प्रश्न : मैं नीरज गोस्वामी झारखंड से हूँ। ये झाड़-फूंक को बहुत सारे लोग मानते हैं और मेरे सहित बहुत सारे लोग नहीं मानते। क्या झाड़-फूंक के पीछे कोई विज्ञान है या लोगों को उल्लू बनाकर पैसा एंठने वाली बात है? क्योंकि हमारे देश में अंधश्रद्धा बहुत है तो कोई भी बाबा बनकर बैठ जाता है और लोगों को ठगता रहता है। वास्तविकता क्या है?
उत्तर : कुछ चीज़ें ऐसी थी हमारे समाज में जो बहुत अच्छी तरह से प्रचलन में थीं जैसे किसी को सांप ने काटा तो इसकी झाड़-फूंक करवानी है। तब तो क्या होता था कोई वैद्य होगा 50 किलोमीटर दूर तब तक तो उसकी मृत्यु ही हो जायेगी। गांव में झाडऩे वाले लोग होते ही थे। जिन्होंने महामृत्युंजय मंत्र को सिद्ध किया हुआ है। तो उनके द्वारा उनका उपचार होता था। और प्रैक्टिकल में होता था। उस टाइम मनुष्य के पास अपनी शक्तियां थीं। पवित्रता भी बहुत थी और मंत्रों में भी शक्ति थी। अब क्या है मनुष्य ने अपनी शक्ति नष्ट कर दी है। वो विषय-वासनाओं की ओर चला गया। उसका मन बहुत निगेटिव हो गया है तो मंत्रों की शक्ति भी उसके काम नहीं आती। एक समय था जब ये चीज़ बहुत प्रभावकारी थी। प्रभावशाली रूप से काम करती थी। हमें याद है जब हम छोटे थे तो सांप काटते ही रहते थे लोगों को और पास के ही गांव में झाड़-फूंक वाले होते थे उनके पास ले जाते थे। झाड़ा, फूंका फिर वापिस आ गये। अभी इसके पीछे साइकोलॉजी कहें, उनको भी विश्वास था कि हम ठीक हो गये बस फिर वो ठीक हो गये। फिर अपने काम में लग गये या ये कहें झाड़-फूंक के द्वारा, मंत्र शक्ति के द्वारा विष को समाप्त कर दिया गया। इनमें कुछ न कुछ तो सत्यता थी ही। लेकिन अब समय बदल चुका है। अब जहाँ डॉक्टर्स हो गए हैं, इसके उपचार निकल चुके हैं, होम्योपैथी में भी है, इसके इंजेक्शन भी हैं। इसलिए आजकल जो कोई लोग झाड़-फूंक करते हैं अभी 10 में से 2 को ठीक हो गया तो लोग उसमें विश्वास करने लगते हैं। क्योंकि आजकल मेेडिकल साइंस या कुछ तरीके कहीं-कहीं हाथ उठा रहे हैं। असफल हो रहे हैं कि बीमारी चलती आ रही है। बहुत सारे उपचार करने के बाद भी, अच्छे से अच्छे डॉक्टर को दिखाने के बाद भी कुछ फायदा नहीं हो रहा तो लोग विवश होकर उनकी ओर जाते हैं। यही कारण बन रहा है उनमें विश्वास का। जैसा कि आपने कहा कि बाबा बन बैठे हैं लोग, बहुत लोगों ने इसे अपनी कमाई का साधन बना लिया है। हर व्यक्ति पर विश्वास करना बिल्कुल गलत है। अगर कोई व्यक्ति मांग रहा है कि मुझे तो पचास हज़ार रूपये दो तो तुम्हारी चीज़ ठीक कर दूंगा अपने मंत्र से, तो समझ लेना चाहिए कि वहाँ तो बिल्कुल धोखा है। उनसे भी सावधान होने की ज़रूरत है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति बिल्कुल निष्काम भाव से सेवा कर रहा है उसको पैसे की कोई ज़रूरत नहीं है तो समझ लेना चाहिए कि उसके अन्दर कोई शक्ति अवश्य है और उससे हमें फायदा अवश्य होगा। इसीलिए ये डिसीज़न स्वयं को ही लेना होगा। और हम तो ये कहेंगे कि अगर मनुष्य राजयोगी बन जाये तो फिर इन सब चीज़ों की ज़रूरत नहीं होती। वो स्वयं में इतना समर्थ हो जाता है। कई बार क्या होता है अगर हमारे पुण्य का खाता ज्य़ादा है तो छोटी चीज़ से भी आराम हो जाता है। नहीं तो बहुत कुछ उपचार करने के बाद कुछ नहीं मिलता। इसलिए इन सब चीज़ों के पीछे भागने की ज़रूरत नहीं है। हमें अपने को ही समर्थ बनाना है। ताकि हमें इन चीज़ों की तरफ देखना न पड़े।
प्रश्न : मैं आजमगढ़ से शबनम हूँ। कई लोग अपनी दुकान के सामने या अपनी नई गाड़ी के सामने मिर्ची और नींबू लटका देते हैं या कोई काले घड़े के ऊपर कोई डरावनी-सी आकृति बनाकर टांग देते हैं। और इसके भी पीछे ये मान्यता है कि इससे नज़र नहीं लगेगी। इस बात में कितनी सच्चाई है?
