अभी चलने का नहीं उडऩे का समय है

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हम कहेंगे अभी हमने आधा घंटा योग किया, तो आधा घंटा योग किया या बीच बीच में युद्ध किया? आधा घंटा आप योग में थे या नहीं, यह आप ही जान सकते हो। तो सारा दिन हम यह चेकिंग करें। चेकिंग करेंगे तो चेंज होंगे। सिर्फ चेकिंग करेंगे तो दिलशिकस्त हो जायेंगे। बाबा चाहता है कि हम अपने स्वमान में रहें। साथ में हम संगठन में रहते हैं, गाँव-गाँव में हमारा घर है, इतने बड़े परिवार के हम हैं। देखो हम झाड़ के चित्र में बीज के साथ बैठे हैं। तो पूर्वज हो गये ना, पूज्य भी हैं, पूर्वज भी हैं। विश्व कल्याणकारी विश्व परिवर्तक हैं। जहान के नूर, बाबा की आँखों के तारे हैं। बाबा समय प्रति समय कितने स्वमान देते हैं। अमृतवेले हम बाबा से शक्ति लेकर अगर सारे दिन का स्वमान और टाइमटेबल सेट करें कि आज सारा दिन इस स्वमान के अनुभव में रहेंगे। अगर रोज़ एक स्वमान भी याद करें और सारा दिन उसी स्वमान में स्थित रहने का अभ्यास करें, तो बहुत मजा आयेगा। संगठन में रहने के लिए दूसरा शब्द है – सबको सम्मान दो। स्वमान में रहो और सम्मान दो।
संगठन में चलना और सफल होना उसके लिए सबको सम्मान दो क्योंकि संगठन में भिन्न-भिन्न संस्कार तो होंगे ही। सभी एक नम्बर तो नहीं होंगे। माला में 108वां नम्बर भी तो है ना! बाबा ने सभी की खातिरी तो बराबर की। फिर भी 108वां नम्बर क्यों बना! यह हरेक का पुरूषार्थ अपना-अपना है। कुछ भी हो संगठन में एक-दो को सम्मान दो और सम्मान लो।
जैसे रास्ते में कोई गिर गया है तो आप उस गिरे हुए व्यक्ति को लात मारेंगे या सहारा देकर उठायेंगे? मर्यादा तो यही है ना कि उसे सहारा दो, खड़ा करो। तो मानो ब्राह्मण परिवार में कोई संस्कार वश गिर गया है तो हमारा काम क्या है? उसको सहारा देना। सहारा क्या देंगे, शुभ भावना, शुभ कामना। भले वो नहीं देवे, मैं तो दूं। संगठन में सम्मान देना है। साथ-साथ परिवार में सबके प्रति यही इच्छा रहती है कि यह सुधर जाए। इसको कोई ऐसी शिक्षा दें जो यह अपने को ठीक कर लेवे। लेकिन शिक्षा भी अगर क्षमा भाव के बिना होगी तो शिक्षा रोब का रूप ले लेती है। रोब भी क्रोध का ही अंश है। मम्मा हमेशा कहती थीं कि मुझे बाबा ने काम दिया है कि आपको इन अलग-अलग डाल-डालियों को इक_ा करके यह चन्दन की डाली बनाना है। हम भी मास्टर प्यार के सागर हैं। तो मास्टर ज्ञान के सागर, प्रेम के सागर हमारा स्वरूप होना चाहिए। तो शिक्षा भले दो लेकिन क्षमा का स्वरूप हो।
यह हमको चेक करना है कि हम स्वमान में रहते हैं? अपने मन का भी टाइम टेबल बनाओ। किस स्वमान में रहना है, मन्सा से क्या सेवा करना है? कर्मणा क्या करना है, संगठन में स्नेह से कैसे चलना है। एक-दो से कैसे गुण उठाना है। यह सारा मन का टाइमटेबल रोज़ सुबह अपना बनाना चाहिए। मन का टाइमटेबल बनाने से आपकी चेकिंग बहुत अच्छी हो जायेगी। मन का मालिक बनने के बिना कभी भी ऊंच पद नहीं पा सकते। जो स्व का मालिक नहीं बन सकता, वो विश्व का मालिक कैसे बनेगा! पहले स्वराज्य फिर विश्व राज्य। यह ज्ञान का दर्पण है, इस दर्पण में अपना मुख आपेही देखो।
अचानक के खेल तो शुरु हो गये हैं ना, अति में जाना बाकी है। संसार के समाचार सुनो तो क्या हो रहा है! जो बाबा ने कहा है वो होना शुरू हो गया है। हमारी स्पीड भी वही है या नहीं, अभी तो उडऩे का समय आ गया है। बाबा ने अभी चलने को कैंसिल कर दिया है। उड़ेंगे तब जब बेफिकर बादशाह होंगे। जो करना है सो अब करना है। चाहे तन से, चाहे मन से, चाहे धन से। अगर बेफिकर बादशाह बनकर रहना है तो कोई हद का संकल्प न हो। बाबा में पूरा फेथ हो। अरे हम अच्छे हैं, अच्छे रहेंगे और अच्छा होगा। इतना निश्चय पक्का होना चाहिए। हमारा साथी कौन है! अति भी हो जाये तो भी साक्षी होकर देखना है। हमारे साथ बाबा है। यह बाबा का निश्चय, हमें निश्चिंत बनायेगा। ये कर लूं, यह बचा लूं। यह आना माना संशय बुद्धि। और संशय बुद्धि विजयन्ती हो नहीं सकता। हमारा बाबा से प्यार है, हम बाबा के प्यार में खोये हुए हैं।

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