प्रश्न : कई लोग पूछते हैं कि मेडिटेशन करने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है?
उत्तर : कहा जाता है सुबह का समय व नुमाशाम का समय सात्विक समय होता है। सुबह के समय को कहा ही जाता है ब्रह्ममुहुर्त, अमृतवेला अमृत पान करने की वेला है। नुमाशाम के समय कहा जाता है कि देवतायें भी भ्रमण पर निकलते हैं या फरिश्ते भ्रमण पर निकलते हैं। ऐसे समय में मेडिटेशन बहुत सहजता से लग जाता है। सबसे सहज जो वरदानी समय माना गया है वो ब्रह्ममुहुर्त का समय माना गया है। क्यों इस समय को वरदानी माना गया है? क्योंकि उस समय संसार के लोग निद्रा में सोये हुए होते हैं। इसलिए डिस्टर्बेंस ज्य़ादा नहीं होता है। जो ध्यान के लिए वायुमण्डल चाहिए वो उस समय होता है। दिन में तो अनेक प्रकार का कोलाहल होता है। मन के अन्दर भी विचारों का बहुत सारा ट्रैफिक बढ़ जाता है। उसको शांत करना मेहनत का काम है। इसलिए सुबह के समय जब नींद से उठते हैं तो एक स्वत: मन का घोड़ा कोई दौडऩे नहीं लगता है, धीरे-धीरे चलता है। तो बाहर का वायुमण्डल भी शांत होता है और मन का घोड़ा भी इतनी तीव्र गति से नहीं दौड़ता है। तो शांत सहजता से हो जाता है और शांति को अपने अन्दर भर सकते हैं। उस ऊर्जा को बहुत प्यार से हम अपने अन्दर भर सकते हैं।
ये ब्रह्ममुहुर्त का वेला सुबह 3 बजे से 5 बजे तक को माना गया है। मैं ये नहीं कहती कि आप 3 बजे उठो, 4 बजे उठो। आप 4:30 पर उठ सकते हैं, 4:45 तक उठो शुरू में पंद्रह मिनट करो फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाओ, कोई हर्जा नहीं है। लेकिन आज की दुनिया में लोगों को जब कहते हैं कि ब्रह्ममुहुर्त को उठो तो कहते हैं कि आधी रात को! आधी रात नहीं है,ब्रह्ममुहुर्त तो दिन के आरम्भ का समय होता है। वो इसलिए बोलते क्योंकि रात को सोना ही12 बजे के बाद होता है तो तीन बजे, चार बजे यही महसूस होता है कि आधी रात को कहाँ उठें। उस समय निशाचर सब शांत हो जाते हैं और वायुमण्डल बहुत सात्विक होता है। इसलिए वो समय बहुत उत्तम माना गया है।
दूसरी बात ये भी कहा गया है कि पहले जब बचपन में सुना था कि अर्ली टू बेड, अर्ली टू राइज़ मेक्स अ मैन हेल्दी, वेल्दी एंड वाइस (जल्दी सोना, जल्दी उठना मनुष्य के विवेक शक्ति को बहुत तेज़ करता है)। जो भी सुबह उठने वाले लोग होते हैं और सुबह के समय में जब ध्यान में मन को लगाते हैं तो उसकी विवेक शक्ति बहुत तेज़ हो जाती है। समय सूचकता उसके अन्दर आ जाती है। समय पर निर्णय करना ये कला उसके अन्दर विकसित होती है। और इसीलिए इस समय को उत्तम माना गया है। दूसरा इस समय को इसलिए उत्तम माना जाता है जैसे सूर्यास्त होता है और अंधेरा छाने लगता है तो मान लो कि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है और वो बगीचे से फूल तोडऩे लगता है तो माँ-बाप हमेशा उसको रोकते हैं कि बेटा इस वक्त फूल नहीं तोडऩा चाहिए। अगर बच्चा पूछता है कि क्यों नहीं तोडऩा चाहिए तो आप यही कहेंगे कि इस वक्त पेड़-पौधे सो गये हैं। सो गये हैं यानी उसका साइकल चेंज हो गया। माना वो ऑक्सीजन लेना शुरू करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
हमारी ये प्रकृति, ये पंच तत्वों का शरीर भी उन्हीं पंच तत्वों से मिलकर बना हुआ है, उसी प्रकृति से बना हुआ है, और जब उसी प्रकृति से बना हुआ है तो जब वो प्रकृति सो जाती है तो ये प्रकृति भी सोना चाहती है। इसीलिए आप देखेंगे कि जैसे ही अंधेरा हुआ कि उबासी आना शुरू हो जाती है, माना सिग्नल देना शुरू कर देती है बॉडी भी। लेकिन तब हम घड़ी में देखकर कहते हैं कि अरे अभी तो आठ ही बजा है और इतनी जल्दी सुस्ती आने लगी है। ऐसे करके अपने आप को और-और बातों में लगाकर, किसी न किसी तरीके से जाग्रत रखना चाहते हैं। उस सोने की इच्छा का हम शोषण कर देते हैं। दस बजे तक तो सोशल मीडिया, टेलिविज़न पर हम अपने समय को व्यतीत करते रहते हैं। यानी नकारात्मक बातों को अपने मन के अन्दर भरते जाते हैं। उन नकारात्मक बातों की मन के अन्दर दिलचस्पी विकसित करते हैं। मन को जाग्रत कर देते हैं। फिर कहीं बारह बजे भोजन करते हैं और बारह बजे भोजन के बाद एक बजे सोने जायेंगे कितना हम शोषण करते हैं उस प्रकृति का जो आठ-नौ बजे तक सोना चाहती थी। वैसे भी कहा जाता है दस माना बस। बहुत हो गई ये दिनचर्या।