उत्तर : मुझे ऐसा लगता है कि ये जो है नींबू आदि ये निगेटिव एनर्जी को एब्जऱ्ोव कर लेते हैं अपने में। इससे मनुष्य कई चीज़ों से बचा रहता है। आज के समय में इन चीज़ों का महत्त्व बढ़ गया है, क्योंकि निगेटिव एनर्जी का चारों ओर जैसे सागर लहरा रहा है। तो उससे बचने के लिए मनुष्य कोई न कोई उपाय तलाशता ही रहता है। और उनको लगता है कि ऐसा करने से वो सुरक्षित हो गये। किसी ने पुराना जुता टांग दिया अपने घर के आगे या ट्रक के आगे जुते टांग दिए पुराने ताकि किसी की नज़र न लगे। भला ट्रक को किसकी नज़र लगेगी! अगर हम बाहरी निगेटिव एनर्जी को खत्म करने के लिए अपने अन्दर पॉजि़टिव एनर्जी बहुत भर लें और उसको वायब्रेट आउट करने लगें तो इन सब चीज़ों की हमें ज़रूरत ही नहीं होगी। हम योग की शक्ति के द्वारा, हम ईश्वरीय शक्ति के द्वारा इसको सहज ही समाप्त करने लग जायेंगे। जैसे छोटे बच्चे होते हैं जो बहुत सुन्दर होते हैं तो जब उनको देखकर किसी ने कहा कि अरे ये तो बहुत सुन्दर है, तो निगेटिव संकल्प चलेंगे। क्योंकि हमारे हर संकल्प में क्रियेटिव एनर्जी है। अब क्रियेटिव संकल्प, क्रियेटिव एनर्जी क्रियेट करते हैं तो बच्चे पर उसका तुरंत असर हो जाता है। और ये जो नज़र उतारना है ये है पॉजि़टिव संकल्प की एनर्जी उसमें दे देना। बस इतना ही इसका इफेक्ट है। ये पहले से ही प्रथा चलती आ रही है लेकिन हम राजयोग की शक्ति से, अपने श्रेष्ठ संकल्पों से उसको वायब्रेशन देकर भी उसको इससे मुक्त कर सकते हैं।
प्रश्न : मैं पंजाब से नवजीवन कौर हूँ। मेरी आयु 20 वर्ष है। मैं ये जानना चाहती हूँ कि क्या भूत प्रेत होते हैं, अगर होते हैं तो क्या वो किसी भी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं? एक् चुअली मुझे बहुत डर लगता है भूतों से, अगर ये भूत होते हैं तो किसी में प्रवेश क्यों करते हैं? ये हममे प्रवेश न करें उसके लिए क्या किया जा सकता है? भ्राता जी आप अपनी क्लासेस में आप कहते हैं कि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही होता है तो ये हमारे मन की कभी रचना होती है? मुझे इन चीज़ों से डर लगता है मुझे थोड़ी सी इन चीज़ों पर प्रकाश की आवश्यकता है।
उत्तर : आपको डरने की ज़रूरत नहीं है। आपके अन्दर कोई भूत प्रवेश नहीं करेगा। आजकल ये देखने में आता है बहुत लोग सुसाइड कर रहे हैं। बहुत लोग जहाँ तहाँ एक्सीडेंट हो रहे हैं। कहीं बम फेंक दिए जाते हैं। लोग मर जाते हैं तो ये जो अचानक मृत्यु होती है मनुष्यों की तो इसको अकाले मृत्यु कहते हैं। कुछ समय के लिए ये अंतरिक्ष में भटकने लगते हैं। बॉडीलेस होकर। इनके पास भी एक सूक्ष्म शरीर होता है जो किसी को काला काला दिखाई देता है। उसको