राजयोग से छूट जायेंगे पांचों विकार

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काम : राजयोग से स्वयं के वास्तविक स्वरूप, आत्मा का ज्ञान होने से ये विकार अपने आप दूर हो जाता है।
क्रोध : राजयोग से मन शीतल व शांत होता है। मन का आवेग खत्म होने से क्रोध खत्म हो जाता है।
लोभ : राजयोगी सदा संतुष्ट, संतोषी होता है। उनमें इकठ्ठा करने की प्रवृत्ति समाप्त हो जाती है।
मोह : राजयोग की बहुत बड़ी उपलब्धि है। वह वर्तमान में जीता है। जन्म-जन्मांतर के कर्म का ज्ञान होने से उसमें अनावश्यक मोह नहीं रह जाता है।
अहंकार : राजयोगी का स्वभाव विनम्र और रहम दिल, परोपकारी व दया जैसे गुणों को अपनाता है। जिससे अहंकार का भूत अपने आप भाग जाता है।

राजयोग से लाभ…
चरित्र का विकास, व्यक्तित्व का विकास, मानसिक विकास, आध्यात्मिक विकास होता है।…

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