गिलोय हमारे शरीर को रखता बीमारियों से दूर

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प्राचीन काल में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का उपयोग कर कई बीमारियों को दूर किया जाता था। समय के साथ-साथ साइंस में भी बदलाव हुआ, लेकिन आज भी ज़रूरत पडऩे पर कुछ मामलों में जड़ी-बूटियों का सहारा लिया जाता है। इनमें से एक जड़ी-बूटी है गिलोय। ये एक बेल है जो मुख्य रूप से जंगलों, खेती की मेड़ों और पहाड़ों की चट्टानों पर पाई जाती है। इसकी तासीर गर्म होती है। इसका तना हरा और देखने में किसी रस्सी-सा लगता है। गिलोय की पत्तियां प्रोटीन, कैल्शियम व फास्फोरस से भरपूर होती हैं, इसलिए गिलोय के पत्ते के फायदे भी कई हैं। इसे अमृता(अमृत के समान) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह जिस भी पेड़ से लिपटकर बढ़ती है, उस पेड़ के औषधीय गुण भी इसकी बेल में समाहित हो जाते हैं। इसी कारण नीम के पेड़ पर मौजूद गिलोय के बेल को लाभकारी और सबसे बेहतर माना जाता है। इसलिए गिलोय के औषधीय गुण किस तरह स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव करते हैं, इसके बारे में आज हम जानेंगे…

रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने से व्यक्ति बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाता है। ऐसे में गिलोय का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है। बताया जाता है कि गिलोय के औषधीय गुण में से एक इम्यूनोमॉडयूलेटरी प्रभाव भी है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकता है। इस आधार पर माना जा सकता है कि गिलोय के लाभ प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी हैं। प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में गिलोय जूस के फायदे ज्य़ादा देखे जाते हैं।

क्रोनिक फीवर के लिए क्रोनिक फीवर यानी पुराने बुखार में भी गिलोय के लाभ होते हैं। इसके लिए गिलोय के तने और पत्तियों को इस्तेमाल में लाएं। इनमें एंटीपायरेटिक यानी बुखार को ठीक करने वाला और एंटी मलेरियल यानी मलेरिया इंफेक्शन को दूर करने वाला प्रभाव होता है। यही नहीं, इसमें डेंगू जैसे वायरल इंफेक्शन भी शामिल हैं। गिलोय जूस के फायदे क्रोनिक कफ यानी पुरानी खांसी को ठीक करने में भी देखे जा सकते हैं। इसके लिए गिलोय के पत्ते के फायदे हो सकते हैं। लाभ पाने के लिए गिलोय की पत्तियों का रस या काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ बुखार होने पर ले सकते हैं।

पाचन शक्ति बढ़ाए जी हाँ, गिलोय के औषधीय गुण में से एक यह भी है कि इससे पाचन संबंधी कई समस्याओं जैसे कि डायरिया और दस्त से उबरने में मदद मिल सकती है। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी गिलोय का उपयोग सहायक साबित हो सकता है। पाचन शक्ति को बढ़ाए रखने में सबसे अधिक गिलोय जूस के फायदे देखे जाते हैं।

डायबिटीज़ को करे नियंत्रित डायबिटीज़ की समस्या में भी गिलोय के फायदे हो सकते हैं। इसके लिए गिलोय में मौजूद एंटी हाइपरग्लाइसेमिक यानी ब्लड शुगर को कम करने वाले प्रभाव को फायदेमंद माना जाता है। यही कारण है कि यह शरीर में इंसुलिन की सक्रियता को बढ़ाकर ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि गिलोय जूस के फायदे डायबिटीज़ में भी हो सकते हैं।

गठिया की समस्या में राहत विशेषज्ञों की मानें, तो गिलोय के गुण में एंटी-इंफ्लेमेटरी यानी सूजन को कम करने वाला प्रभाव होता है। साथ ही इसमें एंटी-अर्थराइटिक और एंटी ऑस्टियोपोरोटिक यानी जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत दिलाने वाले प्रभाव भी होते हैं। ये तीनों प्रभाव संयुक्त रूप से गठिया की समस्या को दूर करने में सहायक माने जाते हैं।

आँखों की समस्याओं में लाभकारी विशेषज्ञों के मुताबिक, इसमें पाया जाने वाला इम्यूनोमॉडयूलेटरी गुण आँखों के लिए भी फायदेमंद प्रभाव प्रदर्शित करता है। इस संबंध में किए गए एक अन्य शोध में बताया गया है कि गिलोय के गुण आँखों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक साबित हो सकते हैं।

बढ़ती उम्र के प्रभाव को घटाए गिलोय के उपयोग से बढ़ती उम्र के प्रभाव को घटाया जा सकता है। कई रासायनिक तत्वों की उपलब्धता के कारण गिलोय में एंटी एजिंग प्रभाव भी मौजूद होते हैं। इस कारण यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ बढ़ती उम्र के प्रभाव को भी कम कर सकता है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि संतुलित मात्रा में गिलोय का नियमित सेवन त्वचा को जवां बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभा सकता है।

खून की कमी दूर करने में सहायक गिलोय में टीनोस्पोरिन, ग्लूकोसाइड टिनोस्पोरिक एसिड अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो खून को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके लिए गिलोय के हरे डंठल का जूस बनाकर पिएं। जो एनीमिया से पीडि़त है उन्हें गिलोय का सेवन ज़रूर करना चाहिए।

गिलोय का उपयोग गिलोय का उपयोग करने के निम्न तरीके हैं। आइए, उनके बारे में थोड़ा जान लेते हैं… गिलोय के तने और पत्तियों को पीसकर इसका जूस बना सकते हैं। इसके जूस की करीब 20 एमएल खुराक दिन में दो बार लेने की सलाह दी जाती है। काढ़े के रूप में इसका इस्तेमाल 20-30एमएल तक दिन में दो बार किया जा सकता है। इसके लिए इसकी जड़ और तने को उबाल कर इसका काढ़ा तैयार करना होगा।

गिलोय के नुकसान जैसा कि हम सभी जानते हैं कि किसी भी चीज़ का अधिक सेवन कुछ दुष्परिणाम प्रदर्शित करता है। उसी प्रकार अधिक मात्रा में सेवन से गिलोय के नुकसान भी हो सकते हैं। यह ब्लड शुगर को कम करता है, इसलिए डायबिटीज की दवा लेने वाले इसके उपयोग में सावधानी बरतें, नहीं तो ब्लड शुगर काफी कम हो सकता है। इसे पाचन शक्ति के लिए सहायक माना गया है लेकिन गर्म तासीर के कारण इसकी अधिक मात्रा पेट से संबंधित जलन और गैस की समस्या का कारण बन सकता है। गर्भवती महिलाएं इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। अगर आपको ऑटोइम्यून बीमारी है जैसे : ल्युपस, रुमेटीइड गठिया, क्रोहन रोग तो इससे समस्या हो सकती है।

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