सेवा में हाँ करना माना आस्तिक बनना

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माला का मणका जिसको बनना है, उनको शान्त रहना अच्छा लगता है। शान्त रहके अपने आपको देखना सहज हो जाता है। शान्त नहीं रहते हैं, औरों को देखते हैं तो अपने को देखना मुश्किल हो जाता है। फिर कोई बात ऐसी आती है तो मुश्किल लगती है इसलिए बाबा कहते हैं स्नेही रहो, स्नेह करो, स्नेह से सहयोगी रहो। एक-दो की बात को प्यार से स्वीकार करो। एक-दो की बात को सुनना और स्वीकार करना, यह भी सयाने का काम है। एक-दो को सत्कार दो क्योंकि सम्पन्न बनना है और सम्पन्न तब बनेंगे जब पुरानी बातों की समाप्ति करेंगे। समाप्ति वही कर सकेगा जो बीती को बीती करना जानता है।
अगर किसी की कोई भी बीती बात मेरे मन में, दिल में है तो बाबा मेरे मन में, दिल में नहीं हो सकता। दिल में बाबा के अलावा और कोई बात नहीं है तो सब बात सहज है। कोई बात को समाप्त करना माना सफलता पाना। इस कलियुग में कोई भी आत्मा ऐसे नहीं कह सकती कि मैं निर्विकारी हूँ। वह जब देवी-देवताओं के मन्दिरों में जायेंगे तो हाथ जोड़के अपने को नीच, पापी कहेंगे और उन्हें सम्पूर्ण निर्विकारी कहेंगे। वैसे भले शिवोहम्, ब्रह्मोहम् बोले… परन्तु देवताओं की मूर्ति के आगे ऐसे नहीं बोलते हैं। तो बाबा ने कहा है यह रिद्धि-सिद्धि भी तुम शक्तियों से उन भक्तों को मिली है, तब तो शक्ति लेने के लिए देवियों के पास जाते हैं। तो प्वाइंट्स पीछे याद करो परन्तु पहले यह चेक करो कि मेरे को बाबा ने कितनी शक्ति दी है? या बाप से कितनी शक्ति ली है?
जो एक बारी सेवा में ना करता है, उसको बाबा नास्तिक कहता है। तो सबसे अच्छी विधि है पुरूषार्थ में आस्तिक बनना। दिल से हाँ कहने से बाबा मदद के लिए बंधायमान हो जाता है। आस्तिक वही होता है जो हिम्मतवान होता है। तो आपस में गुणों का भी गहरा कनेक्शन है। तो शान्ति से बैठ करके सारे गुणों को देखते अपने अन्दर में लाते जाओ। पुरूषार्थ में सच्चा बनना है तो इसमें अपने से ठगी नहीं करना। जो कुछ भी अलाए मिक्स हैं वो अभी निकाल देना है, तब सच्चे बाप के साथ सच्चे रह सकेंगे। तो समझकर सौदा कर लो, इसमें मूँझने व कुछ पूछने की ज़रूरत नहीं है। जो काम उसको कराना है, वो भी करा रहा है। जो करेगा उसकी प्रालब्ध बनेगी।
तन-मन-धन का भी आपस में कनेक्शन है। भगवान हमारी रूप रेखायें सब बदल देता है। तो हम कुछ नहीं करते हैं, पर ना कभी नहीं करते हैं। तो डायरेक्टर के डायरेक्शन पर चलने वाला अच्छा एक्टर बन सकता है। अपने से ठगी नहीं करना क्योंकि बाबा सब देख रहा है और बाबा बहुत होशियार है, कभी आगे होता है, कभी पीछे होता है। सिर्फ कहता है मेरे पीछे-पीछे आते जाओ। कभी कहता तुम आगे चलो मैं तुम्हारे पीछे आता हूँ। फिर कहता है मैं ओबिडियन्ट हँू ना। कमाल है ना!

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