मन की बातें

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प्रश्न : मृत्यु के बाद की स्थिति वास्तव में है क्या?

उत्तर : आत्मा एक देह रूपी वस्त्र उतारकर दूसरा धारण कर लेती है। मृत्यु हुई, आत्मा गर्भ में प्रवेश करेगी। गर्भ में जो बच्चा है वो चार-पाँच मास का हो गया होगा तब आत्मा उसमें प्रवेश करेगी। और प्रवेश करने के बाद ब्रेन का और अंगों का तेजी से विकास हो जायेगा। लेकिन आत्मा यहाँ से अपने सारे संस्कार और कर्म साथ लेकर जाती है। क्योंकि आत्मा जब देह छोड़ती है तो उसका सूक्ष्म शरीर भी उसके साथ चलता है। सूक्ष्म शरीर भी बिल्कुल ऐसे ही हेाता है जैसे ये शरीर होता है। बस वो लाइट का होता है। मन, बुद्धि, संस्कार कर्मों का सारा इफेक्ट उसमें रहता है। उसके साथ आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश करती है। तो जैसे-जैसे जिसके कर्म और वैसा शरीर का निर्माण, वैसा ब्रेन का निर्माण, अनेक चीज़ें हैं मनुष्यों के अन्दर आप देख सकते हैं। हरेक का चेहरा अलग, आँखें अलग, नाक अलग, कोई बहुत ही स्ट्रॉन्ग, कोई पतला-दुबला, कोई जन्म से ही बीमार तो जिसके बहुत पाप कर्म हैं उसकी ऐसी स्थिति होती है, ये जानने योग्य विषय है। मान लो किसी ने पाँच-सात साल बहुत भयानक रूप से कैंसर से पीडि़त रहकर देह छोड़ा, ये सब आजकल बहुत हो रहे हैं। और कैंसर की याद में ही उसका देह छूट गया। तो कैंसर के संकल्प उसके मन में थे, किसी भी तरह के उल्टे-सीधे मुझे कैंसर था, मेरे कैसे पाप थे, हाय ये ठीक नहीं हो रहा, मेरा क्या होगा तो मन उन सबको साथ लेकर नई देह में प्रवेश करता है। अभी नये बच्चे में इसलिए वो सब वायरस कहें या वो सब संस्कार कहें जो भी मेडिकल वाले इसको जो भी नाम दें बच्चे के शरीर में वहीं से पड़ जाते हैं। उनके वायब्रेशन्स के कारण। तो जैसे वो बड़ा होगा छोटी आयु में ही कैंसर का रोग उसमें दिखाई देगा। आजकल तो देखो ऐसे केस आ रहे हैं। दो साल के बच्चे, पाँच साल के बच्चे कैंसर से पीडि़त, डायबिटीज से पीडि़त, हार्ट पेशेन्ट, हार्ट में छेद, किडनी दोनों कमज़ोर, लीवर बहुत वीक, ब्रेन बहुत डल, ये सब स्थिति आ रही है तो ये सब पूर्व जन्मों की जो स्थिति रही है मनुष्य की, जो कर्म रहे हैं, जो संस्कार रहे हैं, गहरी छाप गर्भ से ही उस देह पर पड़ जाती है। उसके साथ बच्चे का जन्म होता है। जैसे मेडिकल में हेरीडिटरी(वंशानुगत) कहते हैं ना कि दादा-दादी से रोग आये हैं। पूर्व जन्मों से भी रोग आते हैं इसलिए कुछ लोग जो इस चीज़ के विशेषज्ञ हैं पूर्व जन्मों में जाकर उनको उस रोग से मुक्त कर देते हैं। ये भी एक बहुत बड़ी विद्या है। तो इस तरह अलग-अलग जगह पर, अलग-अलग परिवारों में कोई धनवान के घर, कोई गरीब के घर, कोई जन्मते ही बीमार, कोई बहुत स्वस्थ, कोई जन्म से ही बहुत बुद्धिमान, कोई की बुद्धि डल, कोई बहुत योग्य तो कोई बहुत कम योग्य। वो सब संस्कार, बुद्धि, मन के वायब्रेशन्स लेकर आत्मा दूसरे देह में प्रवेश करती है। उसी तरह का उसका नया जन्म होता है। ये भी जानने योग्य है कि आत्मा कभी मेल शरीर में प्रवेश करती है तो कभी फीमेल शरीर में। आत्मा ना मेल है ना फीमेल। फिर भी इसको शास्त्रों में पुरूष कहा गया है। मेल रूप में इसको देखा गया। परंतु ये जो जेन्डर हैं, लिंग हैं इन दोनों से परे है। वो आत्मा एक जन्म नर के रूप में, दूसरा जन्म नारी के रूप में। और कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है दो जन्म एक साथ एक ही योनि में हो जायें। दो बार पुरूष बन जायें, या दो बार स्री बन जायें, इसके ज्य़ादा नहीं। अन्यथा हर बार चेंज होता रहेगा। कभी-कभी ऐसा होता है कि पुरूष के संस्कार अति प्रबल हैं तो दूसरा जन्म भी पुरूष के रूप में हो जायेगा। बस ये अगले जन्म में स्थिति बनती है।

