैसे मनुष्य के अन्दर आत्मायें हैं ऐसे वो भी आत्मायें हैं तो उनसे डरने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि वो आत्मायें शांति लेने आती हैं और भटकते-भटकते खुद भी बहुत दु:खी हो जाती हैं और जब हम अपने चारों ओर एक पॉवरफुल औरा क्रियेट कर लेते हैं प्रभामंडल, तो ये आत्मायें हमसे बहुत भयभीत होती हैं। और हमें ये भी जानना चाहिए कि इन आत्माओं की मुक्ति का आधार भी हम ही हैं। हम इन्हें कुछ अच्छी चीज़ें सिखाएंगे। तो वो मुक्त हो जाते हैं। प्रश्न : भूतों से हमें डर क्यों लगता है क्या उनसे हमें डरने की आवश्कता है? उत्तर : भूतों का भय इतना ज्य़ादा फैला दिया है समाज में लोगों ने, मनुष्य न चाहते भी कुछ भी देखें, उन्हें रात को पेड़ की छाया भी दिखे तो उसको भी भूत ही समझ लेते हैं। उसे स्वप्न भी आ रहा हो तो वो ऐसा सोच लेता है। उनसे डरने की आवश्यकता नहीं है वो भी आत्मायें हैं, मनुष्य आत्मायें हैं। भयानक रूप तो उनके विचारों के, उनके कर्मों के कारण दिखाई देता है। अगर किसी को इनसे डर भी लगता हो तो वो ये अभ्यास करें कि मैं सर्वशक्तिवान की संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। सोने से पहले 21 बार कर लें, उठते ही 21 बार कर लें। और कभी डर लगने लगे तब कर लें। बस ये ठीक हो जायेगा। और अगर घर में भी किसी के ऊपर ऐसा प्रभाव है तो वो भी मास्टर सर्वशक्तिवान का अभ्यास करें और उनमें से कोई एक ने भी राजयोग सीखा है तो वो घर में बैठकर 2-3 बार 15-15 मिनट अच्छा योगाभ्यास करें ये सब समाप्त हो जायेगा।

प्रश्न : कई लोग भूत को भगाने के लिए हनुमान चालिसा पढ़ते हैं, क्या सचमुच इससे भूत भाग जाते हैं या भय को भगाने के लिए हनुमान चालिसा पढ़ते हैं? उत्तर : ये एक मान्यता चली आ रही है, हनुमान को महावीर के रूप में दिखाया, बहुत शक्तिशाली और ये मान्यता समाज में प्रचलित हो गई कि हनुमान की तुम मान्यता रखोगे, उसकी तुम पूजा करोगे या उसकी हनुमान चालिसा का पाठ पढ़ोगे तो इससे मुक्त हो जाओगे तो उस भावना का भी असर और उसके कारण से मनुष्य का मनोबल भी बढ़ जाता है। तो दोनों के कारण उन चीज़ों से मुक्त हो जाते हैं। भय भी उससे नष्ट हो जाता है और जब मनुष्य निर्भय हो जाता है तो भी ये भूत भाग जाते हैं। क्योंकि मनुष्य का भय जैसे इनको अट्रेक्ट करता है और जो बहुत निर्भय है और सोचता है कि मैं इनसे पॉवरफुल हूँ इन सबका मेरे ऊपर कोई असर नहीं हो सकता तो सचमुच उससे ये भूत ही भयभीत होते हैं। अगर आपको शमशान के पास या कब्रिस्तान के पास से भी गुज़रना पड़ रहा है तो मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ ये अभ्यास करते-करते गुज़रेंगे तो कुछ भी नहीं होगा। तो इस भय से हमें मुक्त हो जाना चाहिए। ये आत्मायें बहुत कमज़ोर होती हैं, पॉवरफुल नहीं होती। पॉवरफुल तो हम हैं। हमारे पिता जी बचपन से ही हमें मजबूत करते थे कि जो जिन्दा कुछ नहीं कर सके वो मर के क्या करेगा। निर्भय रहो बिल्कुल।

प्रश्न : एक ऐसी मान्यता है कि यदि लड़की और लड़का अविवाहित रह जायें तो उनकी कामनायें जोकि अतृप्त रह जाती हैं इसलिए वो भटक जाती हैं क्या ये सत्य है? उत्तर : कामनायें अतृप्त रह जाती हैं लेकिन वो भटकेंगी नहीं अगर वो योगाभ्यास करेंगे बहुत अच्छा। क्योंकि इनकी जो वासनायें की कामना है ना वो चैनलाइज हो जायेंगी। वो जो शक्ति है फिजिकल पॉवर वो स्पिरिचुअल पॉवर में बदल जाती है। और वो पॉवर उनको बहुत डिवाइन कर देगी और आनंद में रखेगी तो मन जब आनंद में होगा वासनाओं की ओर जो मन खींचा रहता है उससे मुक्त हो जायेंगे। ये बिल्कुल नैचुरल है जो अविवाहित रह गये, पवित्रता की धारणा के लिए उनके पास कुछ नहीं है तो उनकी वासनायें उन्हें सतायेंगी। वो इधर-उधर भी भटकेंगी अवश्य। लेकिन जो मनुष्य राजयोग का अभ्यास करता है, राजयोग से इन वासनाओं को न्यूट्रल करने की शक्ति आ जाती है। तो वासना है काम वासना शुभ कामनाओं में बदल जाती है, ये फिजिकल आनंद स्पिरिचुअल आनंद में बदल जाती है। और तब उनको भटकना नहीं पड़ता।

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