हमें बाबा ने काम दिया है, स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करने का। स्वयं को भी संस्कार-स्वभाव की कमज़ोरी से मुक्त करो क्योंकि आप जब मुक्त होंगे तब तो मुक्ति का गेट खुलेगा, तभी सब मुक्ति में जा सकेंगे। तो हमारे आधार पर यह मुक्ति का गेट खोलना है। ब्रह्मा बाबा भी गेट खोलने के इंतज़ार में हैं, एडवांस पार्टी वाले भी इंतज़ार कर रहे हैं कि कब समाप्ति का समय आयेगा और हम सब साथ में मुक्तिधाम में चलेंगे। तो बाबा ने अब हमें काम दिया है कि मुक्त बनो क्योंकि मुक्ति से जीवनमुक्ति प्राप्त होगी। जीवन में मुक्त बनना माना जीवनमुक्त बनना और जीवनमुक्ति तो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
तो पहले हमारे दिल में ज़रा भी और कोई रावण की सामग्री नहीं हो क्योंकि अगर कुछ भी पुरानी नेचर है तो माना रावण की सामग्री अभी भी है। अंश मात्र, स्वप्न मात्र भी यह रावण की सामग्री का संग्रह होगा तो बाबा हमारे दिल पर कैसे बैठेगा? तो जब पहले हम अनुभव करेंगे मुक्ति-जीवनमुक्ति का तब दूसरों को भी दिला सकेंगे। अभी तो बाबा हमको पल-पल देख रहा है क्योंकि बाबा का हम बच्चों से विशेष बहुत प्यार है। हमको भगवान ने गुरू भाई बनाया है, भगवान के हम गुरू भाई हैं तो कितना यह रूहानियत का नशा है! हम भगवान की स्टेज(संदली) पर बैठके मुरली सुनाते हैं इसलिए बाबा कहते हैं गुरू की गद्दी के अधिकारी बने हो तो गुरू भाई हो। और बाबा को प्यार इसीलिए है क्योंकि निमित्त हमको ही बनाया है। तो हम गुरू भाई कैसे हैं? तो बाबा बहुत बारी चक्कर लगाके जाता है। वो तो सूक्ष्म में फरिश्ते रूप में छिपके आता है, छिपके चला जाता है। लेकिन बाबा देखता रहता है कैसे बैठी है, कैसे सुनती है, कैसे क्या धारणा करती है। एक-एक दिन में चलन और चेहरे में कितना फर्क पड़ा है। यह भी बाबा नोट करता रहता है। तो जिससे प्यार होता है उसे देखे बिना रहा नहीं जाता। तो बाबा का हम सबसे बहुत दिल का प्यार है इसलिए बार-बार बाबा हमें चेक करता रहता है। तो बाबा की आशाओं को हमें पूर्ण करना है क्योंकि हम ही फस्र्ट नम्बर निमित्त आशाओं के दीपक हैं। निमित्त भाव से निर्मानता आती ही है।