जिस कर्म का बीज हमने बोया उसी का ही तो फल मिलेगा ना! फिर क्यों कहते मेरे साथ ही ऐसा क्यों? अगर इस राज़ को अच्छे से समझ लें तो क्यों, क्या ये सब प्रश्न समाप्त हो जायेें। कर्मों की गुह्य गति को जाना नहीं इसलिए प्रश्न उठता…
कई बार कई लोगों को पूर्वजन्म याद आता है। देखा जाता है कई लोग जो बताते हैं पूर्वजन्म की बातें छोटे-छोटे बच्चे और वहाँ जाकर रिसर्च किया जाता है तो वास्तविक होता है। मुझे याद आता है एक छोटा बच्चा दीपक नाम था उसका, 3-4 साल का जब हुआ तो अपने माता-पिता को कहता कि मुझे अपने घर जाना है, मुझे अपने घर जाना है। माता-पिता बार-बार उसको समझायें कि यही अपना घर है। लेकिन वो कहे मेरा घर अलग है। मुझे वहाँ जाना है। खैर माता-पिता को तो मालूम नहीं था और एक दिन वो परिवार कहीं घूमने गया हुआ था और घूम कर के जब वापस आ रहा था। रास्ते में एक मोड़ ऐसा आया जहाँ से बच्चे ने कहा कि अब यहाँ से राइट ले लो। माता-पिता ने कहा नहीं बेटा हमारा घर तो इस तरफ है, नहीं, कहा मेरा घर तो इस तरफ है इस तरफ ले लो। फिर राइट, लेफ्ट आदि बताते हुए अपने एक बहुत बड़े बंगले के पास पहुंचा और कहा यह मेरा घर है। बहुत खुश हो गया। उसको कहा बेटा यह अपना घर नहीं है, उन्होंने सोचा पता नहीं किसका बंगला है और कहाँ यह ले आया! उसने कहा, नहीं मेरा घर है, चलो आप। वहाँ वॉचमेन खड़ा था तो उससे पूछा शारदा है घर में? उसने दरवाजा खोला, अंदर लेकर गया वहाँ जाकर बेल बजाई, एक बहन आई तो उसको देखते ही कहता शारदा मुझे पहचाना? उसने कहा, नहीं, पता नहीं कौन है? फिर जाकर वो अपनी कुर्सी पर जहाँ हमेशा बैठता था, उसी स्टाइल में जाकर बैठा तब उस बहन को महसूस हुआ कि अरे यह तो कहीं उनकी आत्मा तो नहीं है! फिर उसने पूछा कि घर में एक हरि नाम का नौकर था वो कहाँ है? बहन ने कहा वह तो सेठ जी के जाने के एक महीने बाद ही मर गया था। उसने फिर और भी बहुत कुछ पूछा, बच्चों के बारे में पूछा तो उस बहन को समझ आ गया कि यह वही आत्मा है। माना उसका पति जो पिछले जन्म में था। फिर उसने कहा नौकर को बुलाओ पीछे जाना है, घर के पीछे के साइड में गए और वहाँ एक बड़ा पेड़ था, उस नौकर को कहा कि यहाँ खुदाई करो, खुदाई किया और नीचे से पिटारा निकाला तो बड़ा आश्चर्य हुआ! उसमें सारे बैंक के किताबें और पता नहीं क्या-क्या इम्र्पोटेंट्स डॉक्यूमेट्स उसके अंदर थे। उसने उस बहन को दिया कि यह बच्चों को दे देना और सबकुछ बताया कि उसने ये पेटी अपने नौकर हरि के साथ मिलकर यहाँ गाड़ दी थी। ये बात सिर्फ उसे और उसके नौकर हरि को पता थी। उसके बाद वो चला गया। और सबकुछ भूल गया। इसलिए वह आत्मा जब गई वो संस्कार लेकर गई, माना उसकी अंतिम इच्छा यही थी कि उसके मरने से पूर्व कि अब सब दबा का दबा रह जाएगा, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, तो इस जन्म में जाकर भी वह पिछली स्मृति जो उसको सता रही थी कि ये वो सब मैं अपने बच्चों को हैंड ऑवर कर दूं, जब कर दिया तो उसके बाद विस्मृत हो गया। फिर अपने माता-पिता को कहता है चलो अपने घर। बस वो लास्ट संकल्प उसका पूरा हो गया। जितने भी आजतक पूर्वजन्म के किस्से सुने हैं या देखे हैं तो कोई भी ऐसा केस सामने नहीं आया कि कोई मनुष्य ये कहे कि वो पिछले जन्म में ये पशु था या ये पक्षी था। कहने का भावार्थ मनुष्य,मनुष्य योनि में रह कर के ही अपने कर्मोंे का फल भोगता है।