बस करके देखें…

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जब घर पर भी खाना बनता है, सेंटर पर खाना बनाते हैं, तो हम क्या करते हैं सब में से थोड़ा-थोड़ा लेकर एक प्लेट में रख के हम पाँच मिनट उसके साथ हम मेडिटेशन भी करते हैं।

एक फैमिली डाइनिंग टेबल के चारों ओर बैठी थी। एक ग्रैंड मदर ने इतना अच्छा बताया कि बहन आजकल तो हम कुछ भी खा रहे हैं, कुछ भी पी रहे हैं पहले हम क्या करते थे कि अगर हम ऐसे एकसाथ बैठे हैं पानी का गिलास आया, आधा पानी पीया और रख दिया। दस-पंद्रह मिनट बातें की। कहती उसके बाद वो वाला पानी नहीं पीते थे। तो मैंने पूछा क्यों? तो बोले दस-पंद्रह मिनट की बातें चली गई उसके अन्दर। टेबल के चारों ओर बैठे 8 लोगों की वायब्रेशन उसके अन्दर चली गई। वो पानी भेजा जाता था और फिर फ्रेश पानी आता था। पॉवर ऑफ वॉटर(पानी की शक्ति)। जैसा पानी वैसी वाणी। ऐसे ही नहीं लोग अपने बर्तन लेकर जाते थे, पानी अपने घर का पीते थे। जिसको आज हम कहते हैं ये इतने क्या थे? आप जिस घर का पानी पीयेंगे आप उस घर की मन की स्थिति को अपने अन्दर लेकर आयेंगे। जिस भी घर का पानी पीते हैं उस घर के जो वातावरण होंगे उसको भी हम पीकर आते हैं। ये साइंटिक प्रूफ है।
आप गूगल पर जाइएगा सिर्फ ये लिखना कि वॉटर मेमोरी। हमारी बॉडी में 80 प्रतिशत पानी है, तो उसका हमारे ऊपर असर होने वाला है। अब हमें खाना भी हॉस्पिटल में खाना है, पानी भी हॉस्पिटल में पीना है लेकिन हम पीने और खाने से पहले उसे 30 सेकण्ड क्या कर सकते हैं? पॉज़ करके जो हमें बचपन से सिखाया गया था परमात्मा को याद करके खाओ। क्या रिज़न(कारण) था परमात्मा को याद करके खाने का! थाली सामने रखी है, खाना सामने रखा है इसमें बहुत सारे वायब्रेशन्स हैं जिसने वो बनाया, जिसने उस सब्जी को उगाया। आज हमें पता है कि किसानों के मन की स्थिति कैसी है। वो एक साल या छह महीने उस सब्जी को उगाता है। अनाज को उगाते हैं तो उनके वायब्रेशन्स भी उनके साथ हैं। फिर वो मंडी जाता है और वहाँ का वातावरण देखो कैसा होता है!
वो फिर दुकान में जाता है वहाँ क्या हो रहा है और फिर हमारे घर पर आता है। कितनी सारी वायब्रेशन्स आये फिर वो कोई बनाता है। तो चार मन की स्थिति के वायब्रेशन आये हैं हमारी प्लेट के अन्दर। अब हम क्या करेंगे, 30 सेकंड के लिए सिर्फ परमात्मा को याद करके उसकी शक्तियां उस भोजन में डालेंगे और जो हम अपने में परिवर्तन लाना चाहते हैं, मैं एक दिव्य आत्मा हूँ, मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ, मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ, मैं एकदम स्वस्थ हूँ ये सब उस पानी में डाल दो। तो जैसा अन्न वैसा मन। तो अगर खाने में डाल दिया ना मैं फरिश्ता स्वरूप हूँ तो जब वो खाना खा लेंगे तो वो खाना आपके ऊपर काम करेगा और मैं फरिश्ता स्वरूप हँू ये नैचुरल होने लग जायेगा।