अब दस से बारह के बीच में हमारी नींद की एक साइकल कम्पलीट हो जानी चाहिए। और इस तरह छह घंटा 4 बजे तक हम आराम से सो सकते हैं। और सुबह जब हम ब्रह्ममुहुर्त में उठते हैं तो कहा जाता है कि जब ब्रह्ममुहुर्त में प्रकृति पुन: जागती है, जागती है का मतलब अब वो कार्बन डाइऑक्साइड खींचना चालू करती है और ऑक्सीजन रिलीज़ करना चालू करती है। और उस समय का जो ऑक्सीजन होता है ब्रह्ममुहुर्त का वो अमृत के बराबर होता है। जैसे अमृत का पान करना कहा जाता है ऐसे होता है। और इसीलिए वो समय में आप थोड़ा सा प्राणायाम कीजिए उस ऑक्सीजन को अपने अन्दर लीजिए सुबह सुबह का जो ऑक्सीजन होता है वो इतना अमृत के बराबर होता है कि हमारे ब्रेन को इस तरह से विकसित करता है कि उसकी मेमोरी पॉवर बहुत बढ़ जाती है। इसलिए पहले के ज़माने में लोग जल्दी उठते थे और उस समय में जब स्टूडेंट्स पढ़ाई करते थे तो उनका दिमाग बहुत तेज हो जाता था। मेमोरी पॉवर बहुत ज्य़ादा होता था। जो पढ़ते थे तो याद हो जाता था। लेकिन आज जब दिनचर्या ही उल्टी हो गई तो सुबह अक्सर लोग सोते हैं और रात भर पढऩे का प्रयत्न करते हैं। लेकिन वो रात भर पढऩे के बाद भी, निशाचर चारों तरफ हैं अशुद्ध वायब्रेशन्स हैं तो वो अशुद्ध तमोगुणी वायब्रेशन्स तामसिक वायब्रेशन वो मेमोरी पॉवर को और भी क्षीण कर देता है। इसीलिए सुबह सुबह उठ करके सुबह थोड़ा प्राणायाम करके वो ऑक्सीजन का पान कीजिए। देखो फिर मेमोरी फिर किस तरह से बढ़ जाती है। साथ ही साथ ये भी माना गया है कि उस समय में व्यक्ति जितना अपने भाग्य की रेखा लम्बी करना चाहे तो वो सकता है। क्योंकि कहा जाता है कि भाग्यविधाता ब्रह्ममुहुर्त में ही भाग्य बांटने का काम करता है। तभी तो जब किसी भाग्य की बात निकलती है तो लोग अक्सर ये पूछते हैं कि भगवान जब भाग्य बांटने निकला था तो तब तुम सोया हुआ था क्या। क्योंकि उस वक्त नींद भी बहुत अच्छी आती। 3 से 5 ये 2 घंटे की नींद भी इतनी अच्छी होती है कि अगर व्यक्ति उठ भी जाता है तो घड़ी देखकर अच्छा अभी तो इतना बजा है सो जाओ। थोड़ा देर और। और वो दो घंटा कैसे बीतता है पता भी नहीं चलता। और फ्रेश कर देता है। पांच बजे जब आँख खुलती है तो एकदम फ्रेश महसूस होता है। भले कोई सारी रात नहीं सोया हो लेकिन 3 से 5 बजे के समय की जो नींद होती है वो भी बहुत फ्रेश करने वाली हेाती है। क्योंकि माया तो नहीं चाहते हैं कि आप भगवान से भाग्य से प्राप्त कर लो। तो या तो भाग्य मिलेगा या माया मिलेगी। इसीलिए कहा जाता है कि उसी समय नींद भी बहुत अच्छी आती है और उसी समय भाग्यविधाता भाग्य भी प्रदान करते हैं। तो वो फ्रेश क्वालिटी का अमृत पान करें। और देखो कितना सुन्दर मन खिल उठता है अनेक प्रकार की क्षमताओं से वो विकसित होने लगता है। ऐसा विकसित हो जाता है जो व्यक्ति की अन्नत शक्तियों को जाग्रत करने का अधार बन जाता है। मन के पास अथाह शक्ति और क्षमता है तो इसीलिए सुबह उठकर तो देखो। कुछ समय तक अभ्यास करके देखो और सुबह में जिस तरह की एकाग्रता को अपने में विकसित करना चाहते हैं वो एकाग्रता इतनी बढ़ जायेगी। उस एकाग्रता को आप जिस भी कार्य में लगाना चाहते हैं कहा जाता है कि कोई भी क्षेत्र के अन्दर सफलता प्राप्त करना है तो एकाग्रता बहुत आवश्यक है वहाँ हमेशा राइट डिसीजन होता है। व्यक्ति जीवन के लिए जो निर्णय लेता है वो सही होता है और उस सही निर्णय के कारण अनेक अवसर उसके सामने खुलते जाते हैं और वो व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़ता जाता है। तो इसीलिए अमृत पान कीजिए और अनुभव करके देखो। हम ये नहीं कहते हैं कि हमारी बातों पर विश्वास कर लीजिए परंतु आप खुद उसका अभ्यास करके, अनुभव करके देखो कितनी प्राप्ति होती है।