परमात्म ऊर्जा

0
165

आज सर्व पुरूषार्थी आत्माओं को देख-देख खुश हो रहे हैं क्योंकि जानते हैं कि यही श्रेष्ठ आत्मायें सृष्टि को परिवर्तन करने के निमित्त बनी हुई हैं। एक-एक श्रेष्ठ आत्मा नम्बरवार कितनी कमाल कर रही है। वर्तमान समय भले कोई भी कमी व कमज़ोरी है लेकिन भविष्य में यही आत्मायें क्या से क्या बनने वाली हैं और क्या से क्या बनाने वाली हैं! तो भविष्य को देख आप सभी की सम्पूर्ण स्टेज को देख हर्षित हो रहे हैं। सभी से बड़े ते बड़े रूहानी जादूगर हो ना! जैसे जादूगर थोड़े ही समय में बहुत विचित्र खेल दिखाते हैं, वैसे आप रूहानी जादूगर भी अपनी रूहानियत की शक्ति से सारे विश्व को परिवर्तन में लाने वाले हो, कंगाल को डबल ताजधारी बनाने वाले हो। परन्तु इतना बड़ा कार्य स्वयं को बदलनेे अथवा विश्व को बदलने का, एक ही दृढ़ संकल्प से करने वाले हो। एक ही दृढ़ संकल्प से अपने को बदल देते हो। वह कौन-सा एक दृढ़ संकल्प, जिस एक संकल्प से अपने जन्मों की विस्मृति के संस्कार स्मृति में बदल जाएं? वह एक संकल्प कौन-सा? है भी एक सेकण्ड की बात जिससे स्वयं को बदल लिया। एक ही सेकण्ड का और एक ही संकल्प यह धारण किया कि मैं आत्मा हूँ। इस दृढ़ संकल्प से ही अपने सभी बातों को परिवर्तन में लाया। ऐसे ही, दृढ़ संकल्प से विश्व को भी परिवर्तन में लाते हो। वह एक दृढ़ संकल्प कौन-सा? हम ही विश्व के आधारमूर्त, उद्वारमूर्त हैं अर्थात् विश्व कल्याणकारी हैं। इस संकल्प को धारण करने से ही विश्व के परिवर्तन के कर्त्तव्य में सदा तत्पर रहते हो। तो एक ही संकल्प से अपने को व विश्व को बदल लेते हो, ऐसे रूहानी जादूगर हो। वह जादूगर तो अल्पकाल के चीज़ों को परिवर्तन में लाकर दिखाते हैं लेकिन आप रूहानी जादूगर अविनाशी परिवर्तन, अविनाशी प्राप्ति करने-कराने वाले हो। तो सदा अपने इस श्रेष्ठ मर्तबे और श्रेष्ठ कर्त्तव्य को सामने रखते हुए हर संकल्प व कर्म करो तो कोई भी संकल्प व कर्म व्यर्थ नहीं होगा। चलते-चलते पुराने शरीर और पुरानी दुनिया में रहते हुए अपने श्रेष्ठ मर्तबे को और श्रेष्ठ कर्त्तव्य को भूल जाने के कारण अनेक प्रकार की भूलें हो जाती हैं। अपने आपको भूलना -यह भी भूल है ना। जो अपने आपको भूलता है वह अनेक भूलों के निमित्त बन जाते हैं। इसलिए अपने मर्तबे को सदैव सामने रखो।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें