चंदला,मध्य प्रदेश। सेवा केंद्र प्रभारी बी के . भारती बहन ने जन्माष्टमी का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि भारतवर्ष के अंदर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है । ‘कृष्ण’ नाम लेते ही अपने सामने हाथों में अथवा होठों पर मुरली धारण किये हुए मोर मुकुट धारी एक दिव्य मूर्ति की झलक दिखाई देती है। एक माता अपने बच्चों को नैनो का तारा और दिल का दुलरा समझती हैं, फिर भी वह श्री कृष्णा के बचपन के रूप को देखने की चेष्टा करती है । भक्तगण भी श्री कृष्ण को ‘ सुंदर’ ‘मनमोहन’ ‘चितचोर’ ‘ मुरली मनोहर’ इत्यादि नामो से याद करते हैं। वास्तव में जहां श्री कृष्ण का सौंदर्य चित् को चुरा ही लेता है। जन्माष्टमी के दिन जिस बच्चे को मोर मुकुट पहनकर, मुरली हाथ में देते हैं उस समय हम सभी का मन उस बच्चें के नाम रूप देश काल को भूलकर कुछ क्षणों के लिए श्री कृष्ण की ओर आकर्षित हो जाता हैं । सुंदरता तो आज भी बहुत लोगों में पाई जाती है परंतु श्री कृष्ण सर्वांग सुंदर थे सर्वगुण संपन्न, 16 कला संपूर्ण ,संपूर्ण निर्विकारी मर्यादा पुरुषोत्तम थे । ऐसे अनुपम सौंदर्य तथा गुणों के कारण ही श्री कृष्ण की पत्थर की मूर्ति भी चितचोर बन जाती है। होठों पर सदा मुस्कान रहती है और नैनों में सदा शांति छलकती है इसलिए कृष्ण को ‘नयनाभिराम ‘ भी कहते हैं जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के भक्त,उसके चरित्र के आधार पर झांकियां तैयार करते है झांकियो को देखने के बाद हमें अपने जीवन में भी झांकना चाहिए कि जिस कृष्ण का हम आवाहन करते हैं हमने अपने जीवन में कहां तक श्रेष्ठ को लाया हैं और श्री कृष्ण का आवाहन करने के लिए पहले तो इस भारत के आहार – व्यवहार – विचार के शुद्धिकरण की आवश्यकता हैं । बीके ज्योति बहन ने सभी को परमात्मा का परिचय दिया । श्री कृष्ण की चेतन्य झांकी और सुदामा चरित्र ,रहा आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा । नन्हे मुन्ने बाल कलाकारों ने अपने नृत्यों की अद्भुत प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया । कार्यक्रम में शहर की गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे ।अंत में सभी को ईश्वरीय प्रसाद देकर किया कार्यक्रम का समापन ।