प्रश्न : मरने के बाद क्या होता ये किसने देखा? क्या मरने के बाद किसी ने आकर बताया कि हम स्वर्ग में गये थे, नर्क में गये थे। ये तो लोग कल्पना मानते हैं और ये मानते हैं कि डराने के लिए ये बात कही गई थी। इस विषय पर आप क्या टिप्पणी करेंगे जो लोग ऐसा मानते हैं कि स्वर्ग, नर्क जैसी कोई चीज़ ही नहीं होती?

उत्तर : हाँ स्वर्ग, नर्क की तो बात नहीं लेकिन मैंने भी एक बुक मेरे पास आई कि क्रमृत्यु के बाद क्याञ्ज तो जो लोग मृत्यु को प्राप्त हो गये थे वो पाँच मिनट बाद वापिस आ गये। माना देह फिर से जीवित हो गयी। इसमें वन्डरफुल बात ये थी कि सबके अनुभव एक जैसे थे कि वो कहाँ से पास हुए, कौन उन्हें मिला, क्या बातचीत हुई और कैसे वो आ गये नीचे। वो सब उन्होंने सुनाये लगभग एक जैसे। तो कल्पना तो नहीं माना जा सकता। उसमें कई अच्छे-अच्छे लोग भी थे, डॉक्टर्स थे, प्रोफेसर्स थे, ऐसे-ऐसे लोगों के अनुभव थे। 100 लोगों के अनुभव छपे हुए हैं। दूसरी हमारे भारत में भी जहाँ-तहाँ एक घटना होती रहती है। कि कुछ बच्चे दो साल के, तीन साल के वो बोलना सीखते हैं ना तो वो अपने पूर्व जन्म का बखान करने लगते हैं। अरे मेरी माँ कहाँ है, उसका नाम ये है, मुझे वहाँ ले चलो। मैं यहाँ कहाँ आ गया, मेरा तो घर वहाँ है। और जब लोग वहाँ जाके पता करते हैं तो वो एकदम सही निकलता है। सच निकलता है। उसमें संशय की कोई गुंजाइश ही नहीं। अनेक वैज्ञानिक वहाँ पहुंचे, मनोवैज्ञानिक वहाँ पहुंचे। सबने इसकी जाँच की। तो पुनर्जन्म तो एक सत्यता है। वास्तव में ये कल्पनायें नहीं हैं, पुनर्जन्म होता है। मृत्यु के बाद किसने देखा है, देखा है हम सबने। हम उसे भूल गये हैं। मृत्यु सबकी हुई है। सब उस अनुभव से गुज़रे हैं लेकिन इस संसार के वातावरण में, यहाँ के वायब्रेशन्स में, यहाँ की मोह-ममता में मनुष्य को सबकुछ विस्मृत होता रहता है। और विस्मृत होना ही कल्याणकारी है। सबकुछ याद रहे तो मनुष्य पागल ही हो जायेगा। इसलिए भूलने में बड़ा भला है।

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