कई बार हम डिसाइड करते हैं कि आज गुस्सा नहीं करेंगे लेकिन हो गया फिर सोचते हैं कि आज मैंने ये डिसाइड किया था, न चाहते हुए भी मुझे गुस्सा क्यों आया! खाना और पानी यही सबसे बड़ा कारण है। हम अपने परिवर्तन के लिए जो निर्णय लेते हैं, उसे बनाए रखने में हम सक्षम क्यों नहीं हैं? क्योंकि भोजन और पानी के साथ-साथ हम लोगों के वायब्रेशन भी अपने अन्दर ले रहे हैं।
चार-पाँच दिन लगेंगे सिर्फ इस आदत को बनाने के लिए कि कुछ भी अपने अन्दर डालें तो पहले परमात्मा की एनर्जी को उसमें डालें फिर उसको ग्रहण करें। अपने आपको सुरक्षित रखें। कर सकते हैं हम 30 सेकंड! लेकर आयें अपने पानी का गिलास अपने सामने। और इस तरह से करें कि किसी को पता भी न चले कि हम क्या कर रहे हैं। सर्वशक्तिवान परमात्मा की शक्तियां, प्यूरिटी, प्यार, इस पानी के कण-कण में है। ये पानी, पानी नहीं है, अमृत है। मैं एक दिव्य आत्मा हूँ। मेरा हर रिश्ता बहुत बहुत सुन्दर है। मेरा शरीर एक परफेक्ट और हेल्दी है, पी लीजिए। अब ये वायब्रेशन तब तक आप पर काम करेंगे जब तक आप अगला गिलास पानी नहीं पीते। कितना इज़ी है! पानी को क्या बना दिया, पानी को अमृत बना दिया। कहाँ तो इतना-सा अमृत ले जाते थे मंदिर। उस अमृत में क्या था, किसी ने यही तो डाला था परमात्मा की याद का वायब्रेशन। अगर हम अपने हर खाने और पानी को परमात्मा की याद से एनर्जाइज़ करेंगे तो हमारी एनर्जी घटेगी नहीं।
आप ऐसा अपने लिए भी करें और अपने परिवार के लिए भी करें। किसी को कोई मैसेज देना है। किसी का मन शांत करना है, किसी का संस्कार चेंज करना है, कोई बीमार है तो हम क्या कहते हैं कि ठीक ही नहीं हो रहे, आज भी बुखार नहीं उतरा, पता नहीं कब उतरेगा। अनजाने में हम गलत एनर्जी डाल देते हैं उसके अन्दर। इसलिए ध्यानपूर्वक सही एनर्जी डालनी पड़ती है। आज भी झगड़ा हो गया अब पता नहीं ये मेरे से कितनी देर बात नहीं करेंगे, जब देखो मेरे साथ ऐसा ही होता है। अब इसका अपॉजि़ट करो उनके लिए उसी टाइम जाकर पानी लेकर आओ, जिनके साथ झगड़ा हुआ है। परमात्मा को याद करके उसमें वायब्रेशन डाल कर पिला दो। पाँच मिनट के अन्दर देखना वहाँ स्थिति बदलने लग जायेगी। ऐसे ही नहीं हर पूजा में पानी छिड़का जाता है हर जगह,शुद्धिकरण के लिए। तो उस पानी में क्या था, हाई एनर्जी वायब्रेशन मंत्र, उस मंत्र को लिया पूरे घर में छिड़का, लोगों पर भी डाला और कहा कि शुद्धिकरण हो गया। लेकिन वो शुद्धिकरण तब तक ही है जब तक हम दूसरा पानी नहीं पी लेते। तो वो शुद्धिकरण का असर क्या हो जायेगा, चला जायेगा। तो हमें हर पानी को शुद्ध करना है, हर अन्न को शुद्ध करना है।
जब घर पर भी खाना बनता है, सेंटर पर खाना बनाते हैं, तो हम क्या करते हैं सब में से थोड़ा-थोड़ा लेकर एक प्लेट में रख के हम पाँच मिनट उसके साथ हम मेडिटेशन भी करते हैं। फिर उस खाने को सारे खाने में मिक्स करके फिर उस खाने को इस्तेमाल करते हैं। अगर ये हॉस्पिटल में होने लग जाये तो पेशेन्ट को पता नहीं चलेगा कि उसको इतना सुकून क्यों महसूस हो रहा है यहाँ पे। मन शांत होगा तो शरीर जल्दी ठीक होगा। व्यवहार सरल होगा, सहज होगा। बस करके देखें।

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