साथ लेकर ये आत्मायें भटकती रहती हैं। अब ये प्यासी होती हैं, भूखी होती हैं, अतृप्त होती हैं तो कहीं भी अपना इफेक्ट कर लेती हैं। रही बात कि क्या वो सबमें प्रवेश कर लेती हैं ऐसा नहीं होता है। जिनका उनसे कर्मों का हिसाब किताब होगा या इन्होंने उनको बहुत सताया हो और उनको वो याद आ जाये तो उनसे बदला लेने के लिए ये आत्मायें उनमें प्रवेश कर जाती हैं। इसलिए हमें इस बात से पूरी तरह निश्चिंत रहना चाहिए कि कहीं वो हममे प्रवेश न कर जाये। ऐसी कोई बात नहीं है। तो दूसरी चीज़ ये कि अगर ये हैं भी, हैं तो ये चीजें क्योंकि बहुत आत्मायें पुर्नजन्म नहीं ले पाती हैं पाप कर्म के कारण। तो इनसे हमें डरने की कोई ज़रूरत नहीं। मैंने ऐसे बहुत केस देखें हैं बच्चों को रात को कुछ दिखता है काली-काली छाया। उनकी छाती पर बैठ गई, उनको दबा रही है। वो बोल नहीं सकते, वो चिल्ला नहीं सकते तो उनकी मातायें-दादियां मुझे फोन करके पूछती हैं कि क्या करें?बच्चे छेाटे हैं तो सोने से पहले 7 बार याद कर लेना कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। ये आत्मायें भटक अवश्य रही हैं। लेकिन इसका समाधान है मैं मास्टरसर्वशक्तिवान हूँ। इनसे डरने की आवश्कता नहीं। क्योंकि किसी भी चीज़ से हम डरते हैं तो हम उस चीज़ को जल्दी एटरेक्ट कर लेते हैं। अगर इनसे डरेंगे तो इनका प्रभाव होने लगेगा। क्योंकि ये चीज़ें अपना स्थान तो ढूंढती हैं ना। कोई कहते हैं पेड़ पर रहती हैं, कोई कहते हैं कहीं रहती है, कोई स्थान उनका बना दिया। वहाँ वो रहने लगती हैं। एक मनुष्य आत्मा की नेचर है कि उसको कोई ठिकाना चाहिए। तो वही संस्कार इनके अन्दर भी रहते हैं। तो ऐसे कई काफी समय से खाली पड़ें स्थानों पर भी ये भय पैदा करती हैं। तो जैसे शमशान हो, या कई जगह ऐसे सन्नाटा होता है, भय का माहौल रहता है। ये प्रैक्टिकल सत्य बातें हैं। किसी पॉवरफुल व्यक्ति को भी अगर कहा जाये कि आप ज़रा शमशान में आधा घंटा बैठकर आओ तो उसको भय लगेगा। जब उसको कोई न निर्भय बनना न सिखाये तो वो भयभीत होगा। तो इसका तरीका ये ही है कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मेरे साथ तो स्वयं भगवान है। इस फीलिंग को ऐसे स्थानों पर दोहरायेंगे तो हमारा डर भी खत्म हो जायेगा और इनके इफेक्ट से मुक्त रहेंगे। हमें बाबा ने मास्टर मुक्तिदाता का वरदान दिया है। तो हम इन्हें गुड वायब्रेशन देकर इनकी मदद करें, इन्हें मुक्त करें। यानी हम इनके गुड फे्रंड बन जायें। न हम इनसे डरेंगे और न कोई निगेटिव फीलिंग हम इनके लिए रखेंगे। और ये भी हमें कोई कष्ट नहीं पहुंचाती हैं। और अगर हम पॉवरफुल फीलिंग में रहते हैं तो ये आत्मायें हमारे पास आती ही नहीं हैं।